घबराएं नहीं, टीकाकरण के बाद सामान्य हैं हल्के प्रतिकूल असर
अमेरिका में करीब एक महीने से चल रहे टीकाकरण के दौरान फाइजर की खुराक लेने वाले 4400 लोगों में प्रतिकूल असर दिखे हैं। इनमें से 21 लोगों को एनाफाइलैक्सिस यानी तीव्र ग्राहिता की समस्या हुई जो गंभीर मानी जाती है।
कोरोना संक्रमण के खिलाफ भारत समेत दुनिया के कई देशों में टीकाकरण अभियान रफ्तार पकड़ने लगा है। इसके साथ ही वैक्सीन के प्रतिकूल असर भी सामने आने लगे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे प्रतिकूल असर न सिर्फ अपेक्षित हैं, बल्कि ये इशारा करते हैं कि वैक्सीन उम्मीद के अनुरूप काम कर रही है। वास्तविकता यह है कि दुनियाभर में दी जा रही दूसरी बीमारियों की वैक्सीन के भी प्रतिकूल असर सामने आते हैं।
वैक्सीन से नहीं जुड़े हैं सभी प्रतिकूल असर : विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने वैक्सीन के प्रतिकूल असर पर आधारित एक प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार किया। इसमें यह बात सामने आई कि अगर राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के दौरान वैक्सीन का इस्तेमाल सही तरीके से किया जाए तो वे पूरी तरह सुरक्षित और प्रभावी हैं। कोई भी वैक्सीन पूरी तरह जोखिम रहित नहीं है। सभी वैक्सीन प्रतिकूल असर छोड़ती हैं। हालांकि, टीकाकरण के बाद होने वाले किसी भी प्रतिकूल असर के लिए इसका व्यापक संदर्भो में इस्तेमाल किया जाता है।
टीकाकरण के बाद होने वाली सभी प्रकार की चिकित्सकीय परेशानियां वैक्सीन से जुड़ी नहीं होतीं। कुल पांच प्रकार के प्रतिकूल असर चिह्नित किए गए हैं, जिनमें दो उत्पादन या टीकाकरण अभियान के दौरान की कमियों की वजह से सामने आ सकते हैं। बाकी तीन प्रकार के प्रतिकूल असर टीकाकरण के दौरान मानवीय भूल या टीका लेने वाले व्यक्ति के तनाव से जुड़े हो सकते हैं। ये प्रतिकूल असर कई बार जानलेवा भी हो सकते हैं। हालांकि, आमतौर पर हल्के असर ही सामने आते हैं।
सफल व प्रचलित वैक्सीन भी करती हैं प्रतिकूल असर : डब्ल्यूएचओ के अनुसार, आम प्रयोग में आने वाली सफल वैक्सीन भी कुछ लोगों पर कुछ प्रतिकूल असर छोड़ती हैं। खसरा, मम्प्स (कंठमाला) व रूबेला (एमएमआर) की वैक्सीन भी 10 फीसद लोगों को दर्द व सुई लेने के स्थान पर सूजन जैसे हल्के प्रतिकूल असर छोड़ती हैं। 5-15 फीसद लोगों को तो बुखार भी आ जाता है। यहां तक कि पिलाई जाने वाली पोलियो वैक्सीन से भी एक फीसद लोगों को बुखार हो सकता है। प्रयोग में आने वाली सामान्य वैक्सीन के भी गंभीर असर सामने आए हैं, लेकिन ऐसे मामले बेहद कम हैं। पिलाई जाने वाली पोलियो वैक्सीन के प्रतिकूल असर (वीएपीपी) से लकवा मार सकता है, लेकिन ऐसा 27 लाख में से किसी एक खुराक के बाद होता है।
दुनियाभर में कोविड-19 वैक्सीन के गंभीर प्रतिकूल असर की आशंका बेहद कम : अमेरिका में लगभग 1.3 करोड़ लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाई जा चुकी है। भारत में भी चार लाख से ज्यादा लोगों का टीकाकरण हो चुका है। दुनियाभर की बात करें तो करीब चार करोड़ लोग कोरोना वैक्सीन ले चुके हैं। टीकाकरण के बाद प्रतिकूल असर भी सामने आ रहे हैं, लेकिन ये एक विशेष प्रकार की वैक्सीन से जुड़े हैं और बहुत कम संख्या में लोग गंभीर रूप से पीड़ित हुए हैं।