Bihar: राजद ने कुशवाहा समाज पर डाले डोरे, उपेंद्र को जदयू के मंच पर जगह नहीं देने को बताया अपमान

RJD Offered Upendra Kushwaha राजद के प्रधान महासचिव आलोक मेहता ने प्रेस कान्फ्रेंस कर कहा कि जदयू ने कुशवाहा को अध्यक्ष भी नहीं बनाया और मंच पर भी जगह नहीं दी। इससे उपेंद्र कुशवाहा जरूर आहत होंगे। कुशवाहा समाज यदि राजद के साथ एकजुट हो जाए तो व्यापक हिस्सेदारी मिलेगी।

Bihar: राजद ने कुशवाहा समाज पर डाले डोरे, उपेंद्र को जदयू के मंच पर जगह नहीं देने को बताया अपमान

बिहार में राजद को उपेंद्र कुशवाहा को जदयू का राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष नहीं बनाए जाने को लेकर एक नया मुद्दा मिल गया है। राजद ने जदयू पर कुशवाहा समाज की उपेक्षा का आरोप लगाया और कहा कि उपेंद्र कुशवाहा के कारण यह समाज खुद को छला हुआ महसूस कर रहा है। राजद के प्रधान महासचिव आलोक मेहता ने प्रेस कान्फ्रेंस कर कहा कि जदयू ने कुशवाहा को अध्यक्ष भी नहीं बनाया और मंच पर भी जगह नहीं दी। इससे उपेंद्र कुशवाहा जरूर आहत होंगे। वह दस वर्षों से समाज को मुख्यमंत्री का सपना दिखाते रहे हैं, लेकिन कुछ माह पहले खुद को नीतीश कुमार के चरणों में समर्पित कर दिया था।

लालू के कार्यकाल में कुशवाहा समाज को मिली व्‍यापक भागीदारी

आलोक ने कहा कि कुशवाहा समाज मूलत: महात्मा बुद्ध और जगदेव प्रसाद के विचारों को माननेवाला है। अर्जक संघ जैसे ब्राह्मणवाद विरोधी संगठनों से जुड़ा रहा है। लालू प्रसाद ने जब जगदेव प्रसाद के नारों और विचारों पर चलकर सामाजिक न्याय और धर्म निरपेक्षता का झंडा बुलंद किया तो कुशवाहा समाज पूरी एकजुटता के साथ खड़ा हो गया। तब इस समाज के 17 विधायक सिर्फ राजद के हुआ करते थे। इनमें से 11 को मंत्री बनाया गया था।

उपेंद्र कुशवाहा पर लगाया समाज को गुमराह करने का आरोप

राजद नेता ने कहा कि इसके अलावा लालू यादव के कार्यकाल में कुशवाहा समाज को विभिन्न आयोगों एवं बोर्डों में जगह दी गई थी। आलोक ने कहा कि बाद में उपेंद्र कुशवाहा जैसे नेताओं ने समाज को गुमराह किया। कुशवाहा समाज यदि राजद के साथ एकजुट हो जाए तो व्यापक हिस्सेदारी मिलेगी। इस दौरान विधायक राजवंशी महतो, राजेश कुशवाहा और राजेश यादव भी मौजूद थे।

कभी सहनी तो कभी मांझी के प्रति जताई संवेदना

राजद बिहार एनडीए में नेताओं के सम्‍मान को लेकर लगातार फिक्रमंद दिखता है। पार्टी ने कभी मुकेश सहनी तो कभी जीतन राम मांझी के सम्‍मान का मुद्दा लगातार उठाया है। यह अलग बात है कि मुकेश सहनी अब तक उस दिन को नहीं भूल पाए हैं, जब विधानसभा चुनाव से पहले उनकी मौजूदगी में बगैर उनकी पार्टी का नाम लिये सभी सीटों को बंटवारे का एलान कर दिया और सहनी को बीच प्रेस कान्‍फ्रेंस में बगावत का एलान करना पड़ा।