पाकिस्‍तान के लिए भी मुसीबत बन सकता तालिबान का एक धड़ा, चुकानी पड़ सकती है भारी कीमत

अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो चुका है और जल्द ही यह आतंकी संगठन वहां अपनी सरकार भी बनाने जा रहा है। यह भी तय है कि पाकिस्तान की मदद के बिना तालिबान काबुल का शासन फिर हथियाने में कामयाब नहीं हो पाता।

पाकिस्‍तान के लिए भी मुसीबत बन सकता तालिबान का एक धड़ा, चुकानी पड़ सकती है भारी कीमत

अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो चुका है और जल्द ही यह आतंकी संगठन वहां अपनी सरकार भी बनाने जा रहा है। यह भी तय है कि पाकिस्तान की मदद के बिना तालिबान काबुल का शासन फिर हथियाने में कामयाब नहीं हो पाता। इसके बावजूद तालिबान जिस तरह से अपने स्वरूप में परिवर्तन कर मजबूत हुआ है उसे देखते हुए कई जानकार मान रहे हैं कि आगे चल कर यह संगठन पाकिस्तान के लिए भी मुसीबत खड़ी कर सकता है।

मुगालते में पाकिस्‍तान 

विशेषज्ञ यह भी याद दिला रहे है कि तालिबान अभी भी पाकिस्तान व अफगानिस्तान को विभाजित करने वाली सीमा रेखा डूरंड लाइन को स्वीकार नहीं करता। यही नहीं तालिबान का एक धड़ा कभी भी पाकिस्तान के साथ सहज नहीं रहा है। इस्लामाबाद हमेशा इसे एक संभावित खतरे के तौर पर देखता है।

देर सबेर बढ़ेगी पाक की मुश्किलें 

देश के प्रसिद्ध कूटनीतिक जानकार व पूर्व राजदूत विष्णु प्रकाश ने दैनिक जागरण से कहा कि देर सबेर तालिबान पाकिस्तान के खिलाफ भी खड़ा होगा। पाकिस्तान ने तालिबान को कई वर्षों तक शरण दी है लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि उन्हें किस तरह से रखा गया था। जब अमेरिका ने दबाव बनाया तो पाक ने तालिबान नेताओं को गिरफ्तार करने और उन्हें अमेरिकी जेल में डालने का काम किया। खैबर-पख्तूनख्वा के तालिबानी संगठनों का कभी भी पाकिस्तान के साथ बेहतर सामंजस्य नहीं रहा है।

डूरंड लाइन स्वीकार नहीं

यह भी याद रखा जाना चाहिए कि हाल ही में तालिबान ने साफ तौर पर कहा है कि उसे डूरंड लाइन स्वीकार नहीं है। तालिबानी पाकिस्तान यानी तहरीक ए तालिबान आफ पाकिस्तान (टीटीपी) ने पूर्व में पाकिस्तान के सैन्य व वहां के नागरिक ठिकानों कई खतरनाक हमले किए हैं। इसमें पेशावर स्थित सैनिक स्कूल पर किया गया हमला भी है जिसमें 145 मासूम बच्चों की हत्या हुई थी।

टीटीपी बड़ा खतरा

हाल ही में पूर्वोत्तर पाकिस्तान स्थित एक पनबिजली परियोजना में काम करने वाले चीनी मूल के नौ कर्मचारियों की हत्या के पीछे भी टीटीपी का हाथ बताया गया है। टीटीपी हमेशा से डूरंड लाइन की वैधता का सवाल उठाता रहा है। अफगानिस्तान में यह आम धारणा है कि उनके एक बड़े हिस्से को पाकिस्तान में शामिल किया गया है।

मारे जा चुके हैं 70 हजार पाकिस्तानी

पाकिस्तान के पूर्व राजदूत आसिफ दुर्रानी ने लिखा है कि तालिबान की जीत का जितना जश्न कुछ पूर्व पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी मना रहे हैं उतना पाक सेना नहीं मना रही। यह नहीं भूलना चाहिए कि तालिबान के आतंकी हमलों में 70 हजार पाकिस्तानी नागरिकों की जान गई है।

ट्राइबल इलाकों को आजाद कराने की मंशा

पाकिस्तान ने भी पूर्व में यह दावा किया है कि उसने आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई में 50 हजार आतंकियों को मार गिराया है। पाकिस्तान के प्रमुख सिक्यूरिटी विश्लेषक मुहम्मद अमीर राणा ने द डान अखबार में लिखा है कि तालिबान के आने से तहरीक-ए-तालिबान आफ पाकिस्तान मजबूत होगा। उन्होंने टीटीपी के नये प्रमुख नूर अली महसूद के इस बयान का भी जिक्र किया है जिसमें उसने पाकिस्तान के ट्राइबल इलाकों को आजाद करने की बात कही है।