केंद्र के अपीलें दायर करने में देरी पर सुप्रीम कोर्ट सख्त
जस्टिस एसके कौल दिनेश महेश्वरी और हृषिकेश की खंडपीठ ने कहा कि इतने दिशा-निर्देशों के बावजूद याचिका दायर करने में देरी करने वाले अधिकारियों से जुर्माना वसूलने के निर्देश के बावजूद लगता है कि इससे किसी को फर्क ही नहीं पड़ता है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से अपीलें दायर करने में देरी पर सख्त रुख अपनाया है। साथ ही कहा कि सरकार अपने सभी विभागों को इस संबंध में आदेश जारी करके अपना कामकाज दुरुस्त करे। अदालत ने कहा कि ऐसे कई मामलों में जुर्माना लगाने के बावजूद ऐसा लगता है कि बधिरों को कुछ भी कहना बेकार है।
दिल्ली हाई कोर्ट की ओर से पारित एक आदेश के खिलाफ अपील करने में 6616 दिनों की देरी पर सर्वोच्च अदालत ने कहा कि केंद्र ने आज जैसे विशेष अनुमति याचिका दायर की है जैसे पहले की सब याचिकाएं रद्दी की टोकरी में फेंक दी हों।
जस्टिस एसके कौल, दिनेश महेश्वरी और हृषिकेश की खंडपीठ ने कहा कि इतने दिशा-निर्देशों के बावजूद याचिका दायर करने में देरी करने वाले अधिकारियों से जुर्माना वसूलने के निर्देश के बावजूद लगता है कि इससे किसी को फर्क ही नहीं पड़ता है। कोर्ट ने छह पन्ने के अपने आदेश में सरकार की ओर से देर से अपील दायर करने की आदत को सर्वोच्च अदालत से अंतिम निर्णय लेने की जुगत लगता है। ताकि उन्हें कोर्ट से एक सर्टीफिकेट मिल जाए कि अब इस मामले में कुछ नहीं हो सकता है। उनका मकसद सिर्फ खानापूरी करना होता है और गलती करने वाले अधिकारियों की खाल बचाना होता है। यह वह अधिकारी हैं जो प्रक्रिया को पूरा करने में चूक जाते हैं या फिर जानबूझकर देरी करते हैं। इसलिए अदालत ने इस मामले में जिम्मेदार अधिकारी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना चार हफ्ते में रिकार्ड वेलफेयर फंड में जमा कराने को कहा है।