निर्यात संवर्धन में रत्न-आभूषण सेक्टर महत्वपूर्ण, सरकार एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए संभावनाओं वाले क्षेत्र के रूप में इसे देख रही
सरकार निर्यात को बढ़ावा देने के लिए रत्न व आभूषण सेक्टर को बेहद संभावनाओं भरे क्षेत्र के रूप में देख रही है। वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को कहा कि भारत के रत्न और आभूषण उद्योग का विदेशी मुद्रा हासिल करने में उल्लेखनीय योगदान रहा है।
सरकार निर्यात को बढ़ावा देने के लिए रत्न व आभूषण सेक्टर को बेहद संभावनाओं भरे क्षेत्र के रूप में देख रही है। वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को कहा कि भारत के रत्न और आभूषण उद्योग का विदेशी मुद्रा हासिल करने में उल्लेखनीय योगदान रहा है। इसलिए सरकार ने इस क्षेत्र में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) की अनुमति दी है। वर्तमान में भारत 35 अरब डॉलर (करीब 2.55 लाख करोड़ रुपये) मूल्य के रत्न और आभूषणों का सालाना निर्यात करता है।
इस बड़े आंकड़े के साथ यह दुनिया के सबसे बड़े निर्यातकों में एक है और अमेरिका, हांगकांग, चीन, मध्य पूर्व, रूस जैसे शीर्ष बाजारों की मांग को पूरा करता है। रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) द्वारा ऑनलाइन माध्यम से आयोजित पांच दिवसीय अंतरराष्ट्रीय रत्न और आभूषण प्रदर्शनी (आइजीजेएस) के उद्घाटन समारोह में पुरी ने कहा कि इस व्यापार मेले का आयोजन बिल्कुल सही वक्त पर हो रहा है।
इसकी वजह यह है कि कोविड-19 की वैक्सीन आने के साथ ही सभी प्रमुख बाजारों में रत्न और आभूषणों की मांग फिर बढ़ने लगी है। जीजेईपीसी के चेयरमैन कॉलिन शाह ने कहा कि भारत पन्ना और मॉर्गेनाइट के बड़े मैन्युफैक्चरिंग केंद्र के रूप में उभरा है और जीजेईपीसी ने पिछले कुछ वर्षो में चांदी की भारी मांग भी देखी है। उन्होंने कहा कि परिषद ने अगले कुछ वर्षो में रत्न और आभूषणों के निर्यात को 35 अरब डॉलर से बढ़ाकर 75 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य तय किया है। शाह का कहना था कि मुंबई स्थित ज्वैलरी पार्क देश में ज्वैलरी मैन्युफैक्चरिंग को नया आयाम देगा।