कोरोना का तांडव: कोविड-19 की दूसरी लहर में भारत में स्थिति भयावह, तस्वीरों में देखें श्मशान घाट का मंजर
देश में कोरोना की दूसरी लहर में हालात दिनों-दिन बद से बदतर होने लगे हैं। तमाम सरकारी दावे और चिकित्सा व्यवस्था की धज्जियां उड़तीं नजर आ रही है। कहीं लोग प्राणवायु ऑक्सीजन की कमी से दम तोड़ रहे हैं तो दूसरी तरफ जरूरी दवाइयों और उपकरणों की कालाबाजारी हो रही है, जिस पर सरकार और प्रशासन लगाम लगाने में नाकाम नजर आ रही है। परिणामस्वरुप कोरोना से होने वाली मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। श्मशान घाटों में शवों के दाह संस्कार के लिए जगह कम पड़ गई है, लोग शवों को जलाने के लिए घंटों इंतजार कर रहे हैं। आइए हम आपको कुछ तस्वीरों में श्मशान घाट का वो मंजर दिखाते हैं...
सैनिटाजेशन के बाद शव की पैकिंग, फिर पीपीई किट में अपने परिजन का अंतिम संस्कार के लिए पहुंचने वालों की फेहरिस्त लगातार लंबी हो रही है। कोरोना की वजह से अपनों को खोने वाले इस कदर खौफजदा हैं कि अब उफ भी नहीं निकल रही है।
जहां पांच-छह अंतिम संस्कार होते थे, वहां एक दिन में 100 अंतिम संस्कार हो रहे हैं। दिल्ली के निगम बोध घाट पर पहले 36 शवों के अंतिम संस्कार की क्षमता थी पर जैसे-जैसे शवों की तादाद बढ़ने लगी तो पार्किंग को भी बदल दिया गया।
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने पूरे देश को अपनी चपेट में ले लिया है। इस महामारी से हजारों मरीजों की जान जा रही है। कहीं ऑक्सीजन की कमी से तो कहीं, जीवन रक्षक दवाओं की कमी के कारण।
श्मशान घाट के कर्मचारियों का कहना है कि 'मैंने अपने जीवन में पहले कभी ऐसी बुरी स्थिति नहीं देखी थी। लोग अपने प्रियजनों के शवों के साथ एक जगह से दूसरे जगह भटक रहे हैं।' दिल्ली समेत देश के कई शहरों के सभी श्मशान घाटों में शवों से बाढ़ आ गई है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस महीने दिल्ली में 3601 लोगों की कोरोना से मौत हुई है। इनमें से पिछले सात दिनों में 2,267 लोगों की जान गई है। ये आंकड़े शहर को आतंकित कर रहे हैं और पीड़ा दे रही है। ऊपर से श्मशान घाट के बाहर चिपका ये पोस्टर सरकारी व्यवस्था की नाकामी को चिढ़ा रहा है। पोस्टर पर लिखा है आज डेड बॉडी श्मशान घाट पर नहीं ली जाएगी।
रिश्तेदार शवों को लेकर श्मशान पहुंच रहे हैं और केवल उन्हें विदा कर रहे हैं। एक महिला श्मशान के बाहर अपने किसी प्रियजन के शवों को जलते देख रही है वहीं एक शव जलने के लिए इंतजार में पड़ा है। इससे बुरा दिन और नहीं हो सकता।
स्थिति की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शवों के अंतिम संस्कार के लिए लोगों को 20-20 घंटे तक का इंतजार करना पड़ रहा है।
कोरोना के संकट में हर कहीं ऑक्सीजन और बेड के लिए अस्पतालों के बाहर ही इंतजार नहीं देखा जा रहा, बल्कि श्मशान घाटों में भी अंतिम संस्कार के लिए इंतजार करना पड रहा है। दिल्ली के श्मशान घाटों पर 6-6, 12-12 घंटे की वेटिंग लगी है। श्मशान घाट छोटे पड़ गए। आसपास की खाली जमीन में अंतिम संस्कार किए जा रहे हैं।
हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं अपने परिजनों के अंतिम संस्कार में शरीक न हो पाने वालों को इस बात की चिंता सता रही है कि अस्थियां सुरक्षित रखने के लिए अब लॉकर भी उपलब्ध नहीं है। कोरोना की चपेट में आकर जान गंवाने वाले लोगों की तादाद इतनी बढ़ गई है कि एक चिता के बुझने से पहले दूसरे शव का अंतिम संस्कार शुरू कर दिया जाता है।