बिहार में अब सरकारी प्री-नर्सरी स्कूल बनेंगे 1.15 लाख आंगनबाड़ी केंद्र, खेल-खेल में होगी बच्चों की पढ़ाई
बिहार के शिक्षा विभाग का यह बड़ा फैसला है। राज्य के 1.15 लाख आंगनबाड़ी केंद्रों में अब बच्चों की खेल-खेल पढ़ाई के लिए सरकारी प्री नर्सरी स्कूल खोले जाएंगे। माना जा रहा है कि इससे प्राथमिक विद्यालयों की गुणवत्ता बढ़ेगी।
बिहार की नीतीश सरकार सभी 1.15 लाख आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री-नर्सरी और नर्सरी स्कूलों में तब्दील करने जा रही है। सरकार ने इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है। यूं कहें कि चालू शैक्षणिक सत्र से प्रदेश भर के आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन अब प्री-नर्सरी और नर्सरी स्कूलों के रूप में होगा और यहां के 46 लाख बच्चे विद्यार्थी होंगे। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर अमल करते हुए नीतीश सरकार आंगनबाड़ी केंद्रों को जल्द ही प्री-नर्सरी और नर्सरी स्कूल की मान्यता देने जा रही है। शिक्षा मंत्रालय व महिला बाल विकास मंत्रालय ने इसे लेकर सहमति दे दी है।
यहां खेल-खेल में पढ़ेंगे बच्चे
आंगनबाड़ी केंद्रों पर कार्यरत सेविकाओं को प्री-नर्सरी में दाखिल बच्चों को पढ़ाने-सिखाने संबंधी प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। प्रशिक्षण में इन्हेंं बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाने का तरीका बताया जाएगा। इन्हेंं सिखाया जाएगा कि कैसे गीत, कविताएं और कहानियां शिक्षा का आधार बन सकती हैं। आंगनबाड़ी सेविकाओं को यह भी बताया जाएगा कि उनके कार्य का मूल्यांकन कैसे किया जाएगा, ताकि वे ये सुनिश्चित कर सकें कि उनका पढ़ाया हुआ बच्चों की समझ में आया भी है या नहीं।
नई शिक्षा नीति में भी है जिक्र
आंगनबाड़ी केंद्रों को प्ले स्कूल व नर्सरी स्कूल की तर्ज पर विकसित करने का जिक्र नई शिक्षा नीति में भी है। इसी दिशा में नीतीश सरकार आगे बढ़ते हुए आंगनबाड़ी सेविकाओं को प्रशिक्षित करने जा रही है। प्रशिक्षित होने के बाद आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का टेस्ट लिया जाएगा। टेस्ट में पास आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को उनके केंद्रों पर प्री-नर्सरी व नर्सरी स्कूल चलाने की अनुमति दी जाएगी। तैयारी इस प्रकार की जा रही है, ताकि कोरोना संक्रमण कम होने पर बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों पर बुलाया जा सके।
शिक्षा की गुणवत्ता में इजाफा
आंगनबाड़ी केंद्रों के प्री-नर्सरी व नर्सरी में तब्दील होने के बाद प्राथमिक विद्यालयों की शिक्षा की गुणवत्ता में इजाफा होगा। अब तक विद्यार्थी सीधे प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा एक में दाखिला लेते थे। ऐसे में शिक्षकों की ज्यादातर मेहनत उन्हेंं पढ़ाई के लिए तैयार करने में ही लगानी होती थी।
बच्चों को मिलेगी मजबूत नींव
अब आंगनबाड़ी केंद्र प्राथमिक विद्यालयों में तब्दील हो जाएंगे और वहां शुरुआती दौर में बच्चों को पठन-पाठन की जानकारी दी जाएगी, तो यह उनके लिए कक्षा एक में दाखिले से पहले बच्चों की मजबूत नींव का काम करेगा। बच्चे तीन साल तक प्री-नर्सरी में रहेंगे और तब प्राथमिक विद्यालयों में पहली कक्षा में दाखिला होगा। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार की मानें, तो आंगनबाड़ी केंद्रों को इस मुहिम मे इसलिए शामिल किया गया है, क्योंकि इसके पास बच्चे और छोटे बच्चों से जुड़ी जरूरी सुविधाएं पहले से मौजूद हैं।
अब सेविकाएं बनेंगी शिक्षिकाएं
सूबे के समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दिशा-निर्देश के तहत सभी आंगनबाड़ी केंद्र जल्द ही प्री-नर्सरी व नर्सरी स्कूल के रूप में कार्य करने लगेंगे। जबकि, नोडल आंगनबाड़ी केंद्रों की संख्या बढ़ायी जाएगी, ताकि बच्चों को प्ले स्कूलों की सुविधा बढ़ायी जा सके। समाज कल्याण विभाग ने इसे लेकर सारी तैयारियां की हैं। मौजूदा समय में आंगनबाड़ी केंद्रों में सेविकाएं कार्य रही हैं। ऐसे में स्कूलों के रूप में इन्हेंं मान्यता दिए जाने के बाद इनकी भी पदोन्नति होगी। जो अब शिक्षक के रूप में काम करेंगे।
नजदीकी विद्यालय के होंगे लिंक
राज्य के प्राथमिक शिक्षा निदेशक डाॅ. रणजीत कुमार सिंह ने कहा कि सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी और बाल विकास परियोजना पदाधिकारी के सहयोग से वैसे आंगनबाड़ी केंद्र, जो विद्यालय परिसर के बाहर संचालित हैं उन केंद्रों को नजदीक के विद्यालय के साथ एक पखवारे में लिंक किया जाएगा, ताकि कोरोना संक्रमण कम होने के बाद जब केंद्र खुले तो बच्चों को प्री-नर्सरी के रूप में शिक्षा-दीक्षा देने का कार्य शुरू हो सके।