यहूदी एजेंसी के पूर्व अध्यक्ष और अनुभवी नेता हर्जोग बने इजराइल के राष्ट्रपति
इजराइल में राष्ट्रपति औपचारिक रूप से राष्ट्राध्यक्ष होता है और संसदीय चुनाव के बाद सरकार बनाने के लिए राजनीतिक पार्टियों से संवाद उसकी प्रमुख जिम्मेदारी होती है.
यरुशलम: वयोवृद्ध राजनेता और इजराइल के प्रमुख परिवार से ताल्लुक रखने वाले इसाक हर्जोग इजराइल के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए हैं. देश में इस पद की भूमिका अधिकतर औपचारिक ही रहती है. हर्जोग के पिता भा इजराइल के राष्ट्रपति रहे थे.
लेबर पार्टी के अध्यक्ष रहे हैं हर्जोग
इजराइल की 120 सदस्यीय संसद ‘नेसेट’ में मंगलवार को हुए गुप्त मतदान में हर्जोग राष्ट्रपति निर्वाचित हुए. हर्जोग (60) इजराइली लेबर पार्टी के पूर्व प्रमुख हैं और विपक्षी नेता हैं जिन्होंने वर्ष 2013 में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ ससदीय चुनाव लड़ा था लेकिन असफल हुए थे. वह मौजूदा राष्ट्रति रियूवन रिवलिन का स्थान लेंगे जिनका कार्यकाल अगले महीने समाप्त हो रहा है.
मजबूत यहूदी परिवार से हैं हर्जोग
हर्जोग प्रमुख इजाराइली यहूदी परिवार से संबंध रखते हैं. उनके पिता सियाम हर्जोग राष्ट्रपति चुने जाने से पहले संयुक्त राष्ट्र में इजराइल के राजदूत थे. उनके चाचा इजराइल के पहले विदेश मंत्री थे और उन्होंने संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका में इजराइली राजदूत की भूमिका निभाई थी. उनके दादा इजराइल के पहले प्रधान रब्बी (यहूदी धार्मिक नेता) थे.
यहूदी एजेंसी के प्रमुख रहे हैं हर्जोग
हर्जोग ने यहूदी एजेंसी के प्रमुख की भूमिका निभाई थी. यह एजेंसी गैर लाभकारी संस्था है जो सरकार के साथ इजराइल में आव्रजन को प्रोत्साहित करने के लिए काम करती है. वह संसद से इस्तीफा देने के बाद गत तीन साल से इस एजेंसी के साथ काम कर रहे हैं. उनके राजनीतिक अवस्थापना से गहरे संबंध है. मतदान से पहले ही उनके जीतने की संभावना जताई जा रही थी.
औपचारिक राष्ट्राध्यक्ष होते हैं राष्ट्रपति
इजराइल में राष्ट्रपति औपचारिक रूप से राष्ट्राध्यक्ष होता है और संसदीय चुनाव के बाद सरकार बनाने के लिए राजनीतिक पार्टियों से संवाद उसकी प्रमुख जिम्मेदारी होती है. इजराइल में राजनीतिक संकट के बीच गत दो साल में चार बार संसदीय चुनाव हो चुके हैं.
राष्ट्रपति के पास माफी देने का अधिकार
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के विरोधियों के पास नयी गठबंधन सरकार बनाने के लिए बुधवार मध्य रात्रि तक मौका है और अगर वे असफल होते हैं तो देश एक बार फिर मध्यावधि चुनाव करवाने की नौबत उत्पन्न होगी. राष्ट्रपति के पास माफी देने का भी अधिकार होता है और इस समय यह बहुत संवेदनशीन मामला है क्योंकि नेतन्याहू के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई मामलों में सुनवाई चल रही है.