Britain के अस्पताल 'बीमार': Doctors की लापरवाही के चलते 19 बच्चों की मौत, कई के Brain को पहुंचा नुकसान
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि अभी यह पूरी तरह ज्ञात नहीं है कि अस्पताल द्वारा किस स्तर पर लापरवाही हुई, लेकिन इतना तय है कि यदि पर्याप्त सुविधाएं प्रदान की गई होतीं तो कई बच्चों और महिलाओं की जान बच सकती थी. वहीं, एक पूर्व नर्स ने भी अस्पताल की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं.
लंदन: ब्रिटेन (Britain) में डॉक्टर (Doctors) और अस्पताल कर्मियों की लापरवाही के चलते दर्जन भर से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई और सैकड़ों शिशुओं के मस्तिष्क को भारी क्षति पहुंची है. नॉटिंघम यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल्स ट्रस्ट की मैटरनिटी यूनिट्स (Nottingham University Hospitals Trust’s Maternity Units) में लगभग दस सालों तक लापरवाही का यह खेल चलता रहा और प्रशासन ने कोई कदम उठाना तक मुनासिब नहीं समझा. अब इस मामले को लेकर बवाल मचा हुआ है.
Documents से सामने आया सच
‘डेली मेल’ की खबर के मुताबिक, 2010 और 2020 के बीच डॉक्टरों और अस्पताल के स्टाफ की लापरवाही के चलते कम से कम 46 शिशुओं के मस्तिष्क को कई प्रकार से नुकसान पहुंचा (Severe Brain Damage). इतना ही नहीं, 19 से ज्यादा नवजात मृत पैदा हुए. इसी अवधि में कम से कम 15 महिलाओं और अन्य बच्चों की भी मौत हुई. चैनल 4 न्यूज और द इंडिपेंडेंट शो ने आधिकारिक दस्तावेजों के हवाले से यह खुलासा किया है.
‘हम कहते रहे, लेकिन किसी ने नहीं सुना’
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि, अभी यह पूरी तरह ज्ञात नहीं है कि अस्पताल द्वारा किस स्तर पर लापरवाही हुई, लेकिन इतना तय है कि यदि पर्याप्त सुविधाएं प्रदान की गई होतीं तो कई बच्चों और महिलाओं की जान बच सकती थी. पूर्व फिजियोथेरेपिस्ट सारा हॉकिन्स ने 2016 में नॉटिंघम सिटी अस्पताल में एक मृत बच्ची को जन्म दिया है. हॉकिन्स पांच दिनों तक अस्पताल में भर्ती रही थीं. उन्होंने कहा, ‘हम कह रहे थे, बच्चे मर रहे हैं कुछ गड़बड़ है, लेकिन किसी ने हमारी नहीं सुनी’.
Pain Relief Drug का ओवरडोज
सारा हॉकिन्स ने आरोप लगाया कि उनकी तरह ही कई महिलाओं को अस्पताल की लापरवाही की वजह से अपने बच्चे खोने पड़े हैं. हॉकिन्स की बच्ची की मौत के मामले में हुई जांच में यह बात सामने आई है कि उन्हें दर्द निवारक दवा डायमॉर्फिन (Diamorphine) ज्यादा मात्रा में दी गई थी और भ्रूण के दिल की जांच में भी देरी हुई थी. बता दें कि इंग्लैंड के चौथे सबसे बड़े इस ट्रस्ट की क्वीन्स मेडिकल सेंटर और नॉटिंघम सिटी हॉस्पिटल में दो मैटरनिटी यूनिट्स हैं, जहां प्रति वर्ष 10,000 महिलाओं और उनके बच्चों की देखभाल की जाती है.
चिकित्सीय लापरवाही (Clinical Negligence) के दावों को संभालने वाली संस्था एनएचएस रिज़ॉल्यूशन (NHS Resolution) के आंकड़े बताते हैं कि ट्रस्ट ने 2010 से लेकर अब तक मैटरनिटी केयर से जुड़े मामलों में हर्जाने और कानूनी कार्रवाइयों पर 91 मिलियन पाउंड (लगभग 9,34,82,75,300 रुपए) का भुगतान किया है. ट्रस्ट से जुड़ी रहीं पूर्व वरिष्ठ नर्स सू ब्रायडन (Sue Brydon) ने कहा कि नॉटिंघम सिटी अस्पताल की प्रसूति इकाई 'भय की संस्कृति' में संचालित होती है. उन्होंने आरोप लगाया कि अस्पताल के मैनेजर मनमानी करते हैं और किसी के सुझावों पर ध्यान नहीं देते हैं.
अब CEO ने मांगी माफी
वहीं, नॉटिंघम यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) ट्रेसी टेलर ने सभी पीड़ित परिवारों से माफी मांगी है. उन्होंने कहा कि हम उन सभी लोगों से तहे दिल से माफी मांगते हैं, जिन्हें उम्मीदों के अनुरूप सुविधाएं नहीं मिलीं. ट्रेलर ने कहा कि मातृत्व सेवाओं में सुधार हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है और हम इस दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं.