पटना जू में शेरनी उर्वशी की मौत, भारत के चिड़ियाघर में पाए जाने वाले हाइब्रिड शेरों में थी सबसे वृद्ध
संजय गांधी जैविक उद्यान में उर्वशी नाम की वृद्ध हाइब्रिड शेरनी की गुरुवार शाम मौत हो गई। वह चार दिनों से खाना नहीं खा रही थी। उसकी उम्र लगभग 18 वर्ष बताई गई है। उसके दांत टूट चुके थे और चलने-फिरने में भी लाचार हो गई थी।
संजय गांधी जैविक उद्यान की शान रही शेरनी उर्वशी ने गुरुवार की देर दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। वह बीमार थी। चार दिनों से खाना नहीं खा रही थी। उसकी उम्र 18 वर्ष बताई गई है। उसके दांत टूट चुके थे और इन दिनों वह चलने-फिरने में लाचार हो गई थी। शेरनी 2004 के फरवरी माह में बोकारो चिड़ियाघर से पटना जू लाई गई थी। चिड़ियाघर प्रशासन के अनुसार भारत के चिड़ियाघरों में के हाइब्रिड शेरों-शेरनी में उर्वशी सबसे बुजुर्ग थी।
दो साल से बीमार थी उर्वशी
उर्वशी पिछले दो साल से बीमार चल रही थी। उसका इलाज बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय के विशेषज्ञों की सलाह पर किया जा रहा था। उर्वशी सामान्य रूप से अपना जीवनकाल पूरा कर चुकी थी। उम्रदराज होने के कारण खाने में केवल चिकेन ले रही थी।
वन्य प्राणी सलाहकार समिति की अनुशंसा पर उर्वशी को पहले ही डिसप्ले से हटाकर अलग कर दिया गया था। प्राकृतिक जंगलों में शेर का जीवनकाल सामान्यत: सात से दस साल तक का ही होता है।
कराया गया पोस्टमॉर्टम, जांच के लिए भेजा गया सैंपल
उद्यान के पशु चिकित्सक सहित बिहार वेटनरी कॉलेज के विशेषज्ञों की टीम की उपस्थिति में शेरनी का पोस्टमॉर्टम कराया गया। प्रथम दृष्टया मृत्यु का कारण हृदयगति रुकना बताया गया है। विस्तृत रिपोर्ट अभी प्राप्त नहीं हुई है। मृत्यु के कारणों की जांच के लिए उसके विभिन्न अंगों जैसे लिवर, किडनी व ब्लड आदि सहित कोरोना जांच के लिए स्वॉब का सैंपल आइवीआरआइ इज्जतनगर, बरेली और बिहार वेटनरी कॉलेज, पटना को भेजा गया है।
दो माह पहले एक शेर की हुई थी मौत
पटना चिड़ियाघर में पिछले साल 23 नवंबर को शेरू नामक शेर की मौत हो गई थी। उसकी उम्र साढ़े सात साल थी। शेरू स्वस्थ था और उसे पहले से कोई बीमारी नहीं थी। मौत का कारण सेप्टीसीमिया शॉक बताया गया था।
विशेषज्ञों की सलाह पर किया जा रहा था इलाज
संजय गांधी जैविक उद्यान के निदेशक अमित कुमार ने बताया कि उर्वशी दो साल से बीमार थी। इलाज बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय के विशेषज्ञों की सलाह पर किया जा रहा था। जांच के लिए सैंपल भेजा गया है। रिपोर्ट आने पर ही मौत के कारणों का पता चलेगा।