होल्डिंग टैक्स के बकाये ने बिगाड़ा पटना नगर निगम का हाल, वसूली के लिए चलेगा बड़ा अभियान
पटना नगर निगम बकाया होल्डिंग टैक्स के कारण गंभीर परेशानी से गुजर रहा है। राजस्व में कमी के कारण निगम महत्वपूर्ण योजनाओं को अमलीजामा पहनाने में परेशानी अनुभव कर रहा है। साथ ही इससे नियमित खर्चों पर भी असर पड़ रहा है।
पटना नगर निगम (Patna Municipal Corporation) बकाया होल्डिंग टैक्स (Holding Tax) के कारण गंभीर परेशानी से गुजर रहा है। राजस्व (Revenue Sources) में कमी के कारण निगम महत्वपूर्ण योजनाओं को अमलीजामा पहनाने में परेशानी अनुभव कर रहा है। साथ ही इससे नियमित खर्चों पर भी असर पड़ रहा है। निगम से जुड़े सूत्रों की मानें तो 28 जनवरी से निगम बड़े बकायेदारों के खिलाफ सख्ती बरतने के मूड में है। निगम ने इसके लिए 17 बड़े बकायेदारों की सूची बनाई है। निगम के बकायेदारों में राज्य सरकार के विभाग भी शामिल हैं।
सरकारी विभागों को तीन हफ्ते में बकाया भुगतान करने का हाईकोर्ट का आदेश
पटना हाइकोर्ट (Patna High Court) ने राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वे उच्चाधिकारियों के साथ बैठक कर यह सुनिश्चित करें कि जितने भी विभागों को पटना नगर निगम को बकाया भुगतान करना है। उसका भुगतान तीन सप्ताह में हो जाए। मुख्य न्यायाधीश संजय करोल व न्यायाधीश एस कुमार की खंडपीठ ने अधिवक्ता मयूरी की लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। सुनवाई के दौरान नगर विकास सचिव आनंद किशोर मौजूद थे। उन्होंने कोर्ट को बताया कि 13वें वित्त आयोग की अनुसंशित 204 करोड़ रुपये की रकम पटना नगर निगम को दे दिया गया है। खंडपीठ ने राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिया कि निगम के लिए 15वीं स्टेट फाइनांस कमीशन अनुशंसित राशि कब तक मिलेगी। इसकी जानकारी अगली सुनवाई तक कोर्ट को दें।
सुनवाई के दौरान पटना नगर निगम को भी चार बातों की जानकारी कोर्ट में पेश करने को कहा है कि निगम के क्षेत्र में ऐसे कितने होल्डिंग हैं जो म्युनिसिपल टैक्स नेट में नहीं आते और उन्हेंं टैक्स के दायरे में कबतक लाया जाएगा? निगम के क्षेत्र में ऐसे कितने होल्डिंग हैं, जो आवासीय तौर पर अंकित हैं लेकिन जिसका उपयोग व्यावसायिक हो रहा है। निगम को यह भी बताना है कि आवासीय मकानों के जितने हिस्से में व्यावसायिक काम हो रहा हैं, वहां कॉमर्शियल रेट पर टैक्स लेने के लिए निगम की ओर से क्या किया जा रहा है। ये सभी आंकड़े को निगम हलफनामे पर तीन सप्ताह में दायर करेगी। मामले की अगली सुनवाई तीन हफ्ते में फिर होगी।