Hemant Soren Birthday: कम उम्र में हेमंत सोरेन ने हासिल किया बड़ा मुकाम, राष्ट्रीय राजनीति में बनाई पैठ
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि राजनीतिक बुलंदियों पर पहुंचे झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इंजीनियर बनना चाहते थे। उनका शौक फोटोग्राफी और पेंटिंग था, लेकिन परिस्थितियां ऐसी बनी कि उन्हें राजनीति की रपटीली राह पर चलना पड़ा। 10 अगस्त 1975 को जन्मे हेमंत सोरेन झारखंड की सबसे बड़ी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा का नेतृत्व संभालने आगे आए। आरंभ में उनकी क्षमता को लेकर राजनीतिक गलियारे में सवाल भी उठे, लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर हेमंत सोरेन ने साबित कर दिया कि वे राजनीतिक रेस के बड़े खिलाड़ी हैं।
वे अपनी पार्टी के सबसे बड़े स्टार प्रचारक हैं। अन्य राज्यों में भी उनकी पैठ बढ़ रही है। बंगाल विधानसभा चुनाव में जब उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा का उम्मीदवार उतारने की तैयारी की तो तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने उनसे सहयोग मांगा। हेमंत सोरेन ने उनके प्रत्याशियों के पक्ष में कई चुनावी सभाएं की।
इसके अलावा उन्होंने असम विधानसभा चुनाव में भी जनजातीय बहुल इलाकों में कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में माहौल बनाया। हेमंत सोरेन तमाम राष्ट्रीय मसलों पर खुलकर अपनी राय रखते हैं। शासन चलाने के साथ-साथ वे झारखंड मुक्ति मोर्चा के शीर्ष रणनीतिकार भी हैं। रोजाना प्रमुख गतिविधियों की फीड बैक लेना और तत्काल उस पर सधी प्रतिक्रिया देना उनके रोजमर्रा के कामकाज में शुमार है।
व्यक्तित्व की कई खूबियां
संवेदनशील और विनम्र स्वभाव के साथ-साथ संबंधों का ख्याल रखने वाले हेमंत सोरेन का व्यक्तित्व कई खूबियां समेटे हुए है। वे समस्याओं को लेकर उनके समक्ष आने वाले लोगों की बातों को पूरी गंभीरता के साथ सुनते हैं और निदान का निर्देश देते हैं। राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता से इतर वे विपरीत परिस्थिति में सहायता के लिए सबसे आगे आते हैं।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सह राज्यसभा सदस्य दीपक प्रकाश की तबीयत जब एकाएक बिगड़ी तो वे सबसे पहले अस्पताल पहुंचने वाले लोगों में से थे। उन्होंने तत्काल इलाज की व्यवस्था कराई। मातहत मंत्री जगरनाथ महतो की तबीयत खराब होने से लेकर उनके स्वस्थ होने तक की चिंता उन्होंने की। कोरोना की पहली और दूसरी लहर में उन्होंने स्वास्थ्य संसाधनों को बेहतर करने की दिशा में प्रयास किए और सख्ती से पाबंदियां भी लागू की।
खुद करते ड्राइव, ज्यादा तामझाम नहीं
हेमंत सोरेन राजधानी रांची में अक्सर अपनी कार खुद ड्राइव करते देखे जा सकते हैं। ज्यादा तामझाम उन्हें पसंद नहीं है। राजनेताओं की तरह कुर्ता-पायजामा से अधिक वे जींस, टीशर्ट और कैजुअल ड्रेस में नजर आते हैं। हेमंत सोरेन शाकाहारी हैं। वे खेल के भी शौकीन हैं। खिलाड़ियों को सरकारी विभागों में नौकरियां देने के साथ-साथ उन्होंने पुरस्कार की भी योजनाएं आरंभ की है।
हाल ही में राष्ट्रीय हाकी टीम में शामिल झारखंड की दो महिला खिलाड़ियों को 50-50 लाख रुपये बतौर पुरस्कार देने की घोषणा की है। राजनीतिक व्यस्तता के बीच परिवार का भी पूरा ख्याल रखते हैं। वे अक्सर अपने पैतृक गांव रामगढ़ के नेमरा जाते हैं और वहां होने वाले पारिवारिक कार्यक्रमों में पूरे उत्साह से भाग लेते हैं।