अफसरों को हद में रहने की सलाह, बिहार में सीनियर भाजपा नेता ने कहा- मंत्री से ऊपर नहीं हैं अधिकारी
Bihar Politics बिहार में एक वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री ने अपने इस्तीफे की पेशकश सिर्फ इसलिए की है कि वे अफसरशाही की निरंकुशता और असंवेदनशील व्यवहार से रुष्ट हैं। अफसर यह समझें कि अब अंग्रेजों का जमाना चला गया। वे लोकतंत्र के वेतनभोगी सेवक है।
बिहार में अफसरशाही का आरोप नया नहीं है। विपक्ष के नेता खुले तौर पर सत्ता पक्ष के लोग दबी जुबान से राज्य में कुछ अफसरों के हावी होने की बातें लंबे अरसे से करते रहे हैं। जून के आखिरी हफ्ते में कई विभागों में ट्रांसफर-पोस्टिंग के बाद यह मामला अधिक गर्म है। अफसरों की कार्यप्रणाली से खफा बिहार सरकार के मंत्री मदन सहनी के इस्तीफे की पेशकश के बाद यह मसला तूल पकडऩे लगा है। भाजपा विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू के बाद पूर्व सांसद और भाजपा के संस्थापक सदस्य आरके सिन्हा ने शुक्रवार को अफसरों को नसीहत दी है।
लोकतंत्र के वेतनभोगी सेवक हैं अफसर
आरके सिन्हा ने कहा है कि कार्यपालिका भी लोकतंत्र की मर्यादाओं के अनुरूप ही कार्य करे। अफसर यह समझें कि अब अंग्रेजों का जमाना चला गया। वे लोकतंत्र के वेतनभोगी सेवक है। उन्होंने कहा है कि बिहार में एक वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री ने अपने इस्तीफे की पेशकश सिर्फ इसलिए की है कि वे अफसरशाही की निरंकुशता और असंवेदनशील व्यवहार से रुष्ट हैं।
मंत्री की बात मानने के लिए अफसर बाध्य
आरके सिन्हा ने कहा कि वास्तव में लोकतंत्र में विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका सबका कार्य बहुत ही विस्तृत रूप से वर्णित है। संविधान के द्वारा जो निर्वाचित जनप्रतिनिधि है, जिसको मंत्री का भार दिया गया है, उसके बात को मानने के लिए कार्यपालिका बाध्य होती है। हां, अगर वह कोई गैरकानूनी काम करने के लिए कह रहे हैं तो उसमें वो प्रोटेस्ट कर सकते हैं।
कार्यपालिका को मंत्री के सुझाव पर काम करना चाहिए
सिन्हा ने कहा कि अगर कोई योजना मंत्री के मन में आती है और वे बताते हैं कि इस पर काम करना है तो कार्यपालिका को इस पर काम करना चाहिए। विधायिका और कार्यपालिका में ऐसे विवाद बंद होने चाहिए, क्योंकि अंग्रेजों का जमाना खत्म हो गया है और हम लोकतंत्र में जी रहे हैं। सभी को लोकतंत्र की आस्थाओं के अनुसार कार्य करना होगा।