Nepal: रामसहाय यादव बने नेपाल के तीसरे उपराष्ट्रपति, जानें कौन-कौन सी पार्टियों ने दिया वोट

राम सहाय प्रसाद यादव ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत 1990 में नेपाल सद्भावना पार्टी से की थी। अब वह निवर्तमान उपराष्ट्रपति नंद बहादुर पुन का स्थान लेंगे।

Nepal: रामसहाय यादव बने नेपाल के तीसरे उपराष्ट्रपति, जानें कौन-कौन सी पार्टियों ने दिया वोट

नेपाल के मधेस क्षेत्र के नेता रामसहाय यादव शुक्रवार को देश के तीसरे उपराष्ट्रपति चुने गए हैं। नेपाल के आठ दलों के सत्तारूढ़ गठबंधन के समर्थन वाले उम्मीदवार रामसहाय यादव ने सीपीएन-यूएमएल की अष्ट लक्ष्मी शाक्य और जनमत पार्टी की ममता झा को हराया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रामसहाय यादव ने 184 संघीय और 329 प्रांतीय सांसदों से 30,328 वोट हासिल किए।



हालांकि, चुनाव आयोग ने अभी आधिकारिक तौर पर नतीजे घोषित नहीं किए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि उनकी अपनी पार्टी के अलावा, नेपाली कांग्रेस, सीपीएन-माओवादी सेंटर और सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट ने उन्हें वोट दिया है। वहीं अब रामसहाय यादव निवर्तमान नंद बहादुर पुन का स्थान लेंगे। नेपाल के दक्षिणी तराई क्षेत्र में मधेसी समुदाय ज्यादातर भारतीय मूल के हैं।



राम सहाय प्रसाद यादव का सफर
राम सहाय प्रसाद यादव ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत 1990 में नेपाल सद्भावना पार्टी से की थी। वह मधेसी जन अधिकार फोरम के संस्थापक महासचिव रहे और पहले मधेश आंदोलन (2007) में उनकी सक्रिय भूमिका थी। साथ ही राम सहाय यादव पिछले साल नवंबर में हुए चुनाव में बारा-2 से प्रतिनिधि सभा के लिए चुने गए थे।

इसमें कहा गया है कि शाक्य को 104 संघीय और 169 प्रांतीय सांसदों से वोट मिले और ममता झा को 23 संघीय और 15 प्रांतीय सांसदों से वोट मिले। वहीं नेपाल में 2008 में संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य प्रणाली को अपनाने के बाद से यह तीसरा उप-राष्ट्रपति चुनाव है।


गणराज्य प्रणाली को अपनाने के बाद से उपराष्ट्रपति का तीसरा चुनाव
राष्ट्रपति की तरह, उपराष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल करता है जिसमें संघीय संसद (प्रतिनिधि सभा और नेशनल असेंबली) और प्रांतीय विधानसभाओं के सदस्य शामिल होते हैं। संघीय संसद के 332 मतदाताओं और प्रांतीय विधानसभाओं के 550 मतदाताओं के मतों का कुल भारांक 52,628 होता है, इस प्रकार एक उम्मीदवार को चुनाव जीतने के लिए कम से कम 26,315 मत प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। 2008 में देश द्वारा संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य प्रणाली को अपनाने के बाद से यह तीसरा उपराष्ट्रपति चुनाव है। उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है।