पटना में नेताजी का भगवान कहकर जनता ने किया था स्वागत, हर लड़ाई में साथ रहने की खाई थी सौगंध
नेताजी सुभाषचंद्र बोस से पटना से सटे बाढ़ की जनता ने कहा था कि समाज को जातिवाद के घृणित प्रचार पंच से बाहर निकालें। उन्हें सौंपा गया यह अभिनंदन पत्र आज भी बिहार राज्य अभिलेखागर भवन में मौजूद है।
देश की आजादी के लिए गांव-गांव घूम रहे नेताजी सुभाषचंद्र बोस से पटना से सटे बाढ़ की जनता ने कहा था कि समाज को जातिवाद के घृणित प्रचार पंच से बाहर निकालें। उन्हें सौंपा गया यह अभिनंदन पत्र आज भी बिहार राज्य अभिलेखागर भवन में मौजूद है। इसे कुसुमांजलि प्रिंटिंग वर्कस द्वारा मुद्रित कराया गया था। नेताजी जब 1939 में बाढ़ आए थे तो स्थानीय लोगों ने उन्हें यह सौंपा था। यहां की जनता ने भगवान कहकर उनका स्वागत किया था। अपने अभिनंदन पत्र में लिखा था- 'अग्रगामी दल के अगुआ, युवकों के हृदय सम्राट, असहायों के एकमात्र संरक्षक, श्रद्धेय श्रीयुत सुभाष चंद्र बोस के पूज्य चरणों में सप्रेम समर्पित। ओ कर्मठ तपस्वी, आओ हे मेरे भान गृह के अतिथि तुम्हारा स्वागत है। भगवान हमें आज अंधकार, पदलोलुपता, स्वाथर्रपरता और कांग्रेस की आड़ में जातिवाद के घृणित प्रचार पंच से निकाल कर उस ओर ले चलो जहां से हमें आजादी का मंदिर साफ दिख पड़े। ओ मेरे वीर तपस्वी, अन्याय का प्रतिरोध करो, कांग्रेस में जातिवाद के विषवृक्ष लगाने वालों को ध्वस्त करो। इस महाहोम के लिए हम सभी नर-नारी ईंधन संग्रह कर भस्मीभूत कर दें। हे वीर यती, उस महायज्ञ के लिए हम आज आप के समक्ष सौगंध लेते हैं और आपको विश्वास दिलाते हैं कि आप इंकलाब जिंदाबाद के नारों के बीच बढ़े चलो, हम सब के सब आपके साथ हैं।
जनता का प्रेम देख भावुक हो गए थे नेताजी
बाढ़ में सभा के दौरान लोगों ने फेडरेशन-फेडरेशन के नारे लगाए थे। इसकी गूंज भारतीय राजनीति के गगन में भी गूंजी थी। बाढ़ की जनता का प्रेम देख बोस भी भावुक हो गए थे। अभिलेखागार भवन की पुराभिलेखापाल डॉ. रश्मि किरण कहती हैं कि सुभाषचंद्र बोस की जयंती पर प्रतिवर्ष अभिलेख भवन में प्रदर्शनी लगाई जाती है। इसमें बोस के जीवन से जुड़े एवं उनके बिहार के आगमन के प्रमुख दस्तावेज भी रखे जाते हैं।