दिल्ली का हाल : 57 लाख यात्री बे-बस, निकाले निजी वाहन, सड़कों पर पसरा जाम

बंदिशों के साथ चल रही सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था से आम दिनों की तुलना में बमुश्किल 20 फीसदी यात्री कर पा रहे सफर मेट्रो स्टेशन के इंट्री गेट और बस स्टॉप पर रहती है लंबी लाइन, इससे बचने के लिए खुद के वाहन से चलना बनी मजबूरी, सड़क पर बढ़ा वाहनों का दबाव

दिल्ली का हाल : 57 लाख यात्री बे-बस, निकाले निजी वाहन, सड़कों पर पसरा जाम

विस्तार
अनलॉक-6 में प्रवेश करने वाली दिल्ली में इस वक्त तकरीबन 57 लाख मुसाफिर बे-बस हैं। 50 फीसदी क्षमता से चलने की बंदिश से मेट्रो व बस में दैनिक यात्रियों को प्रवेश की इजाजत नहीं मिल रही है। इससे मजबूरन इन्हें अपने वाहनों को सहारा लेना पड़ा है। इसका असर सोमवार को दिल्ली की सड़कों पर दिखा। पीक आवर्स में ज्यादातर सड़कों पर वाहन रेंगते हुए आगे बढ़ रहे थे।


दरअसल, कोरोना काल से पहले दिल्ली में मेट्रो व बसों से रोजाना औसतन करीब 75 लाख यात्री सफर करते थे। लॉकडाउन से मेट्रो और बसों के पहिये थम थे। संक्रमण का असर कम होते ही दिल्ली सरकार ने अनलॉक की प्रक्रिया शुरू की है। शहर की ज्यादातर गतिविधियां खुल गई हैं। इससे आम लोग घरों से बाहर निकल रहे हैं।


बावजूद इसके अभी भी मेट्रो व बसों मुसाफिरों की संख्या 20 लाख से कम है। विशेषज्ञ बताते हैं कि सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था की बंदिश से बचने के लिए लोग अपने वाहन का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसमें ज्यादातर बाइक सवार हैं। इस वक्त लगने वाला जाम निजी वाहनों का इस्तेमाल बढ़ने का नतीजा है।

करीब 20 फीसदी यात्री कर रहे हैं सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल 
अनलॉक में तमाम गतिविधियों पर छूट के बीच सार्वजनिक परिवहन में 50 फीसदी क्षमता के साथ यात्रा की इजाजत है। मेट्रो की एक कोच में 25 यात्री ही सीटों पर बैठ सकते हैं। जबकि लॉकडाउन से पहले मेट्रो की एक कोच में 250-300 यात्री सफर करते थे। दूसरी तरफ पहले बसों में 70-80 के बीच होती थी। इस वक्त 17 यात्रियों को ही प्र्रवेश की इजाजत है। दोनों माध्यमों से इस वक्त करीब 20 फीसदी कम रह गई है।

मेट्रो-बस के अंदर पाबंदी, बाहर फिर मंडरा रहा है संक्रमण का खतरा
संक्रमण से बचाव के लिए लागू एहतियातों के कारण परिवहन विकल्पों(बस, मेट्रो)में तो पाबंदी लागू है। मगर, बस स्टॉप और मेट्रो स्टेशनों के बाहर सामाजिक दूरी की धड़ल्ले से हो रही अनदेखी से संक्रमण के प्रसार में कमी के बजाय बढ़ने का खतरा फिर मंडराने लगा है। अगर मेट्रो और बसों के बाहर भी नियमों का सख्ती से पालन किया जाए तो ही हालात को काबू करने में मदद मिल सकती है।

परिवहन साधन    लॉकडाउन से पहले यात्री       अनलॉक में
मेट्रो                    31 लाख                                3 लाख
डीटीसी बसें            30 लाख                            10 लाख 
क्लस्टर बसें            14 लाख                             5 लाख 
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कुल                     75 लाख                               18 लाख
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नोट: मेट्रो में दैनिक यात्रियों की संख्या औसत है।

रेड लाइट पर तार-तार होती सोशल डिस्टेंसिंग
कोविड की वजह से हर जगह तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए कड़ाई की जा रही है। यहां तक कि बाजारों को बंद भी किया जा रहा है। लेकिन ट्रैफिक जाम की समस्या की वजह से रेड लाइट पर अचानक से सौ से अधिक मोटरसाइकिल सवार जमा हो जोते है। विभिन्न इलाके से पहुंचने वाले बाइक सवार मास्क और हैलमेट तो पहने होते है लेकिन उमस भरी गर्मी की वजह से रेड लाइट पर हैलमेट के शीशे भी उपर लोग कर लेते है। यहां से संक्रमण फैलने की ज्यादातर संभावनाए है।
रूट अलग- हाल एक सा
. रूट-1: द्वारका सेक्टर-एक से गोल मार्केट
. दूरी-21 किलोमीटर
. समय: 1.50
. आम दिनों में लगने वाला समय: एक घंटे

पांच बड़ी अड़चन:
. धौला कुआं से 11 मूर्ति की दूरी सात किलोमीटर रेंग रहा था ट्रैफिक।
. द्वारका फ्लाईओवर पर वाहनों का जाम, 15 मिनट का समय हुआ जाया।
. कौटिल्य मार्ग लाइट पर पांच मिनट का अधिक इंतजार।
. धौला कुआं से 11 मूर्ति के बीच ट्रैफिक में 10 से अधिक बसें, 500 से अधिक बाइक तो कारों की संख्या भी 80-100 रही।
. आरएमएल गोल चक्कर के पास भी वाहनों की लंबी लाइन, निकलना रहा मुश्किल।

. रूट-2 दिल्ली यूनिवर्सिटी से गोलमार्केट
. दूरी:करीब 13 किलोमीटर
. आम दिनों में लगने वाला समय: 35 मिनट
. सोमवार को लगा समय 1:30 घंटा

पांच बड़ी अड़चन:
. दिल्ली युनिवर्सिटी ट्रैफिक फंसा, लगा लंबा समय।
. तीस हजारी ट्रैफिक जाम से आगे नहीं बढ़ सके वाहन।
. रानी झांसी फ्लाइओवर पर भी रेंग रहा  था ट्रैफिक।
. झंडेवालाना मंदिर व पंचकुइयां का पार करना नहीं रहा आसान।
. पूरे रास्ते ट्रैफिक हेवी रहने से रेंगते हुए निकल रहे थे वाहन।

. रूट नंबर-3: लक्ष्मी नगर से गोल मार्केट
. लक्ष्मी नगर से गोल मार्केट की दूरी 9.2 किलोमीटर।
. आम दिनों में ऑटो से गोल मार्केट पहुंचने का समय 22 मिनट।
. सोमवार को लगा समय 1.30 घंटा।

पांच बड़ी अड़चन:
. आईटीओ के लालबत्ती होने की वजह से दो किलोमीटर तक लगी वाहनों की कतार- निकलने में लगे एक घंटा
. रास्ते में वाहनों का खराब होने से-लेन में चल रहे वाहनों को आगे निकलने में हुई दिक्कत
. दीनदयाल उपाध्याय मार्ग के लालबत्ती होने की वजह से-यहां से निकलने में लोगों को जाम का सामना करना पड़ा
. मिंटो रोड की लालबत्ती पर भी लगी वाहनों की कतार
. कनॉट प्लेस में वाहन की लंबी लाइन-रेंग रेंग कर चल रहे थे वाहन