केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल 'निशंक' को मिला साहित्य गौरव सम्मान
डा निशंक ने कहा कि यह अवॉर्ड उन भारतवंशियों को समर्पित है जो विदेश में रहकर भाषा और संस्कृति के लिए समर्पित हैं। डा निशंक ने राइटर्स गिल्ड के साथ ही कनाडा में रह रहे भारतवंशियों और वहां कार्यरत भारतीय भाषा संस्थाओं के प्रति आभार जताया।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डा रमेश पोखरियाल निशंक को हिंदी राइटर्स गिल्ड कनाडा ने प्रतिष्ठित साहित्य गौरव सम्मान प्रदान किया। शनिवार को राजभवन में वर्चुअल माध्यम से इस सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर डा निशंक ने कहा कि यह अवॉर्ड उन भारतवंशियों को समर्पित है, जो विदेश में रहकर भाषा और संस्कृति के लिए समर्पित हैं। डा निशंक ने राइटर्स गिल्ड के साथ ही कनाडा में रह रहे भारतवंशियों और वहां कार्यरत भारतीय भाषा संस्थाओं के प्रति आभार जताया। उन्होंने कनाडा और भारत के बीच भाषा और संस्कृति को लेकर संवाद पर भी खुशी जताई। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि वैश्विक संवाद हिंदी में होना महत्वपूर्ण है। यह हिंदी के वैश्विक भाषा बनने का प्रतीक है। उन्होंने कनाडा के उन कवियों, कहानीकारों और रचनाकारों को बधाई दी, जिनकी रचनाओं सपनों का आकाश और संभावनाओं की धरती का लोकार्पण हुआ है।
इस अवसर पर बोलते हुए डा. निशंक ने कहा कि वे वैश्विक पटल पर हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए 'केंद्रीय हिंदी संस्थान' के उपाध्यक्ष अनिल जोशी के प्रयासों के लिए उनका अभिनन्दन करते हैं। उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि मुझे याद है कि 2009-10 में जब मैं उत्तराखंड का मुख्यमंत्री था, तब अनिल विदेश सेवा में रहते हुए दुनिया के तमाम देशों से हिंदी सीखने वाले विदेशी बच्चों को वहां लाते थे और हमसे उनका परिचय करवाते थे। आज अनिल ने अपने प्रयासों से विश्व में हिंदी का परिवार बनाया है। आज केंद्रीय हिंदी संस्थान की बागडोर इनके हाथों में है और मुझे भरोसा है कि इनके नेतृत्व में 'हिंदी' और 'संस्थान' दोनों का ही विकास होगा। मैं इसके लिए इन्हें शुभकामनाएं देता हूं।
कार्यक्रम के सूत्रधार और केंद्रीय हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष अनिल जोशी ने कहा कि डॉ. निशंक साहित्य के ही नहीं भाषा और संस्कृति के भी गौरव हैं इसलिए वे 'साहित्य गौरव सम्मान' के पूर्ण अधिकारी हैं क्योंकि उनके व्यक्तित्व और कृतित्व ने भारत का गौरव देश में ही नहीं विदेश में भी बढाया है। उन्होंने डॉ. निशंक के योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि विश्व हिंदी सचिवालय की शासी परिषद् के सदस्य के रूप में और केंद्रीय हिंदी संस्थान के माध्यम से विदेशों में हिंदी का प्रचार प्रसार कर रहे हैं। यही नहीं वे भारतवंशियों को भारत से जोड़ने का महत्वपूर्ण काम भी कर रहे हैं। इसके लिए वे अभिनन्दन के योग्य हैं।