डॉक्टर बता रहे राजधानी में मरने वालों की संख्या अधिक होने के पीछे एक कारण ये भी!

कोरोना संक्रमण से बढ़ रहे मौत के मामलों ने सभी को डरा कर रख दिया है, लेकिन हैरानी की बात है कि राजधानी में सामान्य मौत के मामले भी बढ़ रहे हैं। यही वजह है कि जहां श्मशान घाटों में 50-60 अधिकतम सामान्य अंतिम संस्कार हुआ करते थे वह आंकड़ा अब सौ के करीब पहुंच गया है और यह तेजी से बढ़ता जा रहा है।

डॉक्टर बता रहे राजधानी में मरने वालों की संख्या अधिक होने के पीछे एक कारण ये भी!

कोरोना संक्रमण से बढ़ रहे मौत के मामलों ने सभी को डरा कर रख दिया है, लेकिन हैरानी की बात है कि राजधानी में सामान्य मौत के मामले भी बढ़ रहे हैं। यही वजह है कि जहां श्मशान घाटों में 50-60 अधिकतम सामान्य अंतिम संस्कार हुआ करते थे वह आंकड़ा अब सौ के करीब पहुंच गया है और यह तेजी से बढ़ता जा रहा है।

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हालांकि विशेषज्ञ इसके पीछे सामान्य बीमारियों से पीडि़त मरीजों को इलाज न मिलना बड़ी वजह बता रहे हैं। उनकी सलाह है कि कोरोना के मरीजों का इलाज तो प्राथमिकता पर होना ही चाहिए, लेकिन दूसरी बीमारियों के मरीजों को नजरअंदाज करना सही नहीं है। दिल्ली के सबसे बड़े श्मशान घाट निगम बोध की बात करें तो अप्रैल की शुरुआत में जहां 30-40 ही अंतिम संस्कार प्रतिदिन हो रहे थे, लेकिन अब उसकी संख्या सौ के करीब तक जा पहुंची है। जैसे-जैसे कोरोना से मौत के मामले बढ़ रहे हैं ऐसे ही सामान्य मौत के मामले भी बढ़ रहे हैं।

निगम बोध की तरह मध्य दिल्ली स्थित पंचकुइयां रोड शवदाह गृह भी भी सामान्य मौत से होने वाले अंतिम संस्कार के मामलों में वृद्धि हुई है। निगम बोध घाट संचालन समिति के अध्यक्ष सुमन गुप्ता ने कहा कि हमारे यहां औसतन 50-60 अंतिम संस्कार प्रतिदिन हुआ करते थे, लेकिन अब हमारे यहां 200 तक अंतिम संस्कार हो रहे हैं। इसमें 100 के करीब अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकाल के हैं तो वहीं इतने ही सामान्य मौत के हैं।

उल्लेखनीय है कि निगमों ने कोरोना के मौत होने पर अस्पतालों के हिसाब से श्मशान घाट, शवदाह गृह और कब्रिस्तान आवंटित कर रखे हैं। ऐसे में निगम बोध घाट पर लोकनायक अस्पताल में कोरोना से मृतकों के अंतिम संस्कार किए जाते हैं। जबकि सामान्य अंतिम संस्कार मृतक के स्वजन अपनी आस्था व सहूलियत के हिसाब से कराते हैं।

सामान्य मरीजों को न करें नजर अंदाज

एनडीएमसी के पूर्व सीएमओ डा. अनिल बंसल का कहना है कि सामान्य मरीजों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। ऐसे में सामान्य मरीजों के लिए यह घातक हो सकता हैं। बंसल ने कहा कि सामान्य मौतों के अंतिम संस्कार का बढ़ना इस ओर संकेत करता है कि लोगों को कोरोना के अतिरिक्त दूसरी बीमारियों का इलाज नहीं मिल रहा है। ऐसे में प्रशासन को इस बात को गंभीरता से लेना चाहिए। कोरोना के लिए निर्धारित अस्पतालों के अतिरिक्त सामान्य दिल, मधुमेह, कैंसर, उच्च रक्तचाप, ब्रेन स्टोक मरीजों को इलाज पर ध्यान देना चाहिए। कई लोगों की सर्जरी टल रही है। ऐसे में उन्हें समय पर इलाज नहीं मिलेगा तो परेशानी मरीजों को ही होगी।