मन्नू के पिता का डर: कट्टरपंथी बेटे का मानव बम के रूप में इस्तेमाल न कर लें, घर की तोड़ी थी मूर्ति और पढ़ने लगा था नामाज

धर्मांतरण कराने वालों ने बेटे को नौकरी का झांसा दे रखा था। जिसके कारण वह परिवार वालों की बात नहीं सुनता था। इतना ही नहीं बेटे की गतिविधियों की कोई जानकारी परिवार वालों को नहीं मिलती थी।

मन्नू के पिता का डर: कट्टरपंथी बेटे का मानव बम के रूप में इस्तेमाल न कर लें, घर की तोड़ी थी मूर्ति और पढ़ने लगा था नामाज

विस्तार
धर्म परिवर्तन के मामले में एटीएस की ओर से गिरफ्तार मन्नू यादव के पिता को बेटे का हाव-भाव देख कर इस बात का डर सताने लगा था कि जेहादी उसके बेटे का इस्तेमाल कहीं मानव बम के रूप में न कर लें। मूक बधिर बेटे को शिक्षा और अपने पैर पर खड़ा होने का सपना देखने वाले परिवार का रोजाना हो रहे  खुलासों से बुरा हाल है।


बाबपुर गांव के रहने वाले राजीव यादव पेशे से चालक हैं। मन्नू उनका छोटा बेटा है। दसवीं तक की शिक्षा उसने एमजी रोड स्थित मूक बधिर स्कूल से की है। इसी दौरान वह फाइन लंग्वेज सिखाने वाले शिक्षकों के संपर्क में आया था। जो उसे इस्लाम की ओर प्रेरित कर रहा था। तब तक परिवार वालों को इसकी भनक नहीं लग पाई थी। नोएडा जाने के बाद उसके व्यवहार में परिवर्तन आने लगा। उसने दाढ़ी भी बढ़ा ली थी। जब भी वह घर पर आता था तो नामाज पढ़ा करता  था।  


पहनावे में भी बहुत अंतर आ गया था। घर में रखीं देवी देवताओं की मूर्तियों को भी तोड़ डाला। उसके बैंक में कुरान भी था। परिवार वालों ने जब उसका इस तरह का रवैया देखा। पांच माह पहले समाजिक संगठनों से संपर्क भी किया। इस घटनाक्रम के बाद परिवार वाले समाजसेवी माइकल सैनी के साथ जिला उपायुक्त से भी मिले थे। इस मामले में जिला उपायुक्त से एसआईटी गठित कर पूरे मामले की जांच कराने की मांग की गई थी। मगर प्रशासन ने उनकी इन बातों की ओर ध्यान नहीं दिया। अभी मामला गंभीर होने के बाद आईबी व यूपी एटीएस की टीम कई बार उसके पिता राजीव यादव से मिली है। 

उन्होंने सब कुछ उन्हे बता दिया। बेटे के धर्म परिवर्तन होने की खबर के बाद से राजीव यादव बीमार चल रहे हैं। बेटे की गिरफ्तारी पर उनका कहना है कि एटीएस मामले की जांच कर रही है। इसके लिए जो भी दोषी है। उनको सजा मिलनी चाहिए। वह संविधान और अपने धर्म के साथ हैं।

नौकरी का दिया था झांसा
धर्मांतरण कराने वालों ने बेटे को नौकरी का झांसा दे रखा था। जिसके कारण वह परिवार वालों की बात नहीं सुनता था। इतना ही नहीं बेटे की गतिविधियों की कोई जानकारी परिवार वालों को नहीं मिलती थी।