Delta Plus Variant: वैक्सीन और एंटीबॉडी को भी बेअसर कर सकता है ये वैरिएंट, देश में मिलने लगे मामले
Delta Plus Variant May Defeat Vaccines, Antibodies: देश में कोरोना की दूसरी लहर में तबाही मचाने वाले डेल्टा वैरिएंट (B.1.617.2) ने अब रूप बदल लिया है.
Delta Plus Variant May Defeat Vaccines, Antibodies: देश में कोरोना की दूसरी लहर में तबाही मचाने वाले डेल्टा वैरिएंट (B.1.617.2) ने अब रूप बदल लिया है. इस वैरिएंट का नाम डेल्टा प्लस (AY.01) दिया गया है. अब इस वैरिएंट को लेकर रिपोर्ट आई है कि यह वैरिएंट वैक्सीन और एंटीबॉडी को बेअसर कर देगा. इतना ही नहीं सोमवार को केरल में इस वैरिएंट के तीन मरीज भी मिल गए. Also Read - Madhya Pradesh News: भोपाल में मिला कोविड-19 का नया वेरिएंट, दवा भी नहीं कर रही असर, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग में जुटा प्रशासन
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक देश के जानेमाने वायरोलॉजिस्ट प्रोफेसर शाहिद जमील ने कहा है कि डेल्टा प्लस वैरिएंट वैक्सीन लेने से शरीर में बनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेअसर कर सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर आप कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके हैं और आपमें एंटीबॉडी बना है, वो भी इस नए वैरिएंट के खिलाफ कारगर नहीं रह सकता. Also Read - क्या है कोरोना का Delta Plus Variant? जानिए भारत में कैसा होगा असर
यानी प्रोफेसर जमील स्पष्ट रूप कहते हैं कि अगर आपने वैक्सीन ले ली है और आपमें नेचुरल तरीके से एंटीबॉडी भी बन गया है तो भी आप इस नए वैरिएंट को लेकर सुरक्षित नहीं हैं. Also Read - कोरोना के खिलाफ जंग में एक बड़ा कदम, देश में Covid-19 का वैक्सीन का ट्रायल थर्ड फेज में आज या कल
हालांकि बीते सप्ताह ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि कोरोना वायरस का डेल्टा प्लस स्वरूप अभी तक चिंताजनक नहीं है और देश में इसकी मौजूदगी का पता लगाना होगा और उस पर नजर रखनी होगी.
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी के पॉल ने कहा था कि डेल्टा प्लस नामक वायरस का नया स्वरूप सामने आया है और यह यूरोप में मार्च महीने से है. कुछ दिन पहले ही इसके बारे में जानकारी सार्वजनिक हुई.
पॉल ने कहा था कि इसे अभी चिंताजनक प्रकार के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है. चिंता वाला स्वरूप वह होता है जिसमें हमें पता चले कि इसके प्रसार में बढ़ोतरी से मानवता के लिए प्रतिकूल प्रभाव होते हैं. डेल्टा प्लस स्वरूप के बारे में अब तक ऐसा कुछ ज्ञात नहीं है. लेकिन डेल्टा स्वरूप के प्रभाव और बदलाव के बारे में हमारे आईएनएसएसीओजी प्रणाली के माध्यम से वैज्ञानिक तरीके से नजर रखनी होगी. इसका पता लगाना होगा और देश में इसकी मौजूदगी देखनी होगी.
इस बीच केरल के दो जिलों- पलक्कड़ और पथनमथिट्टा से एकत्र किए गए नमूनों में सार्स-सीओवी-2 डेल्टा-प्लस स्वरूप के कम से कम तीन मामले पाए गए हैं. पथनमथिट्टा के जिलाधिकारी डॉ. नरसिम्हुगरी टी एल रेड्डी ने कहा कि जिले के काडापरा पंचायत का एक चार वर्षीय लड़का वायरस के नए डेल्टा-प्लस संस्करण से संक्रमित पाया गया.
नए संस्करण का पता लड़के के नमूनों के सीएसआईआर-आईजीआईबी (वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली) में किए गए आनुवंशिक अध्ययन में लगाया गया.
अधिकारियों ने कहा कि प्रशासन ने इसके प्रसार को रोकने के लिए दो जिलों के प्रभावित क्षेत्रों में कड़े कदम उठाए हैं. पिछले हफ्ते, नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य), डॉ. वीके पॉल ने कहा था कि नए खोजे गए डेल्टा प्लस संस्करण को अभी तक चिंताजनक संस्करण के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है.