दस साल बाद बिहार विधानसभा में बसपा का खाता बंद, जदयू को मिल गया मुस्लिम चेहरा

बसपा विधायक जमां खान सत्तारूढ़ जदयू में शामिल हो गए। जमां खान बसपा टिकट पर 2020 का विधानसभा चुनाव जीते थे। उनकी जीत उसी चैनपुर से हुई है जिस सीट पर 1995 में जीत के साथ ही बिहार विधानसभा में बसपा का खाता खुला था।

दस साल बाद बिहार विधानसभा में बसपा का खाता बंद, जदयू को मिल गया मुस्लिम चेहरा

यूपी की राजनीति में सपा और बसपा की चाहे जितनी बड़ी हैसियत हो, बिहार में दोनों दलों की गति एक है-उम्मीदवार चुनाव जीत कर विधायक बनते हैं। देर या सवेर दल बदल लेते हैं। पांच साल के लिए पार्टी में सन्नाटा पसर जाता है। फिर अगले चुनाव में कुछ विधायकों की आमद हो जाती है। शुक्रवार को बसपा विधायक जमां खान ने इसी परम्परा का निर्वाह किया। वे सत्तारूढ़ जदयू में शामिल हो गए। जमां खान बसपा टिकट पर 2020 का विधानसभा चुनाव जीते थे। उनकी जीत उसी चैनपुर से हुई है, जिस सीट पर 1995 में जीत के साथ ही बिहार विधानसभा में बसपा का खाता खुला था। उनके शामिल होने के बाद जदयू में मुस्लिम विधायकों की कमी पूरी हो गई। जदयू ने 11 मुसलमानों को टिकट दिया था। सबके सब चुनाव हार गए। 

दल बदलने का सिलसिला बिहार में बसपा की जीत के साथ ही शुरू हो गया। 1995 में उसके दो विधायक सुरेश पासी और महाबली सिंह क्रमश: मोहनिया और चैनपुर से जीते थे। दोनों तत्कालीन लालू प्रसाद की सरकार के समर्थक बन गए। सुरेश पासी मुख्य धारा की राजनीति से दूर हो गए तो महाबली सिंह दल बदलते बदलते मंत्री और सांसद भी बन गए। फिलहाल वे काराकाट लोकसभा सीट से जदयू के सांसद हैं। 2000 में राजद में शामिल रहने के दौरान राबड़ी मंत्रिमंडल में पथ निर्माण मंत्री बने। यह महत्वपूर्ण और संपन्न विभाग है। 

2000 के विधानसभा चुनाव में बसपा के दो उम्मीदवार विधायक बने। राजेश सिंह धनहा से जीते। फारबिसगंज से जाकिर हुसैन की जीत हुई। दोनों राजद में शामिल हो गए। दोनों फिलहाल सक्रिय हैं। विभिन्न दलों का भ्रमण कर रहे हैं। जाकिर हुसैन तो जन अधिकार पार्टी और कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। उसी चुनाव में राजपुर से जीते छेदी लाल राम भी राजद में शामिल हो गए थे। अगले चुनाव में उनकी हार हो गई। 2020 के विधानसभा चुनाव में वे राजपुर से निर्दलीय लड़े थे। जमानत गंवा बैठे। 

2010, 2015 में बसपा से किसी की नहीं हुई जीत

जदयू के मौजूदा विधायक अमरेंद्र कुमार पांडेय का विधानसभा प्रवेश बसपा के टिकट पर ही हुआ था। 2005 में वे गोपालगंज के कटेया विधानसभा क्षेत्र से जीते थे। गोपालगंज शहरी क्षेत्र से रियाजुल हक राजू की जीत हुई थी। अमरेंद्र पांडेय पिछला चुनाव कुचायकोट विधानसभा से जदयू टिकट पर जीते। रियाजुल हक राजू गोपालगंज से राजद टिकट पर 2020 का विधानसभा चुनाव हार गए। दूसरे नम्बर पर बसपा के अनिरूद्ध प्रसाद ऊर्फ साधु यादव रहे। राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के रिश्तेदार साधु यादव एक बार गोपालगंज के विधायक रह चुके हैं। वह 2004-09 के बीच इस क्षेत्र से सांसद भी रहे हैं। 2010, 2015 के विधानसभा चुनाव में बसपा के किसी उम्मीदवार की जीत नहीं हुई थी। 10 साल बाद बिहार विधानसभा में उसका खाता खुला था। जमा खान के जदयू में शामिल होने के साथ ही वह भी बंद हो गया है।