मुठभेड़ सही तो मुआवजा क्यों, मानवाधिकार आयोग के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट जाएगी झारखंड सरकार

Jharkhand News मामला गुमला में पुलिस-पीएलएफआइ मुठभेड़ का है। वर्ष 2013 में नवीन कुमार साहू नामक युवक मारा गया था। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इसे पुलिस की लापरवाही बताते हुए मृतक के आश्रित को पांच लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया था।

मुठभेड़ सही तो मुआवजा क्यों, मानवाधिकार आयोग के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट जाएगी झारखंड सरकार

गुमला में पुलिस-पीएलएफआइ मुठभेड़ जब सही था तो इस मुठभेड़ में मारे गए नवीन कुमार साहू के आश्रित को पांच लाख रुपये का मुआवजा सरकार क्यों देगी? राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा मुआवजा देने से संबंधित आदेश के खिलाफ राज्य सरकार अब हाई कोर्ट में अपील पर जाएगी। इसके लिए राज्य सरकार को महाधिवक्ता का भी मंतव्य प्राप्त हो चुका है। मुठभेड़ की यह घटना वर्ष 2013 की है। इस मामले में गुमला थाने में 21 मार्च 2013 को प्राथमिकी दर्ज की गई थी। तब पुलिस की गोली से गुमला के खोरा पतरा टोली निवासी नवीन कुमार साहू की मौत हो गई थी। इसके बाद झारखंड पुलिस की अपराध अनुसंधान विभाग ने भी जांच की थी और इसकी न्यायिक जांच भी कराई गई थी।

ऐसे हुई थी मुठभेड़

गुमला थाने में खोरी पतरा टोली के ही मनोज साहू ने नवीन कुमार साहू व दो अन्य पीएलएफआइ उग्रवादियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आरोपितों ने मनोज साहू के बड़े भाई को पीएलएफआइ कमांडर राजेश टाइगर के नाम से कॉल किया था और दो लाख रुपये की रंगदारी नहीं देने पर जान से मारने तथा गाड़ी जलाने की धमकी दी थी। 21 मार्च 2013 की सुबह 38 हजार रुपये लेकर मनोज साहू के बड़े भाई उग्रवादियों के बताए स्थान पर पहुंचे थे। पैसा कम होने पर एक उग्रवादी ने दहशत पैदा करने के लिए हवा में फायर किया था। तभी अचानक वहां पुलिस पहुंच गई थी।

उग्रवादियों ने पुलिस पर फायरिंग करते हुए भागने की कोशिश की और जवाबी फायरिंग में एक युवक मारा गया था। उसकी पहचान नवीन कुमार साहू के रूप में की गई थी। घटना के बाद तत्कालीन एसडीपीओ गुमला ने पंचनामा तैयार किया था। मेडिकल बोर्ड ने शव का पोस्टमार्टम किया था और उसकी वीडियोग्राफी कराई गई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी लंबी दूरी से गोली चलने की पुष्टि हुई थी। न्यायिक जांच में भी इस बात की पुष्टि हुई थी कि पुलिस का वह मुठभेड़ असली था।

मृतक के स्वजनों का दावा- छात्र था नवीन, पुलिस ने हत्या की

इधर, मृतक के स्वजनों का आरोप है कि पुलिस जिसे पीएलएफआइ का उग्रवादी बताकर मुठभेड़ में मारने का दावा कर रही है, वह वास्तव में छात्र था और पुलिस ने उसकी हत्या की है। यही आरोप लगाकर स्वजन राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग गए थे। यहां सुनवाई के बाद आयोग ने मृतक के आश्रित को पांच लाख रुपये का मुआवजा देने के लिए राज्य सरकार को निर्देश दिया था। नवीन के पिता किसान हैं। उनका कहना है कि उन्हें मुआवजा देने की बात थी, लेकिन अब तक फूटी कौड़ी भी नहीं मिली। उन्हें अब भी उम्मीद है कि न्याय मिलेगा।