सेहत से खिलवाड़: आईसीएमआर का दावा, दर्द निवारक दवाओं से और बिगड़ सकता है रोगी का स्वास्थ्य
आईसीएमआर ने सुझाव देते हुए कहा, जरूरत हो तभी पैरासिटामोल जैसी दवा लें नॉन स्टेरॉयड एन्टी इंफ्लेमेट्री कही जाने वाली दवा हो सकती है घातक
विस्तार
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) का दावा है कि देश मे 80 फीसदी कोविड-19 मरीजों में बेहद सामान्य लक्षण जैसे बुखार, गले में दर्द और खांसी नजर आ रहे हैं। यह श्वसन प्रणाली में सामान्य संक्रमण के लक्षण हैं और यह मरीज पूरी तरह ठीक हो जा रहे हैं। इसके साथ ही चेताया है कि आईब्रूफेन और इस प्रकार की अन्य दर्द निवारक दवाएं रोगी की सेहत और बिगाड़ सकती हैं। इनकी वजह से हार्ट फेल होने और किडनी क्षतिग्रस्त होने के खतरे बढ़ते हैं।
आईसीएमआर का दावा, 80 प्रतिशत रोगियों में सामान्य लक्षण
आईसीएमआर ने सुझाव देते हुए कहा, जरूरत हो तभी पैरासिटामोल जैसी दवा लें। नॉन स्टेरॉयड एन्टी इंफ्लेमेट्री कही जाने वाली दवाओं को आईसीएमआर ने घातक बताया है। आईसीएमआर ने अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न नामक शृंखला में मरीजों के प्रश्नों का जवाब दिया है।
इसमें बताया कि ब्लड प्रेशर की दवाओं से कोविड-19 की गंभीरता बढ़ने का कोई साक्ष्य नहीं मिला है। यह दवाएं हार्ट फेल होने से रोकने में काम आती हैं, हृदय को काम करने में साथ देती हैं और उच्च रक्तचाप नियंत्रित रखती है। मरीज अगर खुद ही इनका उपयोग रोकेगा तो यह घातक हो सकता है। उसके हृदय को नुकसान पहुंच सकता है।
पुरानी बीमारियों जैसे हृदय रोग, मधुमेह और हाइपरटेंशन के मरीजों में कोरोना का संक्रमण जल्दी होने की आशंका को खारिज करते हुए देश की इस सबसे बड़ी चिकित्सा शोध संस्था ने कहा कि अब तक ऐसा कोई साक्ष्य सामने नहीं आया है। हालांकि इन रोगों से प्रभावित लोगों में कोविड-19 के बेहद गंभीर मामले हो सकते हैं, इसलिए उनकी खास देखभाल करने की जरूरत है। उसने चिकित्सा विशेषज्ञों व हृदय रोग विशेषज्ञों के समूह के अनुभवों के आधार पर यह दावे किए।
मधुमेह पर रहे नजर
आईसीएमआर ने कहा कि मधुमेह के मरीज अगर रोग को नियंत्रित नहीं रखते हैं तो उन्हें कई प्रकार के संक्रमण होने की संभावना वैसे ही बढ़ जाती है। वे लोग अपने खान-पान पर विशेष ध्यान दें और व्यायाम को नियमित दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। दवाई नियमित रूप से लें और शुगर स्तर लगातार जांच करते रहें ताकि इसे नियंत्रित रख सकें।
मधुमेह रोगी अगर संक्रमित हो जाए
ऐसा होने पर उनके ब्लड ग्लूकोस लेवल पर लगातार निगरानी की जरूरत है। उनकी दवाओं खासतौर से इन्सुलिन की मात्रा को फिर से निर्धारित करना पड़ता है। ऐसे लोग दिन में थोड़ा-थोड़ा करके भोजन लें और उचित मात्रा में तरल पदार्थ लेने पर खास ध्यान दें।
पुराने रोगों की दवा लेते रहें
परिषद ने कहा कि अगर कोरोना के लक्षण हों, तो भी पुराने रोगों की दवा नियमित रूप से पहले की तरह लेते रहें, जब तक कि खुद डॉक्टर ऐसा न करने के लिए कहें। महामारी के हालात में अगर डॉक्टर से नहीं मिल पा रहे है, तब तो यह दवाई जारी रखना ही ठीक होगा। कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रखने वाली दवाएं भी जारी रखें।
जोखिम कम करें
धूम्रपान और शराब सेवन कोविड के जोखिम को बढ़ा सकता है, इसलिए इनके सेवन से बचें। मानसिक शांति पर जोर दें, शारीरिक गतिविधियां जैसे व्यायाम बढ़ाएं। खाने में नमक और अन्य चीजों का संयमित इस्तेमाल करें। अगर गैर शाकाहारी भोजन लेते हैं तो उसे जारी रख सकते हैं, लेकिन भोजन में ज्यादा सब्जियां, फल और फाइबर व प्रोटीन शामिल करने की सलाह भी दी गई है।
लक्षण मिलने पर यह करें
अगर किसी व्यक्ति को कोरोना के लक्षण नजर आते हैं तो वे अपनी जांच करवाएं। जांच रिपोर्ट आने तक खुद को आइसोलेट कर लें। घर से हरगिज ना निकलें। अगर टेस्ट पॉजिटिव आता है तो चिकित्सक से बात करें और पूरा इलाज लें।