देश का माहौल बिगाड़ने में जुटी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI व खालिस्तान समर्थित संगठन!
दिल्ली पुलिस का भी मानना है कि इतने बड़े आंदोलन को लंबे समय तक संगठित तरीके से चलाने के पीछे बड़े स्तर पर प्लानिंग व फंडिंग की जरूरत होती है। निश्चित तौर पर आंदोलन को पर्दे के पीछे से मदद मिल रही है।
सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को कृषि कानूनों को लेकर चली सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने दावा किया कि दिल्ली की सीमाओं पर लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलन में खालिस्तान समर्थक आतंकी संगठन घुस आए हैं, जिससे माहौल बिगड़ने की संभावना है। उक्त दावे से माना जा रहा है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ की शह पर खालिस्तान समर्थक संगठन देशभर में दिल्ली दंगे से भी बड़े पैमाने पर माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। पुलिस का भी मानना है कि इतने बड़े आंदोलन को लंबे समय तक संगठित तरीके से चलाने के पीछे बड़े स्तर पर प्लानिंग व फंडिंग की जरूरत होती है। निश्चित तौर पर आंदोलन को पर्दे के पीछे से मदद मिल रही है।
आंदोलन को आइएसआइ व खालिस्तान समर्थक आतंकी संगठनों द्वारा हाईजैक कर लिए जाने के इनपुट मिलने के बाद दिल्ली पुलिस व सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। दिल्ली पुलिस के इंटेलीजेंस व आइबी (इंटेलीजेंस ब्यूरो) भी उक्त संभावनाओं के मद्देनजर जांच में जुटी हुई है। काफी कुछ सुबूत मिलने की बात बताई जा रही है, लेकिन उसे अत्यंत गोपनीय रखा गया है। इंटेलीजेंस सूत्रों का कहना है कि पहले इस आंदोलन को पंजाब, हरियाणा आदि राज्यों के अमीर किसानों व आढ़तियों ने शुरू किया। धीरे-धीरे उन्होंने गरीब किसानों को भी अपने आंदोलन से जोड़ लिया।
पंजाब में चुनाव भी होने हैं जिससे कुछ राजनीतिक पार्टियों ने गरीब किसानों को शह देने में पूरी ताकत झोंक दी। जब आंदोलन ने बड़ा रूप ले लिया तब आइएसआइ ने खालिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों के जरिये आंदोलन को हवा देना शुरू कर दिया। दिसंबर के पहले हफ्ते में स्पेशल ने खालिस्तान समर्थक दो और हिजबुल मुजाहिद्दीन के तीन आतंकियों को गिरफ्तार किया था। उनसे पूछताछ में पता चला था कि पाकिस्तान, पंजाब में खालिस्तान आंदोलन को बढ़ावा दे रहा है।
इंटेलीजेंस का कहना है कि दिल्ली दंगे की भी एक महीने पहले से साजिश रचनी शुरू हो गई थी। वामपंथियों की विचार धारा से जुड़े नेताओं व चंद राजनीतिक पार्टियों ने समुदाय विशेष की छात्राओं व आम लोगों को प्रदर्शनों के दौरान उकसाने का काम शुरू कर दिया था। इसके लिए फंडिंग की गई। दंगाइयों को पैसे बांटे गए। दंगे कराने का सयम ऐसे मौके को चुना गया जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दिल्ली आए थे। ऐसा प्लान इसलिए किया गया ताकि ट्रंप के कारण विदेशी मीडिया भी दंगे को कवर करे और विश्वभर में भारत की छवि खराब हो जाए।
वहीं, दिल्ली पुलिस का कहना है कि दंगे भड़काने में अहम भूमिका निभाने वाले वामपंथी विचार धारा से जुड़े जो चेहरे नागरिकता संशोधन कानून (एनआरसी) के विरोध में चल रहे आंदोलन में शामिल थे वहीं चेहरे अब किसानों के बीच भी देखे जा रहे हैं। इन सभी को दृष्टिगत रखते हुए किसान आंदोलन पर पैनी नजर रखी जा रही है।