ग्राउंड रिपोर्ट दिल्ली-एनसीआर : घरों में आइसोलेट 20 हजार मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत
परिजनों की जान बचाने के लिए दौड़ रहे तीमारदार, 50 हजार में मिल रहा एक सिलिंडर ऑक्सीजन लंगर और पुरानी दिल्ली में चल रहे केंद्र भी प्रशासन ने कराए बंद घरों में 50 हजार से अधिक कोरोना संक्रमित
विस्तार
27 दिन से छाए ऑक्सीजन संकट को दूर करने के लिए सरकार का अस्पतालों पर ध्यान है, लेकिन घर में आइसोलेट मरीजों को ऑक्सीजन नहीं मिल रही है। अब तक ऑक्सीजन लंगर या फिर पुरानी दिल्ली में निशुल्क रीफिलिंग की जा रही थी। अब वहां भी इसे बंद कर दिया गया है। हालात ये हैं कि तीमारदार खाली सिलिंडर लेकर दिन-रात सड़कों पर दौड़ रहे हैं, लेकिन सरकार का एक भी रीफिलिंग सेंटर नहीं है, जहां से लोग ऑक्सीजन प्राप्त कर सकें। जिन मरीजों के पास नया सिलिंडर नहीं है, उन्हें और भी ज्यादा परेशानी हो रही है।
दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में नया सिलिंडर नहीं है। कालाबाजारी बढ़ने से 45 लीटर के एक सिलिंडर की कीमत 50 हजार रुपये से अधिक हो चुकी है। राजधानी में बीते मंगलवार की आधी रात जब ‘अमर उजाला’ ने पड़ताल शुरू की तो दरियागंज स्थित कालेखां गली, तुर्कमान गेट, अंजुमन चौक, लालकुआं सहित उन सभी जगहों पर ताला मिला जहां पहले थोड़ी बहुत ऑक्सीजन मिल रही थी। इतना ही नहीं लाजपत नगर में आप पार्टी के विधायक प्रवीण कुमार ने कुछ समय तक ऑक्सीजन का वितरण किया, परंतु मंगलवार शाम और बुधवार को उन्हें भी ऑक्सीजन नहीं मिली। आरोप है कि यहां स्थानीय प्रशासन ने सिलिंडर रीफिल करवाना बंद करा दिया है।
दिल्ली में ऑक्सीजन की मांग हर दिन बढ़ रही है। वर्तमान हालात ऐसे हैं कि एक दिन में कम से कम 976 मीट्रिक टन ऑक्सीजन चाहिए, लेकिन चार मई को 555 मीट्रिक टन ही दिल्ली को प्राप्त हुई। यह स्थिति तब है जब पिछले तीन सप्ताह से भी अधिक समय से ऑक्सीजन की किल्लत हो रही है।
ऑक्सीजन पर 20 हजार मरीज
दिल्ली में इस समय करीब 50 हजार से ज्यादा कोरोना संक्रमित मरीज घरों में आइसोलेशन में हैं। इनके अलावा जिन मरीजों को अस्पतालों से डिस्चार्ज किया है वह सरकारी आंकड़े से गायब हैं, लेकिन अस्पताल से घर पहुंचने के बाद भी इन्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। लोकनायक अस्पताल के डॉ. सुधीर कुमार का कहना है कि हल्के लक्षण वाले मरीजों को डिस्चार्ज कर रहे हैं, जिन लोगों को सांस लेने में कठिनाई है और उनका ऑक्सीजन का स्तर 90 के आसपास है उन्हें घर भेजा जा सकता है। इसलिए एक अनुमान है कि दिल्ली में करीब 20 हजार मरीजों को ऑक्सीजन की आवश्यकता है, जबकि अन्य अस्पतालों में भर्ती मरीजों को अलग जरूरत है।
नोएडा, गाजियाबाद तक यही हाल
दिल्ली की तरह नोएडा, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा में भी ऑक्सीजन का यही हाल है। यहां कुछ जगहों पर ऑक्सीजन के प्लांट पुलिस की निगरानी में है, जबकि कुछ जगह प्राधिकरण ने ऑक्सीजन सोसायटी तक उपलब्ध कराने का फैसला लिया है। फिर भी कई परिवार ऐसे हैं जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत है और वे रिफिल या फिर नए सिलिंडर की तलाश में दिल्ली तक पहुंच रहे हैं। वैशाली निवासी सुनीता, नोएडा सेक्टर 12 निवासी महेंद्र, सेक्टर 50 निवासी विकास और ग्रेटर नोएडा निवासी अनीता वर्मा अपनी-अपनी कार में ऑक्सीजन लेने के लिए पुरानी दिल्ली में भटकते मिले।
निरंकारी, यमुना क्रीड़ा और अक्षरधाम के सेंटर किस काम के
निरंकारी मैदान पर बने कोविड सेंटर में 90 या उससे अधिक ऑक्सीजन वालों को भर्ती किया जा रहा है। यमुना क्रीड़ा और अक्षरधाम के कोविड सेंटर पर भी यही नियम है। यहां तीनों जगह आईसीयू की व्यवस्था नहीं है, जबकि यहां मिलाकर करीब दो हजार से अधिक मरीजों का बंदोबस्त किया है। एक तरफ सरकार 90 से अधिक ऑक्सीजन वालों को घर पर ही आराम करने की सलाह दे रही है। दूसरी ओर इन बिस्तरों से अधिक दिल्ली में आईसीयू बेड की मांग बढ़ने लगी है।
ये है स्थिति
976 मीट्रिक टन : दिल्ली में ऑक्सीजन की मांग
555 मीट्रिक टन : कुल आपूर्ति
50077 : होम आइसोलेशन में मरीज
47 फीसदी : ऑक्सीजन सात दिन से मिल रही है
ऑक्सीजन की निशुल्क सेवा करीब 15 जगह, लेकिन सभी बंद