छोटे-छोटे उद्यमों के विकास से देश में बढ़ सकती है शांति और खुशहाली
कोरोना महामारी जनित कारणों ने देश में शांति और खुशहाली को कायम रखने में कई तरह की चुनौती पैदा की है लेकिन सुशासन के माध्यम से इसे दूर किया जा सकता है। सुशासन की सीमा शांति और खुशहाली है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि उभरते परिदृश्य और प्रतिस्पर्धा से आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला है। इसके पीछे सरकार द्वारा किए गए प्रयासों को नकारा नहीं जा सकता। सकारात्मक दृष्टिकोण को यदि और बड़ा कर दें तो व्यवसायी शासन का संदर्भ उभरता है जिसे उत्प्रेरक सरकार भी कह सकते हैं। ऐसा शासन जहां समस्या उत्पन्न होने पर उसका निदान ही नहीं किया जाता, बल्कि समस्या उत्पन्न ही नहीं होने दी जाती है। शासन या सरकार चाहे उद्यमी हो या उत्प्रेरक, परिणामोन्मुख होना ही होता है। सुशासन इसी की एक अग्रणी दिशा है जहां कार्यप्रणाली में अधिक खुलापन, पारदर्शिता और जवाबदेहिता की भरमार होती है। सरकार की नीतियां मंद न पड़ें और क्रियान्वयन खामियों से मुक्त हों व जनता के दुख-दर्द को मिटाने का पूरा इरादा हो तो वही सुशासन है।
आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत सुधारों और प्रोत्साहन के उद्देश्य से विभिन्न क्षेत्रों को मजबूत करना। अर्थव्यवस्था, अवसंरचना, तंत्र और जनसांख्यिकीय और मांग को समझते हुए आधारित सुधार हमेशा शांति और खुशियां देती रहती हैं। सरकारें अपनी योजनाओं के माध्यम से मसलन प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, खाद्य सुरक्षा, मनरेगा, किसान क्रेडिट कार्ड सहित आत्मनिर्भर पैकेज आदि के माध्यम से सुशासन की राह समतल करने के प्रयास में रहती हैं। गौरतलब है कि सुशासन एक लोक प्रवíधत अवधारणा है और यह तब तक पूरा नहीं होता जब तक जनता सशक्त नहीं होती। इसके अभाव में राज-काज तो संभव है, पर शांति और खुशहाली का अभाव रहता है।
साल 2020 कोरोना की अग्निपरीक्षा में रहा, जबकि साल 2021 कई संभावनाओं से दबा है। चूंकि कोविड का प्रभाव अभी बरकरार है, ऐसे में सत्ता को पुराने डिजाइन से बाहर निकलना होगा। दावे और वादे को परिपूर्ण करना होगा। किसी भी देश का विकास वहां के लोगों के विकास से जुड़ा होता है, ऐसे में सुशासन केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि सहभागी विकास और लोकतांत्रीकरण की सीमा लिए हुए है।
देखा जाए तो देश को आíथक सुधार के मार्ग पर अग्रसर हुए तीन दशक हुए हैं, इस दौरान अर्थव्यवस्था कई अमूलचूल बदलाव से गुजरी है। मगर कई समस्याएं आज भी रोड़ा बनी हुई हैं। भारत सरकार 2030 के सतत विकास लक्ष्य प्राप्त करने के लिए वचनबद्ध है, मगर वर्तमान स्थिति को देखते हुए और सुदृढ़ नीति की आवश्यकता है। भारत में भुखमरी की स्थिति खुशहाली के लिए चुनौती है। यह तब और आश्चर्य की बात है जब खाद्यान्न उत्पादन कई गुना बढ़ा हो। राष्ट्रीय स्वास्थ मिशन के तहत समता पर आधारित किफायती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ सेवाएं सबको सुलभ कराने का लक्ष्य रखा गया है।