मुरादाबाद : रेमडेसिविर और फैबिफ्लू की चोरी कर कालाबाजारी करने वाले गिरफ्तार
निजी अस्पतालों से चोरी करते थे, एक आरोपी कॉसमॉस, एक टीएमयू और तीन आरोपी ब्राइट अस्पताल के हैं कर्मचारी चार आरोपी गिरफ्तार, पांचवां आरोपी ब्राइट स्टार का मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव कोरोना संक्रमित होने के चलते अस्पताल में है भर्ती मझोला पुलिस ने 62 हजार रुपये, रेमडेसिविर इंजेक्शन और फैबिफ्लू टेबलेट बरामद की
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विस्तार
निजी अस्पताल से रेमडेसिविर इंजेक्शन और फैबिफ्लू टैबलेट चोरी कर बेचने वाले निजी अस्पतालों के चार कर्मचारियों को मुरादाबाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पकड़े गए आरोपियों में एक आरोपी टीएमयू मेडिकल कॉलेज, एक कॉसमॉस अस्पताल का कर्मचारी है, जबकि दो अन्य ब्राइट स्टार अस्पताल के कर्मचारी हैं। जबकि पांचवां आरोपी ब्राइट स्टार अस्पताल का मार्केटिंग एग्जिक्यूटिव है। वह फिलहाल कोरोना संक्रमित होने के कारण अस्पताल में भर्ती है। पुलिस ने अरोपियों के पास से दो रेमडेसिविर इंजेक्शन 100 एमजी, दो खाली वॉयल, दो भरी हुई सिरिंज, फैबिफ्लू टैबलेट के 12 पत्ते और 62 हजार रुपये बरामद किए हैं।
सहायक पुलिस अधीक्षक अनिल यादव ने बुधवार दोपहर पुलिस लाइन में रेमडेसिविर इंजेक्शन और फैबिफ्लू टेबलेट की कालाबाजारी का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि मुरादाबाद पुलिस की ओर से एक व्हाट्सएप नंबर जारी किया गया था। साथ ही लोगों से अपील की गई थी कि कहीं कोई इंजेक्शन या ऑक्सीजन सिलिंडर की कालाबाजारी करता है तो इसकी सूचना पुलिस को दें। ब्राइट स्टार अस्पताल में भर्ती कोरोना संक्रमित मरीज के भाई ने व्हाट्सएप पर सूचना दी थी कि अस्पताल का कर्मचारी उन्हें 25 हजार रुपये में रेमडेसिविर इंजेक्शन बेच रहा है। सूचना पर अस्पताल के बाहर पहुंची पुलिस टीम और एसओजी ने एक आरोपी कामरान को पकड़ लिया। उसने पूछताछ में बताया कि वह ब्राइट स्टार अस्पताल में नर्सिंग स्टाफ में कार्यरत है।
पूछताछ में उसने गिरोह में शामिल अन्य लोगों के नाम भी उगले। पुलिस ने दबिश देकर तीन अन्य आरोपियों को भी पकड़ लिया। एएसपी ने बताया कि आरोपी कामरान निवासी कस्बा ऊमरी थाना कांठ जनपद मुरादाबाद, दूसरा आरोपी सद्दाम हुसैन निवासी कस्बा राजपुर थाना जसपुर जनपद ऊधम सिंह नगर उत्तराखंड, तीसरा आरोपी पीयूष निवासी गंज बाजार नीम की प्याऊ थाना सदर कोतवाली जनपद रामपुर और चौथा आरोपी जीवन निवासी ग्राम ककरऊ थाना शहजाद नगर जनपद रामपुर है।
एएसपी ने बताया कि कामरान जरूरत पड़ने पर कॉसमॉस में नर्सिंग स्टाफ के पद पर कार्यरत सद्दाम हुसैन से रेमेडिसिविर इंजेक्शन और दवाएं लेता था। इसके बाद रेमेडिसिविर इंजेक्शन को जरूरतमंद लोगों को 25 हजार रुपये में बेच देता था। पीयूष ब्राइट स्टार अस्पताल में ही प्रोमोटिंग एग्जीक्यूटिव है। वह टीएमयू में कार्यरत जीवन से भी रेमेडिसिविर इंजेक्शन और फैबिफ्लू की टैबलेट खरीदकर जरूरतमंद लोगों को महंगे दामों में बेचते थे।
पांचवां साथी रिक्की ठाकुर बिलारी में नई सड़क का रहने वाला है। पुलिस का दावा है कि रिक्की ठाकुर ब्राइट स्टार अस्पताल में मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव का काम करता है। रिक्की कोरोना संक्रमित है, इसलिए वह ब्राइट स्टार अस्पताल में अपना इलाज करा रहा है। एएसपी ने बताया कि गिरफ्तार चारों आरोपियों की कोरोना जांच कराई गई थी। इसमें चारों संक्रमित पाए गए थे। दोबारा जांच कराने पर दो आरोपी पीयूष और जीवन की रिपोर्ट निगेटिव आई है।
पुलिस पूरे प्रकरण की रिपोर्ट जिला प्रशासन के जरिये शासन को भेजेगी। शासन से अनुमति मिलने के बाद रासुका में कार्रवाई की जाएगी। मझोला थाना प्रभारी मुकेश शुक्ला ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ धारा 420, 379, 411, 10/18ए/27 औषधि व प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940, 96 औषधि व प्रसाधन अधिनियम 1945, 52/53 आपदा प्रबंधन अधिनियम और तीन महामारी अधिनियम 1897 के तहत केस दर्ज किया गया है।
पुलिस ने किया सराहनीय काम
टीएमयू अस्पताल में कार्यरत नर्सिंग स्टाफ जीवन को रेमडेसिविर की कालाबाजारी के आरोप में गिरफ्तार कर पुलिस ने सराहनीय काम किया है। हम अपने प्रयासों से रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीद कर मरीजों को 1000 रुपये में उपलब्ध करा रहे हैं। इसके अतिरिक्त जो इंजेक्शन हमें सरकार की ओर से मिले हैं, उन्हें निशुल्क लगाया जा रहा है।
- अभिषेक कपूर, प्रशासनिक निदेशक।
रिक्की ठाकुर पर पहले से शक था। उसकी पहले भी शिकायतें मिलीं थीं, लेकिन पकड़ में नहीं आ रहा था। उसे पहले ही अस्पताल से निकाल दिया गया था, लेकिन अस्पताल के बाहर इर्द-गिर्द ही मंडराता रहता था। उसने ही अपने साथी पीयूष की मदद से कामरान को शामिल किया होगा।
- डा. सीपी सिंह, प्रबंध निदेशक, ब्राइट स्टार अस्पताल
हमारे अस्पताल के नर्सिंग स्टाफ में सद्दाम कार्यरत था। कोविड में दो-तीन दिन ड्यूटी पर रहा था। मरीजों की ओर से शिकायत मिली थी कि उन्हें इंजेक्शन नहीं लगाया गया है। गिनती कराने पर इंजेक्शन कम मिले थे। सद्दाम पर शक था। वो ड्यूटी करने के बाद चला गया था। इसके बाद वह नहीं लौटा।
- डा. अनुराग अग्रवाल, निदेशक, कॉसमॉस अस्पताल