आंग सान सू ची के समर्थन में सड़कों पर उतरे लोग, बजाए गाड़ी के हॉर्न और बर्तन-भांडे
विरोध में शामिल एक शख्स ने नाम ना लिखने की शर्त पर बताया कि म्यांमार की संस्कृति में ढोल पीटना ऐसा है जैसे हम शैतानों को मार रहे हैं। लोकतंत्र समर्थक कई समूहों ने लोगों तख्तापलट के लिए उनके विरोध को दिखाने के लिए कहा।
म्यांमार के सबसे बड़े शहर में भारी संख्यों में लोगों ने कार के हॉर्न का बजाए और देश की सेना द्वारा एक दिन पहले तख्तापलट की अगुवाई के खिलाफ मंगलवार को सार्वजनिक विरोध दर्ज कराया। साथ ही बर्तनों को बचाया गया। बताया गया कि केवल कुछ देर के लिए विरोध प्रदर्शन किया जाएगा, लेकिन ये हर मिनट के साथ बढ़ता चला गया, जहां सवा घंटे तक लोग सड़कों पर रहे और वे चिल्लाते हुए हिरासत में ली गई नेता आंग सान सू ची की अच्छी सेहत की कामना कर रहे थे और उनकी आजादी चाह रहे थे।
विरोध में शामिल एक शख्स ने नाम ना लिखने की शर्त पर बताया कि म्यांमार की संस्कृति में ढोल पीटना ऐसा है जैसे हम शैतानों को मार रहे हैं। लोकतंत्र समर्थक कई समूहों ने लोगों तख्तापलट के लिए उनके विरोध को दिखाने के लिए कहा। एक वरिष्ठ राजनेता और सू ची के करीबी विश्वासपात्रों ने भी नागरिकों से सेना के खिलाफ आवाज उठाने का आग्रह किया।
बता दें कि म्यांमार में सेना ने देश में एक साल के लिए आपातकाल की घोषणा कर दी थी। म्यांमार की सेना ने देश की वास्तविक नेता आंग सान सू की हिरासत में ले लिया था। साथ ही राष्ट्रपति विन म्यिंट को राजधानी नैपीडॉ में नजरबंद कर दिया गया था।
वहीं, म्यांमार में देश की चुनी हुई सरकार का तख्तापलट कर अपने हाथों में लेने वाले कमांडर इन चीफ ऑफ द डिफेंस सर्विस मिन ऑन्ग ह्लेनिंग वर्ष 2011 से ही इस पद पर काबिज हैं। वो नेशनल डिफेंस सिक्योरिटी काउंसिल के भी सदस्य हैं। इस काउंसिल के प्रमुख देश के राष्ट्रपति होते हैं। इससे पहले ह्लेनिंग ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ ऑफ द मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस भी रह चुके हैं। वर्ष 2011 की शुरुआत में उन्हें सेना का जनरल बनाया गया था। इसके बाद 2013 में वो फाइव स्टार जनरल बनाए गए। 5 नवंबर 2020 को ही उन्हें तातमदेव, जो म्यांमार की सेना का आधिकारिक नाम है, ने सीनियर जनरल घोषित किया था, जो देश के उप-राष्ट्रपति के बराबर होता है।
इसके उलट म्यांमार में सेना के तख्तापलट और देश की सर्वोच्च नेता आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन म्यिंट सहित कई वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में ले लिए जाने के कदम से अमेरिका चिंतित है। अमेरिका ने कहा है कि वह स्थिति पर नजर बनाये हुए है। साथ ही अमेरिका ने चेतावनी दी है कि अगर देश में लोकतंत्र बहाल करने के लिए सही कदम नहीं उठाये गये तो वह कार्रवाई भी कर सकता है।