दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा : ब्लैक फंगस की दवा में युवाओं को दें प्राथमिकता, वे देश का भविष्य
अदालत ने कहा कि जिस प्रकार प्रधानमंत्री को एसपीजी सुरक्षा जरूरी उसी प्रकार युवाओं की रक्षा करने की जरूरत कहा, बुजर्गों का जीवन भी महत्वपूर्ण, दवा की कमी पर भी जताई चिंता
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उच्च न्यायालय ने मंगलवार को ब्लैक फंगस की दवा की कमी को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की। अदालत ने कहा कि वे भारी दिल से केंद्र को ब्लैक फंगस के इलाज के लिए लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी दवा के वितरण पर एक नीति बनाने का निर्देश देते हैं। इस नीति में युवा पीढ़ी के रोगियों को प्राथमिकता दी जाए, जो देश का निर्माण और उसे आगे ले जा सकते हैं। अदालत ने इटली का उदाहरण दिया जहां बेड कम पड़ने पर युवाओं को प्राथमिकता देने के लिए बुजुर्गों से माफी मांगी गई।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की खंडपीठ ने कहा दवा जीवित रहने की बेहतर संभावना वाले लोगों के साथ-साथ युवा पीढ़ी को भी प्राथमिकता के आधार पर दी जानी चाहिए। अदालत ने कहा ऐसा कर हम सभी का नहीं तो कुछ लोगों के जीवन को तो बचा सकते हैं। अदालत ने साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि वे ऐसा बिल्कुल नहीं कह रहे कि बुजुर्गों का जीवन महत्वपूर्ण नहीं है। क्योंकि, बुजुर्ग व्यक्तियों द्वारा एक परिवार को प्रदान किए जाने वाले भावनात्मक स्पोर्ट को नहीं आंका जा सकता। लेकिन यह भी सत्य है कि बुजुर्ग अपना जीवन जी चुके हैं जबकि युवाओं के सामने पूरा जीवन पड़ा हुआ है।
अदालत ने प्रधानमंत्री को प्रधान एसपीजी सुरक्षा का उदाहरण देते हुए कहा कि आप देश के प्रधानमंत्री को एसपीजी सुरक्षा क्यों प्रदान करते हैं न कि दूसरों को? क्योंकि, उनके कार्यालय को इसकी जरूरत है। पीठ ने कहा, इसी तरह आप दवा पहले उन लोगों को उपलब्ध कराएं, जो समाज की सेवा कर रहे हैं। हमें अपने भविष्य की यानी अपनी युवा पीढ़ी की रक्षा करने की जरूरत है।
अदालत ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए भारी मन से यह आदेश दिया है, लेकिन हमें ऐसा करना पड़ा। पिछले दो सप्ताह से दिल्ली सहित पूरे देश में दवा की कमी है। लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी और वैकल्पिक दवा के बारे में जानकारी की कमी के कारण बड़ी संख्या में मौत हो रही है।
अदालत ने कहा कि अब समय आ गया है कि विभिन्न बीमारियों से पीड़ित रोगियों के चिकित्सा उपचार के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित करने के लिए इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) को एक सांविधिक बाडी का गठन करना चाहिए और एक स्पष्ट नीति बनानी चाहिए। यह ब्लैक फंगस के उपचार के लिए लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी, प्लेन एम्फोटेरिसिन-बी और पोसाकोनाजोल के उपयोग के बारे में स्पष्ट दिशा-निर्देश तय करें। अदालत ने कहा यह भी पता किया जाए कि मरीज को कितनी दवा की जरूरत है।
सुनवाई के दौरान अदालत ने केंद्र के उस तर्क भी नाराजगी जताई कि छह देशों से लिपोसोमल एम्फोटेरिन-बी की 2.30 लाख शीशियों की खरीद के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। अदालत ने केंद्र सरकार के वकील से पूछा कि क्या आप हमसे यहां मजाक कर रहे हैं? पिछले सप्ताह भी यहीं कहा गया था। यह अब तक नहीं बताया गया कि दवा कब मिल जाएगी।
अदालत ने केंद्र व आईसीएमआर को अपनी रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देते हुए सुनवाई 4 जून तय कर दी। इस बीच मामले में एक याची महिला वकील ने बताया कि अब उनके दादा की तबीयत ठीक है और उन्हें सर गंगा राम अस्पताल से छुट्टी प्रदान कर दी गई है। याची ने दादा के इलाज के लिए पर्याप्त संख्या में एम्फोटेरिन-बी की शीशियां उपलब्ध कराने के निर्देश की मांग की थी।