कारगिल विजय दिवस: बाह के 400 रणबांकुरों ने पाकिस्तानी सेना को चटाई थी धूल, युवाओं के लिए हैं प्रेरणास्रोत
आगरा जिले के बाह के वीर सपूतों ने अपने लहू से देश की आजादी को सींचा है। यहां की माटी पर जन्मे रणबांकुरों ने 1962 में चीन, 1965 और 1971 की जंग में पाकिस्तान की सेना के छक्के छुड़ाए थे। कारगिल युद्ध में भी बाह के करीब 400 रणबांकुरों ने अपनी बहादुरी से पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। इस युद्ध में कोरथ गांव के नायब सूबेदार लायक सिंह, मलुपुर के धर्मवीर सिंह, बसेरे काजी के कुंवर सिंह समेत सात सपूतों ने देश के लिए प्राणों की आहूति दी थी। इन कारगिल शहीदों के बलिदान से प्रेरित होकर इन गांवों के युवा सेना में भर्ती होने के लिए दिन-रात पसीना बहा रहे हैं। वीरता पुरस्कार विजेता इन युवाओं का हौसला बढ़ा रहे हैं।
कारगिल जंग में गांव खंडेर के जितेंद्र सिंह, कोरथ के लायक सिंह के बलिदान के अलावा यमुना-चंबल के बीहड़ के 400 रणबांकुरों ने पाक के छक्के छुड़ाए थे। रुदमुली के 6, कोरथ के 7 जवानों के अलावा उमरैठा, बासौनी, नावली, क्वारी, चांगौली, फतेहपुरा, सिमराई, जोमर्द पुरा आदि गांवों के 400 सपूतों ने कारगिल जंग में अपनी बहादुरी का लोहा मनवाया था।
गांव कोरथ की देशभक्ति आस्था से जुड़ी हुई है। यहां के कारगिल शहीद नायब सूबेदार लायक सिंह को गांव के लोग देवता की तरह से पूजते हैं। राष्ट्रीय पर्व हो या कोई तीज त्योहार, गांव के लोग शहीद स्मारक पर जुटते हैं, प्रसाद ग्रहण करते हैं।
कारगिल विजय दिवस याद आते ही बाह के यमुना-चंबल पट्टी के हर युवा का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। यहां के सैकड़ों युवा भर्ती होने के लिए दिन-रात पसीना बहा रहे हैं। जम्मू कश्मीर में तीन आंतकियों को ढेर कर वीरता पुरस्कार जीतने वाले रिटायर्ड सैनिक जयवीर सिंह इन युवाओं को सेना में भर्ती होने का हौसला दे रहे हैं। उन्हें सेना भर्ती के मानक बताकर कड़ा अभ्यास करने के लिए प्रेरित करते हैं।
गांव रुदमुली के कैप्टन निहाल सिंह, कोरथ के कैप्टन रमाशंकर सिंह, क्वारी के जितेंद्र सिंह भदौरिया, सिमराई के जयवीर सिंह ने कारगिल जंग के विजय दिवस की पूर्व बेला पर इस गौरव गाथा का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कारगिल जंग की वीरगाथाएं यहां के युवाओं में देश भक्ति का जोश भर देती है। उनके सपने को पूरा करने के लिए सरकार को बाह में सैनिक ट्रेनिंग सेंटर खोलना चाहिए।
सेना भर्ती की तैयारी करे रहे सचिन ने कहा कि कारगिल जंग में लायक सिंह की शहादत से लेकर पाक और चीन की लड़ाइयों में शहीदों का बलिदान सेना में भर्ती होने की प्रेरणा देता है। ऊदल सिंह ने कहा कि बाह क्षेत्र के सेनिकों के त्याग और बलिदान की कहानियां देशभक्ति के जोश से भर देतीं है। देश के लिए मर मिटने को सेना में भर्ती होने की राह चुनी है।
शिवा ने कहा कि कारगिल शहीद जितेंद्र सिंह, लायक सिंह की बहादुरी के किस्से सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित करते हैं। सोनू कहते हैं कि कारगिल के हीरो से लेकर 1965, 1971 के सेनिकों के बलिदान के किस्से गांव में युवाओं के लिए प्रेरणा का काम कर रहे हैं। बलिदानी परंपरा को निभाने के लिए दिन रात पसीना बहा रहे हैं। ताकि सेना का हिस्सा बनने का गौरव मिल सके।