दिल्ली की 1.35 करोड़ जनता को घर का मिलेगा मालिकाना हक, केंद्र सरकार ने दी खुशखबरी
दूसरे अधिनियम 2020 में संशोधन राज्यसभा में मंजूर होने के बाद कहा कि इससे न सिर्फ 1.35 करोड़ की दिल्ली की आबादी के जीवनस्तर में सुधार आएगा बल्कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट से भी दिल्ली दुनिया की सर्वश्रेष्ठ राजधानियों में से एक बन जाएगी।
संसद के उच्च सदन में दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के कानूनों (विशेष प्रविधानों) दूसरे विधेयक, 2021 को पारित कर दिया गया है। केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हरदीप सिंह पुरी ने राज्यसभा में कहा कि दिल्ली की अवैध बस्तियों में रहने वाली 1.35 करोड़ जनता को अब अपने घर का मालिकाना हक मिलेगा। उन्होंने कहा-‘जहां झुग्गी-वहां मकान’ योजना के लिए टेंडर जारी किए जा चुके हैं।
पुरी ने मंगलवार को दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के कानूनों (विशेष प्रविधानों) दूसरे अधिनियम, 2020 में संशोधन राज्यसभा में मंजूर होने के बाद कहा कि इससे न सिर्फ 1.35 करोड़ की दिल्ली की आबादी के जीवनस्तर में सुधार आएगा, बल्कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट से भी दिल्ली दुनिया की सर्वश्रेष्ठ राजधानियों में से एक बन जाएगी। उन्होंने कहा, अगले साल होने वाली जनगणना में 1.35 करोड़ जनता के जुड़ने की उम्मीद है।
इससे पहले माकपा के सदस्य बिकास रंजन ने कहा कि क्या हम किसी अधिनियम राज में रह रहे हैं। इस विधेयक का मकसद इतना बड़ा होने के बावजूद इसे अब तक लागू नहीं किया जा सका। वहीं, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने कहा कि सदन में बताया गया है कि 40 लाख लोग झुग्गियों में रहते हैं।
बता दें, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 30 दिसंबर,2020 को इस अधिनियम को लागू करने की घोषणा की थी। इसके जरिये दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के कानूनों (विशेष प्रविधानों) दूसरे अधिनियम, 2011 में संशोधन किया गया था। 2011 का यह अधिनियम 31 दिसंबर, 2020 तक ही वैध था। इस अधिनियम से इसकी समय सीमा बढ़कर 31 दिसंबर, 2023 तक हो गई है। 2011 के इस अधिनियम के जरिये राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 31 मार्च, 2002 तक की अवैध कालोनियों का नियमितीकरण होगा। साथ ही एक जून, 2014 तक जहां कहीं भी निर्माण हुआ है, उसका भी नियमितीकरण होगा।
यह संशोधन अवैध कालोनियों के नियमितीकरण की पहचान करने के लिए किया जा रहा है, ताकि दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र अधिनियम, 2019 (अवैध कालोनियों के निवासियों के संपत्ति अधिकारों की पहचान) और दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र नियमितीकरण, 2019 (अवैध कालोनियों के निवासियों के संपत्ति अधिकारों की पहचान) के जरिये इन संपत्तिधारकों की सही पहचान हो सके। इसलिए एक जून, 2014 तक मौजूद रही अवैध कालोनियों और एक जनवरी, 2015 तक 50 फीसद विकास करने वाली कालोनियां नियमितीकरण के लिए उपयुक्त मानी जाएंगी। सरकार अब इस अधिनियम को इस बिल के जरिये कानून बनाना चाहती है।