सेबी ने कारोबार सुगमता, स्टार्टअप को मजबूती देने, अनुपालन बोझ कम करने के लिये उठाये कदम
पूंजी बाजार नियामक सेबी ने शुक्रवार को नये जमाने की अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी युक्त कंपनियों के लिये स्वेट इक्विटी नियमों में ढील और विभिन्न खुलासा नियमों समेत कई उपायों की घोषणा की। इन कदमों का मकसद स्टार्टअप को बढ़ावा, अनुपालन बोझ कम करना और कारोबार सुगमता बढ़ाना है। इसके साथ भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के निदेशक मंडल ने सूचीबद्ध कंपनियों में प्रवर्तकों से 'नियंत्रणकारी हिस्सेदार की धारणा को अपनाने को सैद्धांतिक मंजूरी दी। इसके अलावा आरंभिक शेयर बिक्री के बाद न्यूनतम 'लॉक इन अवधि में भी कमी की।
शुक्रवार को हुई बैठक में सेबी निदेशक मंडल ने वैकल्पिक निवेश कोष के संचालन से संबंधित नियमन में संशोधन को भी मंजूरी दी। सेबी ने स्वेट इक्विटी की संख्या पर छूट प्रदान करने का निर्णय किया है जिसे 'इनोवेटर्स ग्रोथ प्लेटफॉर्म (अईजीपी) पर सूचीबद्ध नए जमाने की प्रौद्योगिकी कंपनियों को जारी किया जा सकता है। यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब कई स्टार्टअप विदेशी निवेशकों समेत अन्य से उल्लेखनीय निवेश आकर्षित कर रहे हैं।
प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार आईजीपी पर सूचीबद्ध कंपनियों के मामले में स्वेट इक्विटी शेयरों की वार्षिक सीमा 15 प्रतिशत होगी, जबकि समग्र सीमा किसी भी समय चुकता पूंजी का 50 प्रतिशत होगी। यह बढ़ी हुई समग्र सीमा कंपनी के गठन की तारीख से 10 वर्षों के लिए लागू होगी। मुख्य बाजार में कारोबार करने वाली कंपनियों के लिए, वार्षिक स्वेट इक्विटी सीमा भी 15 प्रतिशत होगी, लेकिन कुल सीमा 25 प्रतिशत पर सीमित होगी।
सेबी दो नियमों ...सेबी (शेयर आधारित कर्मचारी लाभ और स्वेट इक्विटी) विनियमन, 2021 को एक करेगा। स्वेट इक्विटी से तात्पर्य किसी कंपनी द्वारा अपने कर्मचारियों को बिना नकदी के जारी किए गए शेयरों से है। स्टार्टअप और प्रवर्तक आमतौर पर अपनी कंपनियों के वित्तपोषण के लिए स्वेट इक्विटी का इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा किसी कर्मचारी की मृत्यु या स्थायी अपंगता (जैसा कि कंपनी द्वारा परिभाषित किया गया है) की स्थिति में सभी शेयर लाभ योजनाओं के लिए न्यूनतम निर्धारित अवधि और 'लॉक-इन अवधि को समाप्त कर दिया जाएगा।
सेबी निदेशक मंडल ने प्रवर्तक से नियंत्रणकारी हिस्सेदार की धारणा को अपनाने के प्रस्ताव पर सैद्धांतिक सहमति जतायी। साथ ही आरंभिक सार्वजनिक निर्गम के बाद प्रर्वतकों के लिये न्यूनतम 'लॉक इन अवधि कम करने का निर्णय किया। सेबी ने 'लॉक इन अवधि के बारे में कहा कि यदि निर्गम के उद्देश्य में किसी परियोजना के लिए पूंजीगत व्यय के अलावा अन्य बिक्री पेशकश या वित्तपोषण का प्रस्ताव शामिल है, तो आरंभिक सार्वजनिक निर्गम और अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) में आबंटन की तारीख से प्रवर्तकों का न्यूनतम 20 प्रतिशत का योगदान 18 महीने के लिये 'लॉक किया जाना चाहिए। वर्तमान में, 'लॉक-इन अवधि तीन वर्ष है।
सेबी के अनुसार इसके अलावा, इन सभी मामलों में, प्रवर्तक की न्यूनतम योगदान से ऊपर की हिस्सेदारी मौजूदा एक वर्ष के बजाय छह महीने के लिए अवरुद्ध रहेगी। सेबी निदेशक मंडल ने एक सहज, प्रगतिशील और समग्र तरीके से प्रवर्तक की अवधारणा से 'नियंत्रणकारी शेयरधारक को अपनाने के प्रस्ताव पर सैद्धांतिक रूप से सहमति व्यक्त की। इसके अलावा, सेबी ने अलग से कंपनियों का अधिग्रहण करने वालों और प्रवर्तकों के लिए कुछ खुलासा जरूरतों को समाप्त कर दिया है। नियामक ने नियमों में भी संशोधन किया है जिससे कॉरपोरेट बांड बाजार को प्रोत्साहन देने में मदद मिलेगी। बयान के अनुसार प्रणाली आधारित खुलासे (एसडीडी) के क्रियान्यन के मद्देनजर अधिग्रहण नियमनों में संशोधन को मंजूरी दी गई।
नियामक ने कहा, 'अधिग्रहणकर्ता/प्रवर्तकों आदि के लिए कुछ खुलासा प्रतिबद्धताओं को एक अप्रैल, 2022 से समाप्त किया जा रहा है। यह पांच प्रतिशत शेयरों के अधिग्रहण और उसके बाद दो प्रतिशत के किसी बदलाव और वार्षिक शेयरधारिता खुलासे के संदर्भ में लागू होगा। साथ ही बाजार नियामक ने वैकल्पिक निवेश कोष और शेयर बाजार समेत बाजार बुनियादी ढांचा संस्थान (एमआईआई) के लिये नियमन में संशोधन को मंजूरी दे दी। इसका मकसद कारोबार को सुगम बनने के साथ अनुपालन जरूरतों को सरल बनाना है।
बयान के अनुसार निदेशक मंडल ने दो प्रस्तावों को मंजूरी दी। इसमें सभी पात्र शेयरधारकों के लिए 2-5 प्रतिशत शेयरधारिता के अधिग्रहण के लिए सेबी की बाद में मंजूरी की आवश्यकता को समाप्त करना शामिल है। विज्ञप्ति में कहा गया है, ''दो प्रतिशत से कम शेयरधारिता प्राप्त करने वाले व्यक्तियों की 'उपयुक्त और उचित स्थिति के निर्धारण के संबंध में सूचीबद्ध शेयर बाजारों/डिपॉजिटरी पर लागू प्रावधान गैर-सूचीबद्ध शेयर बाजारों/डिपॉजिटरी पर भी लागू होंगे। 'एसोसिएशन ऑफ नेशनल एक्सचेंज मेंबर्स ऑफ इंडिया (एएनएमआई) के अध्यक्ष के के महेश्वरी ने कहा कि सेबी निदेशक के फैसले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूंजी बाजार में कारोबार सुगमता के उद्देश्य के अनुरूप हैं।
उन्होंने कहा, ''....विशेष रूप से यह निर्णय कि पात्र शेयरधारकों के लिये 5 प्रतिशत तक के अधिग्रहण के लिए नियामक अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी, यह एमआईआई (बाजार बुनियादी ढांचा संस्थान) से अनुमोदन प्राप्त करने में बाधाओं को दूर करने वाला एक सकारात्मक कदम है।"