DNA ANALYSIS: कोरोना की 3 वैक्सीन बनाने के बाद भी दुनिया में क्यों फेल हुआ चीन?
चीन के पास कोरोना वायरस की तीन वैक्सीन हैं, लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या इनमें से एक भी वैक्सीन वायरस को हराने में कारगर है?
भारत में Made In China प्रोडक्ट के लिए लोग कहते हैं कि चीन का सामान है, ज़्यादा दिन नहीं चलेगा. कई दुकानों पर लिखा होता है कि चीन के सामान की कोई गारंटी नहीं है. असल में बात ये है कि Made In China प्रोडक्ट्स को दो बातों के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है.
पहला है- लो क्वॉलिटी
दूसरा है- कम कीमत
अब तक तीन वैक्सीन बना चुका है चीन
ऐसा नहीं है कि चीन ने इस छवि को बदलने की कोशिश नहीं की. उसने कई प्रयास किए और ऐसे प्रयासों की सूची काफी लंबी है. हम आपको चीन के सबसे लेटेस्ट प्रयास के बारे में बताते हैं, जो उसने वैक्सीन को लेकर किया. ये बात तो पूरी दुनिया जानती है कि कोरोना वायरस चीन के वुहान शहर से फैला, लेकिन क्या आपको पता है कि चीन इस वायरस के खिलाफ अब तक तीन वैक्सीन बना चुका है.
हम आपको तीनों के नाम बताते हैं-
पहली वैक्सीन का नाम है- BBIP-Cor-V. इसे Sinopharm वैक्सीन भी कहते हैं.
इस वैक्सीन को China National Pharmaceutical Group ने विकसित किया है. यानी ये चीन की सरकारी कंपनी की बनाई वैक्सीन है.
दूसरी वैक्सीन का नाम है- Corona-Vac.
इस वैक्सीन को चीन की Sino-Vac बायोटेक कंपनी ने विकसित किया है और इस वैक्सीन को SINOVAC वैक्सीन भी कहते हैं.
और तीसरी वैक्सीन का नाम है- Can-Sino Bio
इस वैक्सीन को चीन की फार्मा कंपनी Can-Sino Biologics ने विकसित किया है.
वायरस को हराने में कारगर है वैक्सीन?
यानी चीन के पास कोरोना वायरस की तीन वैक्सीन हैं, लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या इनमें से एक भी वैक्सीन वायरस को हराने में कारगर है? कहीं इन तीनों Made In China वैक्सीन का भी तो वही हाल नहीं है, जो चीन के बाकी प्रोडक्ट्स का होता है.
-इस समय चीन दुनिया के 43 देशों को अपनी ये वैक्सीन बेच रहा है.
-इन देशों के साथ उसने अब तक 74 करोड़ 20 लाख वैक्सीन की बिक्री का करार किया.
-कुछ देशों के साथ मैत्री संबंध सुधारने के लिए उसने 2 करोड़ 20 लाख वैक्सीन की डोज डोनेट की हैं.
-और कुल मिलाकर चीन अब तक इनमें से 26 करोड़ 20 लाख वैक्सीन की डिलिवरी कर चुका है.
अब यहां फिर से सवाल वही है कि क्या ये वैक्सीन कोरोना वायरस पर कारगर हैं? आपको कुछ उदाहरणों से इसके बारे में बताते हैं-
सबसे पहले आपको चीन के पड़ोसी देश मंगोलिया के बारे में बताते हैं. World Bank के मुताबिक, 2019 में मंगोलिया की कुल आबादी 32 लाख 30 हज़ार है.
समझने वाली बात ये है कि इनमें से 50 प्रतिशत आबादी को वहां वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी हैं. यानी मंगोलिया की 50 प्रतिशत आबादी Fully Vaccinated है.
एक और बड़ी बात ये है कि इनमें में अधिकतर लोगों को चीन की सरकार द्वारा विकसित Sinopharm वैक्सीन लगाई गई है. इस हिसाब से वहां केस तो नहीं बढ़ने चाहिए, लेकिन अभी मंगोलिया में इसके विपरीत हो रहा है.
मंगोलिया में पिछले दो हफ्तों में कोरोना के प्रतिदिन मामलों में 70 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. यानी वैक्सीनेशन के बाद भी वहां संक्रमण फैल रहा है.
कोरोना के प्रतिदिन मामले तेज़ी से बढ़े
इसे आप एक और उदाहरण से समझिए. बहरीन में कोरोना के प्रतिदिन मामले तेज़ी से बढ़े हैं.
वहां अब तक कुल जितने लोगों को कोरोना की वैक्सीन की लगी है, उनमें 60 प्रतिशत वो हैं, जिन्होंने चीन की Sinopharm वैक्सीन लगवाई. इन आंकड़ों ने बहरीन की चिंता बढ़ा दी है. बड़ी बात ये है कि बहरीन ने एक आदेश निकाला है, जिसके तहत चीन की वैक्सीन लगवाने वाले लोगों के लिए अमेरिका की वैक्सीन कंपनी फाइजर का बूस्टर शॉट लगवाना अनिवार्य है. सोचिए चीन के लिए ये कितना शर्मनाक है.
उसकी वैक्सीन लगवाने के बाद भी बहरीन में लोगों को फाइजर का बूस्टर डोज लगवाना पड़ रहा है.
एक और देश के बारे में आपको आपको बताते हैं- इस देश का नाम है Seychelles. ये देश ईस्ट अफ्रीका में है. World Bank के मुताबिक, 2019 में इस देश की कुल आबादी 97 हजार 625 थी.
