दिल्ली: मुख्य सचिव से मारपीट मामले में सीएम केजरीवाल और 10 अन्य विधायक बरी, सिसोदिया बोले- यह सत्य की विजय है

सांसदों, विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए गठित कोर्ट के अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सचिव गुप्ता ने अपने फैसले में कहा कि पेश तथ्यों, साक्ष्यों व गवाहों के बयानों से स्पष्ट नहीं है कि मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री ने अन्य विधायकों को मारपीट के लिए उकसाया।

दिल्ली: मुख्य सचिव से मारपीट मामले में सीएम केजरीवाल और 10 अन्य विधायक बरी, सिसोदिया बोले- यह सत्य की विजय है

विस्तार
अदालत ने पूर्व मुख्य सचिव अंशु प्रकाश से मारपीट मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सहित 11 विधायकों को बड़ी राहत प्रदान कर दी। अदालत ने कहा कि इन सभी के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए ठोस साक्ष्य नहीं है, ऐसे में वे सभी को मामले से आरोपमुक्त करते हैं। वहीं अदालत ने दो अन्य विधायकों अमानतुल्ला खान, प्रकाश जारवाल के खिलाफ अभियोग तय कर दिए।


सांसदों, विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए गठित कोर्ट के अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सचिव गुप्ता ने अपने फैसले में कहा कि पेश तथ्यों, साक्ष्यों व गवाहों के बयानों से स्पष्ट नहीं है कि मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री ने अन्य विधायकों को मारपीट के लिए उकसाया। इसके अलावा ऐसा भी कोई साक्ष्य नहीं है कि आरोपी बनाए गए विधायकों ने पीड़ित अंशु प्रकाश के साथ मारपीट, धक्कामुक्की इत्यादि अपराध किया। ऐसे में उनके खिलाफ अभियोग तय करने का कोई आधार नहीं है।


अदालत ने केजरीवाल, सिसोदिया के अलावा विधायक नितिन त्यागी, ऋतुराज गोविंद, संजीव झा, अजय दत्त, राजेश ऋषि, राजेश गुप्ता, मदन लाल, परवीन कुमार और दिनेश मोहनिया को आरोपमुक्त किया है। सुनवाई के दौरान सरकारी वकील अतुल श्रीवास्तव ने तर्क दिया था कि प्रकाश पर कथित हमला एक दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक घटना थी, जहां राज्य के सबसे वरिष्ठ अधिकारी को आपराधिक रूप से धमकाया गया और हमला किया गया।

उन्होंने कहा कि कथित हमला सीएम आवास पर हुआ, जहां 11 विधायकों ने अंशु प्रकाश के साथ बैठक की थी। उन्होंने कहा हम कहते हैं अति देवो भव, जहां मेहमानों के साथ सम्मानजनक व्यवहार किया जाना चाहिए, लेकिन उनके साथ ऐसा व्यवहार किया गया।

केजरीवाल व अन्य पर यह आरोप लगाया गया था कि बैठक में नौकरशाह को एक निश्चित बात पर सहमति देने के लिए मजबूर किया गया था। यह तर्क दिया गया था, उन्हें दो व्यक्तियों द्वारा धमकाया गया और हमला किया गया। प्रकाश की चिकित्सा रिपोर्ट में उनके चोटों की पुष्टी हुई थी। 
पुलिस ने इस मामले में केजरीवाल व 12 अन्य के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा पंहुचाने, सरकारी अधिकारी के डयूटी के दौरान हमला करने, सरकारी डयूटी के दौरान मारपीट करने, बंधक बनाने, उनकी प्रतिष्ठा खराब करने व आपराधिक षडयंत्र रचने इत्यादि के तहत धारा 186/323/332/342/353/504/506/120बी/109/114/149/34 आरोप में मामला दर्ज किया था।

पुलिस के अनुसार 19 फरवरी 2018 को मुख्य सचिव जब मुख्यमंत्री आवास में एक मीटिंग में शामिल होने के लिए गए तो सभी आरोपियों ने उनको बंधक बनाकर दुव्यवहार, मारमीट की। यह मामला अंशु प्रकाश की शिकायत पर दर्ज किया गया था। 

इस मामले में केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, विधायक अमानतुल्ला खान, प्रकाश जारवाल, नितिन त्यागी, ऋतुराज गोविंद, संजीव झा, अजय दत्त, राजेश ऋषि, राजेश गुप्ता, मदन लाल, परवीन कुमार और दिनेश मोहनिया को मामले में आरोपी बनाया गया था।