दिल्ली के कालकाजी मंदिर में महिला को मिला पूजा कराने का अधिकार, फैसले में HC ने की यह टिप्पणी

न्यायमूर्ति प्रतिबा एम. सिंह की पीठ के इस फैसले के बाद कमलेश शर्मा द्वारा नियुक्त पुजारी राकेश भारद्वाज ने छह फरवरी से पूजा संस्कार शुरू कर दिया है। साथ ही पीठ ने दानपत्र को नियंत्रित करने समेत अन्य निर्देश दिए हैं।

दिल्ली के कालकाजी मंदिर में महिला को मिला पूजा कराने का अधिकार, फैसले में HC ने की यह टिप्पणी

राजधानी दिल्ली के कालकाजी मंदिर में पूजा संस्कार कराने का अधिकार एक महिला को मिला है। दिल्ली हाई कोर्ट ने साकेत कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें इसी साल 16 जनवरी के फैसले में कहा गया था कि प्रतिवादी कमलेश शर्मा (62) दिवंगत पिता कालीचरण की कानूनी उत्तराधिकारी और मंदिर में पिता के 1/6 शेयर की हकदार हैं। ऐसे में कमलेश अपनी बारी आने पर मंदिर में पूजा सेवा, तहबाजारी और अन्य कलेक्शन करने की हकदार हैं। हालांकि, आदेश में यह भी कहा गया था कि मंदिर संस्कार के तहत अगर पुरुष ही पूजा सेवा कर सकता है तो महिला अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए परिवार के पुरुष को पूजा सेवा के लिए नियुक्त कर सकती है।

न्यायमूर्ति प्रतिबा एम. सिंह की पीठ के इस फैसले के बाद कमलेश शर्मा द्वारा नियुक्त पुजारी राकेश भारद्वाज ने छह फरवरी से पूजा संस्कार शुरू कर दिया है। साथ ही पीठ ने दानपत्र को नियंत्रित करने समेत अन्य निर्देश दिए हैं। उसने कहा है कि कोर्ट रिसीवर द्वारा मंदिर के सभी दानपत्रों को लाक किया जाएगा और चाबी भी उनके पास रहेगी। दानपत्रों को कोर्ट रिसीवर के सामने तय किए गए दिन में खोला जाएगा। दानपत्र की धनराशि का 1/6 शेयर वादी कमलेश को दिया जाएगा और रिक्त धनराशि हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के खाते में रखा जाएगा। पीठ ने यह निर्देश याचिकाकर्ता नीता भारद्वाज द्वारा निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर दिया। अदालत ने 25 फरवरी को होने वाली अगली सुनवाई तक मंदिर परिसर में लगे होर्डिग को हटाने का निर्देश दिया। कोर्ट रिसीवर से कहा कि वे 12 अप्रैल तक अपनी अंतरिम रिपोर्ट दाखिल कर सकते हैं। कालकाजी मंदिर में विभिन्न पक्षकार बारी-बारी से पूजा संस्कार कराते हैं और हर महीने यह बारी बदलती है।

याचिकाकर्ता नीता भारद्वाज ने 16 जनवरी, 2021 को साकेत कोर्ट द्वारा दिए गए एक फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। नीता भारद्वाज समेत अन्य ने दलील दी कि बतौर पुरुष कानूनी उत्तराधिकारी होने के कारण उन्हें पूजा सेवा करने की प्रक्रिया जारी रखने की अनुमति दी जाए और वे प्रतिवादी कमलेश को उनका 1/6 शेयर दे देंगे। दलील दी कि महिला होने के कारण कमलेश को उनकी तरफ से पुजारी नियुक्त करने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए।

लोकल कमिश्नर की रिपोर्ट में हैरान करने वाले तथ्य

लोकल कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट में पीठ को बताया कि एक गुट मंदिर को वाणिज्यिक उपक्रम की तरह चला रहा है। मंदिर में पूजा संस्कार के अधिकार की नीलामी की जाती है और कोई तीसरा पक्ष पूजा संस्कार करवाता है। कुल 38 दानपत्र हैं और यह स्पष्ट नहीं है कि ये किसके नियंत्रण में हैं।

पहली बार लागू हुआ महिला को मिला अधिकार

कमलेश के अधिवक्ता रोहित के नागपाल और दीपांशु गाबा ने बताया कि कालकाजी मंदिर मामले में पहली बार एक महिला का अधिकार लागू हुआ है। इस संबंध में हाई कोर्ट ने इससे पहले यूएन भारद्वाज बनाम वाइएन भारद्वाज के मामले में वर्ष 2010 और वर्ष 2015 में भी आदेश दिया था, लेकिन दोनों पक्षों के बीच समझौता होने के कारण लागू नहीं हो सका था।