बड़ी बात ये है कि ये देश इनमें से 61 प्रतिशत आबादी को वैक्सीन की दोनों डोज लगा चुका है. यहां भी अधिकतर लोगों को चीन से खरीदी गई Sinopharm वैक्सीन लगाई गई है और इतनी बड़ी आबादी को वैक्सीन लगने से वहां केस तो नहीं बढ़ने चाहिए, लेकिन फिर भी केस बढ़ रहे हैं.
मई के महीने में इस देश में प्रतिदिन कोरोना वायरस के 400 नए मामले दर्ज हुए.
बड़ी बात ये है कि संक्रमित हुए लोगों में से 37 प्रतिशत वो थे, जिन्होंने चीन की वैक्सीन की दोनों डोज़ लगवा रखी थी. यानी यहां भी चीन की वैक्सीन इम्तिहान में फेल हो गई.
UAE के उदाहरण से भी आप इसे समझ सकते हैं UAE में वैक्सीन का कम से कम एक टीका लगवाने वाले लोगों की संख्या 51.4 प्रतिशत है, लेकिन इसके बावजूद मई महीने में वहां प्रतिदिन मामले औसतन 1700 तक पहुंच गए और पता है क्यों?
क्योंकि UAE में चीन से ख़रीदी गई Sinopharm वैक्सीन लोगों को लगाई गई थी. महत्वपूर्ण बात ये है कि UAE में भी चीन की दोनों वैक्सीन लगवा चुके लोगों के लिए फाइजर का बूस्टर शॉट लगवाना जरूरी है.
सोचिए यहां चीन की वैक्सीन फेल हो गई और ये सूची बहुत लम्बी है. इसमें फिलिपींस भी है.
चीन ने फिलिपींस को एक हज़ार वैक्सीन मुफ़्त में भेंट की थी और तब वहां के राष्ट्रपति ने भी इस वैक्सीन की एक डोज लगवा ली थी. लेकिन क्या आपको पता है कि चीन की वैक्सीन लगवाने के बाद फिलिपींस के राष्ट्रपति ने क्या कहा था. उन्होंने कहा था कि वो चीन की वैक्सीन लगवा कर पछता रहे हैं और उनसे ये गलती हो गई.
यही नहीं तब उन्होंने चीन द्वारा भेजी गई Sinopharm की एक हज़ार डोज़ वापस चीन भेज दी थी. ये बात अप्रैल महीने की है. तब फिलिपींस ने कहा था कि चीन की वैक्सीन Unproven यानी अप्रमाणित है.
इस लिस्ट में सऊदी अरब भी है, जिसने ये फैसला किया है कि चीन की SinoVac और Sinopharm वैक्सीन लगवाने वाले लोगों को उसके देश में एंट्री नहीं मिलेगी. इन वैक्सीन का सर्टिफिकेट वहां मान्य नहीं होगा.
बात सिर्फ़ दूसरे देशों की नहीं है. बात चीन की भी है. चीन के Guangdong प्रांत में महीने में तेज़ी से कोरोना वायरस के केस बढ़ने शुरू हुए, जिसके बाद वहां सख़्त लॉकडाउन लगाया गया, पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर पाबंदी लगा दी गई और हवाई उड़ानों पर भी ब्रेक लग गया. चीन के इस प्रांत का ये हाल तब है, जब वहां बड़े स्तर पर लोगों को वैक्सीन लग चुकी है.
अब इन तमाम बातों को जानने के बाद तीन सवाल खड़े होते हैं-
पहला सवाल ये कि अगर चीन की कोरोना वैक्सीन वायरस पर प्रभावी है तो फिर उन देशों में मामले क्यों बढ़ रहे हैं, जहां इसका इस्तेमाल हुआ?
दूसरा सवाल ये कि चीन की वैक्सीन के बाद भी कई देश फाइज़र का बूस्टर शॉट क्यों लगवा रहे हैं?
और तीसरा सवाल ये कि क्या चीन की वैक्सीन टिकाऊ नहीं है? और WHO इस बात को मानेगा.
सोचिए, अभी हमने आपको जो सारी बातें बताईं, उसके बावजूद पिछले दिनों 2 जून को WHO ने चीन की सिनोफार्म वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंज़ूरी दे दी थी. यहां बहस अब इस बात पर है कि जिस वैक्सीन के प्रभावी होने के ठोस नतीजे नहीं है, उसे WHO से क्लीन चिट कैसे मिल गई. ये ठीक वैसा ही है, जैसे इम्तिहान में कोई छात्र प्रश्न पत्र लिखे बिना ही पास हो जाए.
WHO ने चीन को लेकर अपनी आंखें बंद कर रखी हैं, लेकिन कई देशों की आंखें चीन की वैक्सीन को लेकर खुल चुकी है. इनमें पाकिस्तान भी है.
पाकिस्तान को अब तक चीन से 1 करोड़ 28 लाख वैक्सीन की डोज मिल चुकी हैं. इसके बावजूद पिछले कुछ दिनों में वहां केस बढ़े हैं.
अलग रणनीति पर काम
एक महत्वपूर्ण बात ये है कि सऊदी अरब ने अब ये कहा है कि वो चीन की SinoVac और SinoPharm वैक्सीन लगवाने वाले लोगों को अपने देश में आने की इजाज़त नहीं देगा, तभी से पाकिस्तान में इस वैक्सीन का विरोध हो रहा है. यहां एक आपके समझने के लिए एक बात ये भी है कि चीन की वैक्सीन में भले दम न हो, लेकिन वो भारत के पड़ोसी देशों को वैक्सीन बेच कर और डोनेट करके अपनी अलग रणनीति पर काम कर रहा है.
अगर अपनी बात को हम कुछ शब्दों के साथ विराम दें वो शब्द यही होंगे कि Made In China सामान की आज भी कोई गारंटी नहीं है, चाहे वो वैक्सीन ही क्यों न हो.