सुप्रीम कोर्ट का केंद्र व यूपीएससी से सवाल, उम्मीदवारों को अतिरिक्त मौका क्यों नहीं दिया जा सकता
कोविड-19 महामारी के कारण वंचित रह गए उम्मीदवारों को अतिरिक्त मौका देने के मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और UPSC को यह बताने के लिए कहा कि उम्मीदवारों को कोई अतिरिक्त मौका क्यों नहीं दिया जा सकता है?
यूपीएससी की सिविल सर्विसेज परीक्षा में शामिल होने से कोविड-19 महामारी के कारण वंचित रह गए उम्मीदवारों को अतिरिक्त मौका देने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को यह बताने के लिए कहा कि कोविड-19 से प्रभावित सिविल सेवाओं के उम्मीदवारों को कोई अतिरिक्त मौका क्यों नहीं दिया जा सकता है? जबकि, इस तरह की छूट को पहले बढ़ाया जा चुका है।
बता दें कि इस संबंध में न्यूज एजेंसी एएनआई द्वारा ट्वीट कर जानकारी साझा की गई है। सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस पर नाराजगी जताई और कहा कि इससे पहले दायर हलफनामे में यह स्पष्ट नहीं है कि यह फैसला किसके स्तर पर लिया गया था।
पीठ ने कल, 28 जनवरी 2021 को मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि यह सामान्य हलफनामा एक अवर सचिव स्तर के अधिकारी द्वारा दायर किया गया है। पीठ ने कहा था कि यह एक नीतिगत निर्णय है और हलफनामे में इस संबंध में कुछ नहीं बताया गया है कि यह निर्णय किस स्तर पर लिया गया है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई आज, 29 जनवरी 2021 को होनी निर्धारित की थी।
यह है पूरा मामला
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट उन उम्मीदवारों को यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में एक और मौका देने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है, जो 2020 में कोरोना वायरस महामारी के कारण अपने अंतिम प्रयास से वंचित रह गए थे। वहीं, केंद्र सरकार ने 25 जनवरी को शीर्ष अदालत को बताया था कि कोविड-19 के कारण 2020 में अंतिम प्रयास से वंचित रह गए उम्मीदवारों को यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में अतिरिक्त अवसर देने की अनुमति संपूर्ण परीक्षा प्रणाली को व्यापक रूप से प्रभावित करेगी। कुछ उम्मीदवारों को अतिरिक्त मौका या आयु में छूट देना, परीक्षा में भाग ले चुके उम्मीदवारों से भेदभाव करने जैसा होगा।