भारत में सात महीने में पैदा हुआ 33,000 टन कोविड-19 कचरा, महाराष्ट्र रहा सबसे आगे
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक महाराष्ट्र में सबसे अधिक 3587 टन कचरा पैदा हुआ। केरल में 3300 टन गुजरात में 3086 टन तमिलनाडु में 2806 टन उत्तर प्रदेश में 2502 टन दिल्ली में 2471 टन बंगाल में 2095 टन और कर्नाटक में 2026 टन कचरा निकला।
भारत में बीते सात महीने में लगभग 33 हजार टन कोविड-19 जैव चिकित्सा कचरा पैदा हुआ है। इस दौरान महाराष्ट्र में सबसे अधिक 3,587 टन कचरा पैदा हुआ। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक, पूरे देश में अक्टूबर में एक महीने में सबसे अधिक 5,500 टन कोविड-19 कचरा पैदा हुआ।
राज्यों के प्रदूषण बोर्ड से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार जून 2020 से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कोविड-19 से संबंधित 32,994 टन जैव चिकित्सा कचरा पैदा हुआ है। 198 सामान्य जैव चिकित्सा कचरा निपटान केंद्र (सीबीडब्ल्यूटीएफ) द्वारा इन्हें एकत्रित और निपटारा किया जा रहा है। कोविड-19 जैव चिकित्सा कचरे में पीपीई किट, मास्क, जूतों के कवर, दस्ताने, मानव ऊतक, रक्त से दूषित चीजें इत्यादि शामिल हैं।
केरल में 3,300 टन, गुजरात में 3,086 टन, तमिलनाडु में 2,806 टन, उत्तर प्रदेश में 2,502 टन, दिल्ली में 2,471 टन, बंगाल में 2,095 टन और कर्नाटक में 2,026 टन कचरा निकला। सीपीसीबी ने मई में कोरोना वायरस से संबंधित जैव चिकित्सा कचरे की निगरानी करने और इलेक्ट्रॉनिक मैनिफेस्ट प्रणाली के माध्यम से डाटा संकलित करने के लिए 'कोविड19बीडब्ल्यूएम' मोबाइल एप्लिकेशन विकसित किया था। इस एप के जरिये कोविड-19 कचरे का पता लगाकर उसे एकत्रित करके निपटाया जाता है।