Tokyo Olympics: दिल्ली के पांच खिलाड़ी दम दिखाने को तैयार, देश को पदकों की उम्मीद, कोच ने बताई संघर्ष की कहानी

Tokyo Olympics: दिल्ली के पांच खिलाड़ी दम दिखाने को तैयार, देश को पदकों की उम्मीद, कोच ने बताई संघर्ष की कहानी

टोक्यो ओलंपिक में भाग ले रहे देश के 127 खिलाड़ियों में से पांच खिलाड़ी दिल्ली के हैं। इन खिलाड़ियों के परिजनों एवं कोच को उनकी ओर से काफी अच्छा प्रदर्शन करने की संभावना है। उनकी तैयारी काफी अच्छी हुई है और ओलंपिक से पहले उन्होंने विभिन्न स्तर पर हुई प्रतियोगियों में अपनी क्षमता से अधिक परिणाम दिया है।

टोक्यो ओलंपिक में दिल्ली के पांच खिलाड़ी मनिका बत्रा, दीपक कुमार, सार्थक भांबरी, अमोज जैकब और सुमित नागल भाग ले रहे हैं। पांच खिलाड़ियों में से दो खिलाड़ी एक ही प्रतिस्पर्धा में देश का प्रतिनिधितत्व करेंगे। रोहिणी में रहने वाले अमोज जैकब एवं राजौरी गार्डन में रह रहे सार्थक भांबरी ओलंपिक में चार गुना चार सौ मीटर रिले दौड़ में दौड़ेगे, जबकि तीन अन्य खिलाड़ी अलग-अलग प्रतिस्पर्धा में देश का प्रतिनिधितत्व करेंगे। जगतपुर के दीपक कुमार शूटिंग और मोती नगर के सुमित नागल टेनिस में खेलेंगे।
मनिका बत्रा।

देश को गोल्ड मेडल दिलाने वाली मनिका बत्रा ने खोले राज
भारत की महिला टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा का ओलंपिक का शानदार सफर जारी है। मनिका ने टोक्यो ओलंपिक के तीसरे दिन रविवार को दूसरे दौर का मुकाबला जीत लिया है। उन्होंने यूक्रेन की खिलाड़ी पेसोत्सका मारग्रेटा को हराया है। टोक्यो ओलंपिक जाने से पहले मनिका ने कहा कि राष्ट्रमंडल खेलों में मेरी सफलता के बाद देश में बैडमिंटन की तरह टेबल टेनिस के क्षेत्र में भी बदलाव आएगा। इस खेल के बारे में लोग गंभीरता से सोचेंगे। वैसे दूसरे खेलों की तरह यह खेल भी आसान नहीं है। करीब 19 साल पहले, जब मैं चार साल की थी, घरवालों ने मेरे बारे में एक निर्णय लिया था। अपनी बड़ी बहन की देखा-देखी मैं भी घर में एक मेज पर ही टेबल टेनिस खेलने की कोशिश करने लगी थी।


सुमित नागल

आठ साल की उम्र में सुमित ने थाम लिया था रैकेट
टेनिस में विश्व के बड़े खिलाड़ियों के समक्ष चुनौती प्रस्तुत कर चुके सुमित नागल को ही नहीं, बल्कि उनके पिता सुरेश नागल को भी ओलंपिक में पदक जीतने की उम्मीद है। उत्तरी दिल्ली नगर निगम में शिक्षक सुरेश नागल बताते हैं कि उनके बेटे में कोई घबराहट नहीं है। वह ड्रा से बेचिंतित होकर अपनी तैयारी में जुटा हुआ है। सुमित ने उनको बताया है कि ओलंपिक में खेलने आए अधिकतर बड़े खिलाड़ियों के विरूद्ध वह कई बार खेल चुके हैं। उन्हें उनकी कमजोरी एवं खूबी के बारे में पूरी जानकारी है। उन्हें केवल पदक जीतने के लिए एक अच्छे दिन की आवश्यकता है। सुमित ने आठ साल की आयु में ही टेनिस का रैकेट हाथ में थाम लिया था और उन्होंने शुरुआत में पश्चिम विहार में टेनिस की कोचिंग लेनी शुरू की।

दीपक कुमार।

दीपक ने कंकड़ से सीखी निशानेबाजी
शूटर दीपक कुमार के परिजनों को उनसे ओलंपिक में पदक जीतने की पूरी उम्मीद है। उनके भाई राहुल बताते हैं कि ओलंपिक तैयारी के लिए दीपक ने दो माह से सोशल मीडिया से दूरी बना रखी है। इसी तरह वह अपने परिजनों से भी दूरी बनाए हुए हैं। वह परिजनों से भी बहुत कम बात कर रहा है। वह जब भी बात करता है तो केवल पदक जीतने की तैयारी के बारे में ही बताता है। इस तरह उन्होंने अपना ध्यान तैयारी पर लगा रखा है। दीपक बचपन से निशानेबाजी का शौकीन था। वह बचपन में कंकड़ से निशानेबाजी करता था। उनकी निशानेबाजी में रुचि देखकर उनके परिजनों ने प्राथमिक शिक्षा के बाद उनको शूटिंग अकादमी में कोचिंग दिलानी आरंभ की।

सार्थक भांबरी

पांच साल की उम्र में सार्थक उतर गया था रेसिंग ट्रैक पर
एथलीट सार्थक भांबरी को सर्वप्रथम बेहतर दौड़ने के वर्षों तक टिप्स देने वाली दिल्ली सरकार की कोच सुनीता रॉय कहती है कि वह शुरू से ही चार सौ मीटर दौड़ में काफी बेहतर प्रदर्शन करता रहा है। उनकी प्रतिभा देखकर ही उन्हें चार मीटर दौड़ को कैरियर बनाने की सलाह दी गई थी। उनके प्रदर्शन एवं प्रतिभा को देखकर लग रहा है कि वह चार गुना चार सौ मीटर में देश को पदक दिलाने में समक्ष है। वह प्रतिभा का धनी खिलाड़ी है। वह पांचवीं कक्षा पास करने के बाद छत्रसाल स्टेडियम में दौड़ की कोचिंग लेने आना शुरू हो गया था। यहां कई साल तक कोचिंग लेने के दौरान वह स्कूली स्तर पर राष्ट्रीय प्रतियोगितयों में पदक जीतने में कामयाब हुआ। इसके बाद उन्होंने नेहरू स्टेडियम में कोचिंग लेनी आरंभ की।

अमोज जैकब

कोच ने दी अमोज को ताकत, हर पल बने मददगार
एथलीट अमोज जैकब के कोच अरविंद कपूर बताते है कि ओलंपिक को लेकर उनकी बहुत ही अच्छी तैयारी है। वह चार सौ मीटर दौड़ में राष्ट्रीय चैम्पियन है और उनकी देश को ओलंपिक पदक दिलाने में अहम भूमिका हो सकती है। दरअसल वह लक्ष्य पूरा करने के लिए अपनी ताकत लगा देते हैं और ओलंपिक पदक उनका लक्ष्य है। ओलंपिक में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए उनको कोचिंग के टिप्स अपनाने और तनाव मुक्त रहने की सलाह दी है। अमोज जैकब का एथलिट बनने का सफर काफी कड़ा रहा। वह अपने कोच की मदद की बदौलत ही एथलीट बन सका। उनके कोच ही उन्हें कोचिंग सेंटर पर लेकर जाते थे और वह उनके साथ वापस आते थे। उनके माता पिता के पास समय का अभाव रहता था।