कांग्रेस में 'नाट आउट' कैप्टन के साथ सुलह फार्मूले पर मशक्कत, समाधान की बढ़ी उम्मीद
पंजाब कांग्रेस का घमासान सुलझाने के लिए गठित समिति के साथ शुक्रवार को हुई मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की बैठक के बाद पार्टी के शीर्ष हलकों में उठापटक का समाधान निकलने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। पढ़ें यह स्पेशल रिपोर्ट...
पंजाब कांग्रेस का घमासान सुलझाने के लिए गठित समिति के साथ शुक्रवार को हुई मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की बैठक के बाद पार्टी के शीर्ष हलकों में उठापटक का समाधान निकलने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। समझा जाता है कि समिति के समक्ष बेशक कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नवजोत सिंह सिद्धू समेत विरोधी खेमे के नेताओं के अधिकतर आरोपों का सुबूतों समेत तगड़ा जवाब दिया। मगर पंजाब के अगले चुनाव में कांग्रेस के हित में सबको साथ लेकर चलने के लिए अपना रुख कुछ लचीला रखने का भी संकेत दिया।
इतना ही नहीं कैप्टन ने हाईकमान की ओर से गठित समिति को यह बताने से भी गुरेज नहीं किया कि सूबे के चुनाव में कांग्रेस की कामयाबी के लिए उनकी तैयारी पूरी और पुख्ता है। बताया जाता है कि गतिरोध के हल के लिए कैप्टन पंजाब कैबिनेट और प्रदेश कांग्रेस में बदलाव के विकल्पों के खिलाफ नहीं हैं।
पार्टी की अंदरूनी उठापटक को लेकर कैप्टन सहित तमाम नेताओं-विधायकों से चर्चा के बाद कांग्रेस नेतृत्व अब सिद्धू और दूसरे विरोधी खेमे के नेताओं को पंजाब कैबिनेट और कांग्रेस संगठन में समायोजित करने के फार्मूले पर मंत्रणा करने लगा है। राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अगुआई वाली तीन सदस्यीय समिति के साथ अपनी करीब तीन घंटे तक चली बैठक के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपनी बातचीत का ब्योरा तो नहीं दिया मगर इशारों में ही मौजूदा अंदरूनी गतिरोध का समाधान निकलने का संकेत दिया।
वहीं पार्टी हाईकमान से जुड़े सूत्रों ने भी पुष्टि की कि कैप्टन से चर्चा के दौरान खड़गे समेत समिति के सदस्यों ने सिद्धू और अन्य नाराज नेताओं को साधने और साथ लेकर चलने के विकल्पों पर भी चर्चा की। इस दौरान कैप्टन ने सरकार के संचालन से लेकर कांग्रेस के चुनाव प्रबंधन के लिए किए गए अपने प्रयासों और आगे की तैयारियों की पूरी रूपरेखा के साथ इस बात का संदेश तो दे ही दिया कि उठापटक के समाधान के लिए व्यावहारिक सियासी फार्मूले के विकल्पों पर उन्हें एतराज नहीं और वे गौर भी करेंगे लेकिन उनके नेतृत्व को कमजोर करने का कोई प्रयास और फार्मूला स्वीकार नहीं होगा।
सूत्रों ने बताया कि सुलह फार्मूले के तहत घमासान खत्म करने के लिए पंजाब मंत्रिमंडल में फेरबदल किया जा सकता है और नवजोत सिद्धू को उपमुख्यमंत्री के ओहदे के साथ दोबारा सरकार में लाया जा सकता है। कैबिनेट के कुछ अन्य चेहरों की अदला-बदली भी संभव है। वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ की जगह संगठन की कमान नए चेहरे को सौंपने के विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है। जाखड़ प्रदेश अध्यक्ष का अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं और उन्हें सरकार में जगह मिल सकती है।
संकट समाधान के लिए गठित कांग्रेस की समिति में खड़गे के अलावा पंजाब कांग्रेस के प्रभारी महासचिव हरीश रावत और दिल्ली के वरिष्ठ नेता जयप्रकाश अग्रवाल शामिल हैं। बीते छह दिनों में समिति ने सिद्धू समेत पंजाब कांग्रेस के दर्जनों नेताओं, विधायकों और सांसदों से पार्टी के मौजूदा संकट को लेकर बातचीत की है। सिद्धू ने भी दो दिन पहले समिति के समक्ष कैप्टन के खिलाफ अपने रुख को दोहराते हुए इस जंग में झुकने के संकेत नहीं दिए थे।
हालांकि पार्टी सूत्रों का कहना है कि राजनीतिक व्यावहारिकता का तकाजा है कि पंजाब के अगले चुनाव और सूबे में कैप्टन की छवि को देखते हुए उनके नेतृत्व को अस्थिर करना न संभव है और न ही मुनासिब। इसीलिए पंजाब के नेताओं से हुई इस बातचीत के लब्बोलुआब से समिति ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को भी अनौपचारिक रूप से रूबरू कराया है।
समिति अब समाधान के विकल्पों के साथ अपनी रिपोर्ट तैयार कर रही है और इस हफ्ते के आखिर या अगले सप्ताह यह रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंप दी जाएगी। इसके बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह की सोनिया गांधी से मुलाकात की संभावना है, जिसमें समाधान का अंतिम फार्मूला निकलने की उम्मीद है।