Kisan Andolan: जानिए किन वजहों से फिर पंजाब से ट्रैक्टर ट्राली पर सवार होकर दिल्ली आने लगे किसान!
कृषि काूननों के विरोध में कुंडली बार्डर पर चल रहे आंदोलन में एक बार फिर से पंजाब व अन्य स्थानों से लोगों का आना शुरू हो गया है। कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच इस तरह से बाहर से आकर लोगों का आंदोलनकारियों की भीड़ में शामिल होने से यहां भी कोरोना का खतरा बढ़ गया है।
कृषि काूननों के विरोध में कुंडली बार्डर पर चल रहे आंदोलन में एक बार फिर से पंजाब व अन्य स्थानों से लोगों का आना शुरू हो गया है। कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच इस तरह से बाहर से आकर लोगों का आंदोलनकारियों की भीड़ में शामिल होने से यहां भी कोरोना का खतरा बढ़ गया है। बढ़ती भीड़, लगातार लोगों की आवाजाही और कोरोना से बचाव के किसी भी नियमों का पालन नहीं होने के कारण आंदोलन स्थल पर संक्रमण तेजी से फैलने का खतरा मंडराने लगा है।
गेहूं फसल कटाई के बाद एक बार फिर से आंदोलनकारी बार्डर पर जुटने लगे हैं। आंदोलन स्थल पर पहले से ही पांच-सात हजार की भीड़ मौजूद है और अब एक बार फिर से पंजाब से ट्रैक्टरों के माध्यम से बड़ी संख्या में पंजाब से आंदोलनकारी यहां पहुंचने लगे हैं।
एक दिन पहले भी पंजाब से करीब तीन से चार दर्जन ट्रैक्टर-ट्राली से आंदोलनकारी कुंडली बार्डर पर पहुंचे। इस तरह से आंदोलन स्थल पर बढ़ती भीड़ को देखते हुए आसपास के ग्रामीण भी सशंकित हो गए हैं और उन्हें कोरोना का भय सताने लगा है। कुंडली और आसपास के ग्रामीणों का कहना है कि जब तक यह आंदोलन जारी रहेगा, भीड़ आती रहेगी। इसलिए सरकार को किसी भी तरह से इनको यहां से हटाना चाहिए।
क्योंकि ये आंदोलनकारी न तो अपनी कोविड की जांच करवा रहें है और न ही जीटी रोड को खाली कर रहे हैं। कोविड-19 का दूसरा चरण बेकाबू होता जा रहा है। जिले में रोजाना 700-800 संक्रमित मिल रहे हैं और इनमें बड़ी संख्या में मरीज विभिन्न गांवों से भी मिल रहे हैं। ऐसे में थोड़ी सी लापरवाही भी भारी पड़ सकती है और कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन स्थल पर इसको लेकर पूरी लापरवाही बरती जा रही है।
संयुक्त मोर्चा के सदस्य मंजीत सिंह राय ने तो साफ तौर पर कहा है कि मोर्चा किसी भी आंदोलनकारी की कोरोना जांच प्रशासन को नहीं करने देगा। क्योंकि प्रशासन सरकार के इशारे पर उन्हें उठाने की बात कह रहा है। कुंडली औद्योगिक एसोसिएशन के प्रधान सुभाष गुप्ता का कहना है कि इस महामारी के सामने अब आंदोलन के बारे में सोचना उचित नहीं है। कोरोना संक्रमण गांवों में भी खूब फैल रहा है। इसके चलते आंदोलन को फिलहाल स्थगित करना चाहिए। इस महामारी से निपटने के लिए सभी को साथ देना चाहिए। क्योंकि अगर जान बची तो आंदोलन फिर होते रहेंगे
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