दिल्ली हाईकोर्ट का निर्देश : महामारी में अनाथ हुए बच्चों की जानकारी जुटाए सरकार, पुनर्वास जरूरी

अदालत ने कहा एक या दोनों माता-पिता की मौत के कारण ऐसे बच्चे की सहायता जरूरी

दिल्ली हाईकोर्ट का निर्देश : महामारी में अनाथ हुए बच्चों की जानकारी जुटाए सरकार, पुनर्वास जरूरी

विस्तार
हाईकोर्ट ने कोविड-19 महामारी में अनाथ हो चुके नाबालिगों के संबंध में विस्तृत  जानकारी जुटाने के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा एक या दोनों माता-पिता की मौत के कारण ऐसे बच्चे के पुनर्वास व सहायता की जरूरत हैं। अदालत ने दिल्ली सरकार के प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) से कहा है कि वे सभी अस्पतालों को निर्देश जारी करें कि वे उन मरीजों की जानकारी दें जिनमें एक या दोनों बड़ो की मौत हो चुकी हो। वहीं, दिल्ली सरकार ने बताया कि हेल्पलाइन नंबरों के प्रचार के लिए प्रोफेशनल एंकर शम्मी  नारंग की सहायता ली जा रही है।


न्यायमूर्ति विपिन सांघी और जसमीत सिंह की पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि एक या दोनों माता-पिता को खोने से न केवल बच्चों को नुकसान पहुंचाता है। अदालत ने दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों को निर्देश दिया कि वे सभी रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशनों, पुलिस स्टेशनों, स्कूलों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और अस्पतालों से उन बच्चों के बारे में जानकारी ले जिनके एक या दोनों माता-पिता की मृत्यु हो चुकी है।


अदालत ने दिल्ली सरकार के प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) से कहा गया है कि वे यहां के सभी अस्पतालों को निर्देश जारी करें कि वे मरीजों की जानकारी दें, जहां एक या दोनों माता-पिता की मृत्यु हो गई और उनके बच्चे अनाथ हो गए। अदालत ने उन्हें महिला एवं बाल विकास विभाग को मौत की घटना की जानकारी तुंरत देने को कहा है।

पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि जिस तरह जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र अनिवार्य हैं, उसी तरह राज्यों के लिए यह भी जरूरी है कि वे अनाथ बच्चों की जानकारी इकट्ठा करें और कानून के तहत जरूरत के अनुसार इसे गोपनीय रखें। अदालत ने यह टिप्पणी गैर सरकारी संगठन बचपन बचाओ आंदोलन की ओर से पेश अधिवक्ता प्रभाषा कौर के उस तर्क पर की, जिसमें उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान अनाथ हो गए बच्चों की संख्या और उनकी पहचान के बारे में जानकारी का पूरा अभाव है। उन्होंने कहा कि डीसीपीसीआर के अनुसार ऐसे 1436 बच्चे हैं, जिन्होंने दिल्ली में एक या दोनों माता-पिता को खो दिया है।, वहीं बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने ऐसे 15 बच्चों की जानकारी दी है।

दिल्ली सरकार की वरिष्ठ अधिकारी रश्मि सिंह ने बताया कि परिवार के कई सदस्य ऐसे हैं जो अपने बच्चों का ब्योरा देने को तैयार नहीं है। दिल्ली सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा कि सरकार ऐसे बच्चों को अनुग्रह राशि प्रदान करने के लिए एक नीति बना रही है, जिन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया है। उन्होंने माना कि बच्चों के रिश्तेदारों के लिए कुछ काउंसलिंग की भी आवश्यकता है।

विशेष जरूरतों के बच्चों के लिए मोबाइल मेंटल हेल्थ यूनिट 
विशेष जरूरतों वाले कोविड पॉजिटिव बच्चों के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराने के मुद्दे पर अधिवक्ता कौर ने कहा कि आईएचबीएएस इस संबंध में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। आईएचबीएएस के निदेशक डॉ. निमेश जी देसाई ने अदालत को बताया कि वे मोबाइल मेंटल हेल्थ यूनिट (एमएमएचयू) के विस्तार की प्रक्रिया में हैं, जो हर जिले में उपलब्ध होगी और दिल्ली सरकार द्वारा आवश्यक मंजूरी दे दी गई है। उन्होंने कहा कि कोविड बच्चों के लिए आठ आइसोलेशन बेड व आठ कोविड केयर बेड की व्यवस्था की गई है। अदालत ने माना कि इससे बच्चों को उनके घर पर सुविधा मिलेगी।