भारत ने UN में उठाया खैबर पख्तूनख्वा में मंदिर तोड़े जाने का मुद्दा, पाकिस्तान की लगाई लताड़
भारत ने कहा कि शांति की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव से पाकिस्तान जुड़ा हुआ है। इसक बावजूद भीड़ ने खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में एक ऐतिहासिक मंदिर में तोड़फोड़ की और पाकिस्तानी सरकार मूकदर्शक बनी रही।
पाकिस्तान में एक हिंदू मंदिर को कट्टरपंथियों के तोड़ने के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में भारत ने पाकिस्तान को लताड़ लगाई है। भारत ने कहा कि शांति की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव से पाकिस्तान जुड़ा हुआ है। इसक बावजूद भीड़ ने खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में एक ऐतिहासिक मंदिर में तोड़फोड़ की और पाकिस्तानी सरकार मूकदर्शक बनी रही। संयुक्त राष्ट्र में भारतीय राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि इस प्रस्ताव का इस्तेमाल पाकिस्तान जैसे देशों के लिए छिपने या गुमराह करने के लिए नहीं किया जा सकता है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने गुरुवार को धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए शांति और सहिष्णुता की संस्कृति को बढ़ावा देने पर एक प्रस्ताव को अपनाया। प् ने मानव अधिकारों के सम्मान और धर्मों और मान्यताओं की विविधता के आधार पर सभी स्तरों पर सहिष्णुता और शांति की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों को मजबूत करने का आह्वान किया।
त्रिमूर्ति ने कहा कि यह बहुत विडंबना की बात है कि हाल ही में जिस देश में हिंदू मंदिरों पर हमला और विध्वंस हुआ और जहां अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन हो रहा है, वह शांति की संस्कृति के प्रस्ताव से जुड़ा हुआ है। दिसंबर 2020 में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के करक शहर में एक हिंदू मंदिर को तोड़ने का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के करक शहर में एक ऐतिहासिक हिंदू मंदिर पर एक भीड़ द्वारा हमला किया गया था। इस दौरान कानूनी एजेंसियां मूकदर्शक बनी रहीं, जब ऐतिहासिक मंदिर में तोड़फोड़ की जा रही थी।
भारत ने कहा कि दुनिया में आतंकवाद, हिंसक उग्रवाद, कट्टरता और असहिष्णुता बढ़ रही है। धार्मिक स्थल और सांस्कृतिक विरासत स्थलों को आतंकवादी कृत्यों से खतरा पैदा हो गया है। इसके अलावा, तिरुमूर्ति ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में हुईं ऐसी घटनाओं का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि भारत सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को बहुत महत्व देता है। उन्होंने आगे कहा कि भारत में धर्म पर आधारित हिंसा या भेदभाव के कृत्यों के लिए एक मजबूत कानूनी ढांचा भी है।