पाकिस्तान की इंटरनेशनल बेइज्जती का बिहार के बक्सर से कनेक्शन! ट्विटर पर खूब मजे ले रहे लोग
पाकिस्तान ने चौसा प्रजाति के आम कई देशों को भेजे थे जो लौटा दिए गए। बिहार के बक्सर और आसपास के जिलों के लोग पाकिस्तान की मैंगो डिप्लोमेसी की फजीहत होने पर खूब चटकारे ले रहे हैं। इसकी वजह दिलचस्प है।
Pakistan Mango Diplomacy Buxar Connection: दहशतगर्दों को बढ़ावा देने वाले पाकिस्तान से हमारे रिश्ते ऐसे बन गए हैं कि उसकी किसी भी फजीहत पर यहां लोग मजे लेकर टीका-टिप्पणी करते हैं। नया मामला पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय बेइज्जती का है और जाने-अनजाने पड़ोसी की इस बेइज्जती से बक्सर का नाम जुड़ गया है। दरअसल, पाकिस्तान ने मैत्री उपहार के तहत दुनियाभर के देशों को चौसा प्रजाति के आम भेजे थे। खबरों के मुताबिक तकरीबन 35 देशों ने यह उपहार स्वीकार नहीं किया और उसे बैरंग वापस कर दिया। बक्सर के लोगों का कहना है कि पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने चौसा प्रजाति के जो आम भेजे थे, उनकी उत्पति बिहार के उनके जिले के चौसा में ही हुई है। यह वहीं जगह है जहां बादशाह हुमायूं को शेरशाह के हाथों शिकस्त खाने के बाद जान बचाने के लिए मुल्क छोड़कर भागना पड़ा था।
यहां समझ लीजिए क्या है पूरा मामला
यह मामला मीडिया में आते ही इंटरनेट मीडिया पर लोग पाकिस्तान पर तंज कसने लगे। बक्सर और इससे सटे यूपी के गाजीपुर, बलिया, बिहार के भोजपुर, रोहतास और कैमूर के लोग भी इस मामले में खूब मजे ले रहे हैं। दरअसल, आम का मौसम शुरू होने के बाद पिछले दिनों पाकिस्तान ने फलों के राजा आम के जरिए अपनी अंतरराष्ट्रीय छवि सुधारने की कोशिश की और कई देशों को अपने यहां पैदा होने वाले चौसा प्रजाति के आम भेजे। 'द इंटरनेशनल न्यूज' के मुताबिक पाकिस्तान के राष्ट्रपति डॉ. आरिफ अल्वी ने मैंगो-डिप्लोमेसी के तहत यह तोहफा भेजा था, लेकिन उसके जिगरी दोस्त चीन समेत अमेरिका, बांग्लादेश, नेपाल, कनाडा और श्रीलंका ने भी इसे लेने से मना कर दिया और आम से भरी पेटियों को लौटा दिया।
देखिए ट्विटर पर क्या कह रहे बक्सर के लोग
पाकिस्तान के आम लौटाने के पीछे इन देशों ने इसके लिए अपने यहां लागू कोरोना क्वारंटाइन नियम का हवाला दिया। इंटरनेट मीडिया पर जैसे ही यह खबर वायरल हुई, बक्सर और बिहार से जुड़े यूजर इस पर अपनी प्रतिक्रिया देने लगे। ट्विटर पर एक यूजर शक्ति तिवारी लिखते हैं कि असली चौसा आम तो बक्सर और गाजीपुर जिले में होते हैं, जिसके पौधे पहले यहीं से पाकिस्तान के मुल्तान में भेजे गए थे, पाकिस्तान की विदेश नीति भी भारत पर आश्रित निकली।
मयंक ने लिखा- लगता है चीन की तरह नकली आम बनाने लगे
ट्विटर यूजर सादाब आलम लिखते हैं, कंगाल हो चुके पाकिस्तान को विभिन्न देशों ने शायद यह सोचकर आम लौटा दिए कि आप इसको बेचकर उनका कर्ज उतार दीजिएगा। यूजर मयंक त्रिवेदी ने ट्विटर पर लिखा है कि चौसा लंगड़ा आम तो जुलाई में आता है, पाकिस्तान ने जून में ही चौसा आम कहां से भेज दिए, लगता है चीन की संगत में पाकिस्तान भी नकली माल बनाने लगा है। कई अन्य उपयोगकर्ताओं ने भी मजे लेते हुए टिप्पणी की है।
बक्सर से हुई चौसा प्रजाति के आम की उत्पत्ति
सुनहरे पीले रंग की चौसा प्रजाति का आम रेशारहित खास स्वाद और मिठास के लिए जाना जाता है। दावा किया जाता है कि बक्सर जिले के चौसा से इस प्रजाति के आम की उत्पत्ति हुई। आजादी से कई साल पहले अखंड भारत के समय यहीं से इस प्रजाति के आम के पौधे आज के पाकिस्तान समेत देशभर में गए। हालांकि, अभी चौसा में इसकी पैदावार बहुत कम हो गई है, वहीं उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, हरदोई और अमरोहा आदि क्षेत्रों यह खूब उपजता है।
चौसा आम का जीआइ टैग लेने के प्रयास में यूपी सरकार
यूपी सरकार इस प्रजाति के आम का जीआइ टैग भी लेने का प्रयास कर रही है। वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार रामेश्वर प्रसाद वर्मा बताते हैं कि 1539 में बक्सर के चौसा में अफगान शासक शेरशाह सूरी ने मुगल सम्राट हुमायूं से युद्ध जीतने के बाद इसे चौसा नाम दिया था। कहा तो यह भी जाता है कि मशहूर शायर मिर्जा गालिब के लिए यही आम सबसे खास था।
यूपी से पटना जाने पर बिहार का पहला स्टेशन है चौसा
चौसा, बक्सर जिले का एक प्रखंड मुख्यालय है। यह उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले से सटा हुआ है। गंगा और कर्मनाशा नदियां यहां सीमा रेखा का काम करती हैं। यहां दानापुर रेल मंडल के अंतर्गत रेलवे स्टेशन भी है। उत्तर प्रदेश से रेल के रास्ते पटना जाने पर बक्सर से ठीक पहले बिहार का पहला स्टेशन चौसा ही पड़ता है।
चौसा का भिश्ती बना था एक दिन का बादशाह
शेरशाह से लड़ाई के दौरान जान बचाने के लिए भागने के दौरान हुमायूं गंगा में कूद गया था और तेज धार में बहने लगा था। कहा जाता है कि एक भिश्ती ने तब अपनी नाव पर बिठाकर हुमायूं की जान बचाई और उसे गंगा पार कराया। बाद में हुमायूं जब दूसरी बार दिल्ली की सल्तनत पर लौटा तो उसने इस उपकार का बदला भिश्ती को एक दिन का बादशाह बनाकर चुकाया। एक दिन की बादशाहत में भिश्ती ने चमड़े का सिक्का चलाया था।