पीएम मोदी ने सिखों के 10वें गुरु महाराज को किया याद, कही ये बात
गुरु गोबिंद सिंह जी सिख धर्म के दसवें गुरु थे। सिख समुदाय के लोग इस जयंती को प्रकाश पर्व के रूप में बड़े ही उमंग और उल्लास से मनाते हैं। गुरु गोविद सिंह जी का जन्म 22 दिसंबर सन 1666 को पटना साहिब में हुआ था।
गुरु गोबिंद सिंह की जयंती आज है। गुरु गोबिंद सिंह जी सिख धर्म के दसवें गुरु थे। सिख समुदाय के लोग इस जयंती को प्रकाश पर्व के रूप में बड़े ही उमंग और उल्लास से मनाते हैं। आज के दिन देश और दुनिया से सभी गुरुद्वारों में कुछ न कुछ आयोजन होता ही है। इस दौरान देखा गया है कि कीर्तन और गुरुवाणी के पाठ से साथ ही सिख समुदाय के लोग सुबह प्रभातफेरी निकालते हैं और फिर लंगर का भी बड़े पैमाने पर आयोजन किया जाता है। भारत में एक पर्व, गुरु गोबिंद सिंह की जयंती पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत अन्य कई नेताओं ने बधाई दी।
-राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा, 'गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के शुभ अवसर पर मेरी विनम्र श्रद्धांजलि। उनका जीवन मानवता के लिए प्रेरक रहा है, समानता और समावेशिता का प्रचार उनके द्वारा किया गया। वह सिर्फ एक आध्यात्मिक आदर्श नहीं थे बल्कि एक योद्धा थे जो सर्वोच्च बलिदान के सामने भी सिद्धांतों से खड़े थे।'
-मोदी ने ट्वीट कर कहा, 'प्रकाश पर्व के पवित्र मौके पर मैं श्री गुरु गोविंद सिंह को नमन करता हूं। उनका जीवन न्यायसंगत और समावेशी समाज के निर्माण के लिए समर्पित था। अपने सिद्धांतों के प्रति वे सदैव अटल रहे। हम उनके साहस और बलिदान को भी याद करते हैं।' पीएम ने आगे कहा कि गुरु गोविंद सिंह की उन पर विशेष कृपा रही है क्योंकि उनके 350वें प्रकाश पर्व को मनाने का अवसर उनके कार्यकाल में आया। गुरु गोविंद सिंह के 350वें प्रकाश पर्व के अवसर पर वर्ष 2017 में पटना साहिब में आयोजित समारोह को याद करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें वहां भी गुरु साहिब को श्रद्धांजलि देने का अवसर मिला था।
-कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, 'गुरु गोविंद सिंह जी के वीरतापूर्ण जीवन ने हमें न्याय की लड़ाई में बलिदान का मूल्य सिखाया है। जैसा कि हमारे किसान भाई-बहन अपना सत्याग्रह जारी रखे हुए हैं, दुनिया उनकी शिक्षाओं का जीवंत उदाहरण देख पा रही है। प्रकाश उत्सव पर बधाई।'
बता दें कि गुरु गोविद सिंह जी का जन्म 22 दिसंबर सन 1666 को पटना साहिब में हुआ था। बचपन के पांच वर्ष वहां व्यतीत करने के बाद वह आनंदपुर साहिब, पंजाब आ गये थे। गुरु साहिब संत भी थे और सिपाही भी।