पूर्व मंत्री देवकुमार धान ने केंद्रीय धुमकुड़िया भवन पर CM सोरेन को लिखी चिट्ठी, जानें उठाई क्या मांग
पूर्व मंत्री देवकुमार धान ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र भेजा हैं। इसमें करमटोली चौक स्थित प्रस्तावित केंद्रीय धुमकुड़िया भवन के निर्माण के लिए आवंटित डेढ़ करोड़ रुपये को बढ़ाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि झारखंड एक आदिवासी बहुल राज्य है। राजधानी रांची में सचिवालय, उच्च न्यायालय समेत अनेक महत्वपूर्ण कार्यालय होने के कारण राज्य के विभिन्न जिलों के आदिवासियों को रांची में काम के लिए आना पड़ता हैं। इनके रांची प्रवास के दौरान इन्हें रहने-खाने सहित अन्य कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में राजधानी में एक केंद्रीय धुमकुड़िया का निर्माण कराया जाना सराहनीय व स्वागत योग्य हैं।
सरकार के निर्णय का स्वागत तो किया पर कहा कि धुमकुड़ियां भवन के लिए कम राशि आवंटित होने से योजना के अनुरूप निर्माण हो पाना असंभव प्रतीत हो रहा हैं। देवकुमार ने कहा कि निर्माण का उद्देश्य है कि 32 आदिवासी जातियों के लिए एक राज्यस्तर की अतिथिशाला हो। उनके लिए एक राज्यस्तरीय बैठक हॉल हो। जहां पर वे विभिन्न मुद्दों पर बैठक कर सके। इसके अलावा यह जगह जनजाति समुदाय के कला संस्कृति, उनके परंपरा का एक केंद्रबिंदु हो, जहां पर उनकी भाषा, कला संस्कृति, परंपरा को एक जगह सुरक्षित रखा जा सके। इसके अलावा यहां एक देशस्तरीय आदिवासी पुस्तकालय भी हो।
पूर्व मंत्री ने बताया कि रांची में मुसलमानों के हज हाउस का निर्माण 55 करोड़ रुपये की लागत से की गई। जबकि इस राज्य में मुसलमानों की आबादी महज 14 फीसदी हैं, परंतु यह दुर्भाग्य की बात है कि झारखंड आदिवासी बहुल राज्य में आदिवासी मुख्यमंत्री के रहते हुए आदिवासियों के लिए केंद्रीय धुमकुड़िया के निर्माण में महज डेढ़ करोड़ रुपये आवंटित किया गया है। इसलिए मांग है कि कम-से-कम 100 करोड़ रुपये आवंटित की जाए।