दिल्ली से सटे पलवल में भारी सुरक्षा बल तैनात, दोबारा धरने पर नहीं दिया जाएगा किसानों को बैठने
इस बीच रविवार को राकेश टिकैत ने कहा है कि सरकार किसानों को अपनी बात बता सकती है। हम (किसान) ऐसे लोग हैं जो पंचायती राज में विश्वास करते हैं। हम कभी भी दुनिया के सामने सरकार का सिर शर्म से नहीं झुकने देंगे।
तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर सिंघु बॉर्डर पर चल रहा है किसानों का धरना-प्रदर्शन सोमवार को 67वें दिन में प्रवेश कर गया। इस बीच पिछले कुछ दिनों से किसान आंदोलन का मुख्य केंद्र गाजीपुर बॉर्डर पर बना हुआ है। हालात के मद्देनजर दिल्ली यातायात पुलिस ने अक्षरधाम के पास नोएडा के लिए वाहनों का मार्ग परिवर्तित किया गया है। वहीं, दिल्ली से सटे पलवल जिले में तनाव को देखते हुए मौके पर आरएएफ और पुलिस के जवान तैनात किए गए हैं। एसपी दीपक गहलावत का कहना कि दोबारा यहां पर धरना देने की नहीं अनुमति नहीं दी जाएगी।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के आंसू देखने के बाद गाजीपुर बॉर्डर पर बृहस्पतिवार रात से ही किसान प्रदर्शनकारियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस बीच रविवार को राकेश टिकैत ने कहा है कि सरकार किसानों को अपनी बात बता सकती है। हम (किसान) ऐसे लोग हैं जो पंचायती राज में विश्वास करते हैं। हम कभी भी दुनिया के सामने सरकार का सिर शर्म से नहीं झुकने देंगे। राकेश टिकैत ने यह भी कहा का कि सरकार के साथ हमारी विचारधारा की लड़ाई है और यह लड़ाई लाठी/डंडों, बंदूक से नहीं लड़ी जा सकती और ना ही उसके द्वारा इसे दबाया जा सकता है। किसान तभी घर लौटेंगे जब नये कानून वापस ले लिए जाएंगे।
सिंघु बार्डर पर सुरक्षा स्तर में बढोतरी
नए कृषि कानूनों के विरोधी प्रदर्शनकारियों व स्थानीय ग्रामीणों के बीच शुक्रवार को हुए हिंसक टकराव के बाद सिंघु बार्डर पर लगातार सुरक्षा के स्तर को बढ़ाया जा रहा है। रविवार को भी सुरक्षा के एक स्तर को बढ़ा दिया गया है। ऐसे में अब यहां छह स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था हो गई। शनिवार को पुलिस ने कुंडली से बिल्कुल सटे दिल्ली की सीमा में राष्ट्रीय राजमार्ग की खोदाई कर दी थी। अब रविवार को गड्ढे के आगे भी सीमेंट बैरिकेड लगाने का काम शुरू कर दिया गया।
पुलिस पहले से की गई पांच स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था को भी और मजबूत करने में जुटी है। इसके लिए अब बार्डर पर टोल के निकट आठ फीट लंबे लोहे के पाइप से घेराबंदी की जा रही है। इन पर कनात लगाएं जाएंगे। रविवार को इसके लिए मजदूरों को जमीन पर निशान लगाने के साथ लोहे के पाइप वाहनों से उतारते देखा गया।
पुलिस ने धरना स्थल के चारों तरफ पहले से ही बैरिके¨डग कर रखी है। ऐसे में आम लोग धरना स्थल तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। हिंसक टकराव की घटना के बाद प्रदर्शनकारियों को छोड़कर किसी आम व्यक्ति को धरना स्थल तक पहुंचने नहीं दिया जा रहा है। पुलिस ने सिंघु बार्डर से कुंडली की ओर जाने वाले लिंक रोड पर भी गड्ढे खोदकर दोनो तरफ सीमेंट के बैरिकेड लगा दिए हैं। सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस सिंघु बार्डर पर राष्ट्रीय राजमार्ग के अलावा लिंक रोड पर अब तक कई गड्ढे खोद चुकी है।
धरना स्थल तक वाहनों की पहुंच को रोकने की रणनीति
गणतंत्र दिवस पर हुए उपद्रव के बाद पुलिस इस रणनीति पर लगातार काम कर रही है कि धरना स्थल तक वाहनों की आवाजाही न हो। इसके लिए पुलिस ने धरना स्थल से दो किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिंघोला के पास बैरिके¨डग कर वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी है। अब वहां से लोग पैदल ही धरना स्थल तक पहुंच सकते हैं।
कृषि कानूनों के विरोधी प्रदर्शनकारियों व स्थानीय नागरिकों के बीच शुक्रवार को हुए ¨हसक टकराव के बाद सिंघु बार्डर पर सामान्य होते हालात के बीच यहां चहल-पहल फिर बढ़ने लगी है। यहां चल रहे धरने में रविवार को आंदोलनकारियों की संख्या में इजाफा देखा गया। शनिवार की रात को कई ट्रैक्टरों से पंजाब से लोग पहुंचे हैं।
शुक्रवार को हुई घटना के बाद प्रदर्शनकारियों का लंगर बंद हो गया था, लेकिन अब लंगर के चूल्हे में दोबारा आग जलने लगी है। हालांकि धरने में अब आम जन की भागीदारी नहीं के बराबर रह गई है और जिस तरह से साप्ताहिक अवकाश पर लोगों की भीड़ जुटती थी, रविवार को वैसा कुछ देखने को नहीं मिला है।
स्थानीय लोगों व प्रदर्शनकारियों के बीच हुई पत्थरबाजी की घटना के बाद कुछ लोग यहां से वापस चले गए थे और प्रदर्शनकारियों के मन में अभी दोबारा ऐसी घटना को लेकर आशंका देखी जा रही है। यही कारण है कि अब धरने के मंच से दिल्ली के लोगों से सहयोग करने की बार-बार अपील की जा रही है। जो भी वक्ता भाषण दे रहा है, वह स्थानीय लोगों से किसी बहकावे में नहीं आकर प्रदर्शनकारियों को पहले की तरह मदद करने की बात जरूर कर रहा है।