बाराबंकी हादसा : 85 की क्षमता, सवार थे 135 यात्री, किसी ने भाई खोया तो किसी ने पिता, देखें तस्वीरें
रामसनेहीघाट के सड़क हादसे में एनएचएआई और परिवहन विभाग की लापरवाही और मनमानी खुलकर सामने आई है। जिस बस में 85 सवारियों की क्षमता थी उसमें 135 यात्रियों को बैठा दिया गया। हरियाणा से लेकर बाराबंकी तक बस आ गई पर उसे किसी ने रोका तक नहीं। यही नहीं हाईवे पर हादसों को रोकने के लिए पेट्रोलिंग से लेकर हर सुविधा मुहैया कराने का दावा भले ही वह करता हो लेकिन उसकी टीम कहीं दिखती नहीं है।
हादसे के बाद एक क्रेन तो आई पर उसकी हालत ऐसी थी कि बचाव कार्य में कोई राहत नहीं दे पाई। आखिर में पुलिस ने दो अलग से क्रेनें मंगवाकर राहत और बचाव कार्य पूरा किया। इस तरह परिवहन और एनएचएआई की गतिविधियों से साफ हो गया कि वह खाऊकमाऊ नीतियों के सामने हादसों को कम करने में कोई जिम्मेदारी नहीं निभा पा रही है।
अयोध्या हाईवे पर हादसे के चश्मदीद यात्रियों का आरोप है कि उनको बस संचालक ने जबरन दूसरी बस में बैठाया। बस के यात्री फौनी साहनी ने बताया कि वह लोग पंजाब के अंबाला से घर जा रहे थे। लेकिन अंबाला से जिस बस में सवार हुए थे वह उन्हें हरियाणा के हिसार तक लाई। इसके बाद ड्राइवर ने बस खराब होने की बात कहते हुए जबरन दूसरी बस में बैठा दिया। यात्री राजेश मुखिया ने बताया कि यदि बस में जबरन इतने यात्री न बैठाते तो यह हादसा न होता। पुलिस जहां बस में 135 यात्री सवार होने की बात कह रही है।
बस के यात्रियों का कहना है कि इसमें 150 से अधिक लोग सवार थे। जिस सीट पर सिर्फ चार सवारी बैठ सकती है उसमें सात-सात लोग बैठकर आ रहे थे। इसी के चलते जहां पहले बस का टायर पंक्चर हुआ वहीं उसके कुछ देर बाद ही एक्सल टूटने के बाद यह हादसा सामने आया है।
क्षमता से अधिक सवारियां ढोने वाली बसों व अधिक भार लेकर चलने वाले ट्रकों से वसूली के लिए प्रत्येक जिले में अलग-अलग जगहों पर प्वाइंट होते हैं। यहां पर एआरटीओ के दलाल सक्रिय रहते हैं जो इन वाहन चालकों से वसूली करने का काम करते हैं। इसी का नतीजा है कि किसी भी बस व ओवरलोड ट्रक को रात के समय कहीं चेक ही नहीं किया जाता है। यदि परिवहन विभाग व पुलिस गंभीरता से काम करे तो ओवरलोड वाहनों पर अंकुश लगाने के साथ इस तरह के बस हादसों से बचा जा सकता है। उधर, एआरटीओ प्रशासन पंकज सिंह ने कहा कि जो बस हादसे का शिकार हुई है उसकी क्षमता 85 सवारियां बैठाने की है। बस में अधिक सवारी बैठाने के मामले की जांच कराई जा रही है।
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किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ट्रॉमा सेंटर में घायलों का आना कोई नई बात नहीं है, पर बुधवार सुबह यहां पर एक साथ 11 घायलों के आने के बाद कैजुअल्टी के सभी बेड भर गये। किसी के सिर में चोट थी तो किसी की रीढ़ की हड्डी में चोट आ गई थी। हाथ-पैर फ्रैक्चर होने के अलावा छोटे-बड़े घाव तो लगभग सभी के शरीर पर थे। ट्रॉमा सेंटर को इन मरीजों के आने की सूचना पहले ही मिल गई थी इसलिए घायलों के पहुंचने से पहले ही पूरी व्यवस्था हो चुकी थी।
ट्रामा सेंटर के अधीक्षक डॉ. संदीप तिवारी ने बताया कि जैसे ही बाराबंकी के घायलों को लखनऊ शिफ्ट करने की सूचना मिली तो कैजुअल्टी में बेड सुनिश्चित किये गये। कैजुअल्टी में भर्ती मरीजों को वार्ड में शिफ्ट करके जगह बनाई गई। ट्रॉमा सेंटर में कुल 11 मरीजों को भर्ती कराया गया। जिसमें से एक को सिर में, दो की हड्डी टूटने और एक को स्पाइन पर चोट थी। बाकी घायलों को मामूली चोट लगी थी। इन सभी को कैजुअल्टी में भर्ती कराकर इलाज किया जा रहा है। डॉ. संदीप तिवारी के अनुसार सभी की हालत खतरे से बाहर है। मरीजों के परिजन मोबाइल नंबर- 8887019133 और 9453004209 पर कॉल करके हालचाल पता कर सकते हैं।
घटना में घायल सोनू ने बताया कि बस में पहले से ही ठूंसकर सवारियां भरी गई थीं। बाराबंकी के करीब आते-आते रात 12 बजे के करीब बस का एक्सेल टूट गया। इसलिए ड्राइवर बस किनारे खड़ी करके उसे सही करने लगा। गर्मी की वजह से ज्यादातर सवारियां बस के सामने ही सड़क पर लेट गईं। कुछ को नींद आने लगी जबकि कुछ आधी नींद में थे। थोड़ी ही देर में अचानक जोरदार टक्कर की आवाज हुई।
टक्कर की आवाज से नींद खुली तो देखा कि बस आसपास के लोगों को कुचलते हुए आगे बढ़ती जा रही थी। किसी के पास इतना समय नहीं था कि खुद उठकर भाग पाता या किसी की मदद कर पाता। जो जहां था वहीं रह गया। जिसके ऊपर बस का पहिया उसकी जान मौके पर ही चली गई। जबकि घायल चीख-पुकार करने लगे। थोड़ी ही देर में मौके पर पुलिस पहुंची। जिसने घायलों को बाराबंकी के जिला अस्पताल में भर्ती कराया। वहां से 11 लोगों को सुबह बाराबंकी शिफ्ट किया गया।
दुर्घटना में घायल हुए मुंदर साहनी ने बताया कि वे लोग अंबाला से अपने घर जाने के लिए बस में चढ़े थे। निजी बस चालक ने 160 से 165 सवारियां ठूंसकर भर लीं। सभी को घर जाने की जल्दी थी इसलिए मजबूरी में बस में बैठना पड़ा। मुंदर के अनुसार उसे नहीं पता था कि यह यात्रा इतनी भयानक होने वाली है।
एसपी यमुना प्रसाद ने बताया कि बस हादसे में कोतवाली रामसनेहीघाट पुलिस ने बस संख्या- यूपी 22 टी 7918 ऋषभ ट्रैवेल्स कम्पनी के मालिक नाम पता अज्ञात, ऋषभ ट्रैवेल्स कम्पनी के मैनेजर नाम पता अज्ञात व ट्रक संख्या- एनएल 01 क्यू 8280 के चालक नाम पता अज्ञात के खिलाफ गैर इरादतन हत्या, महामारी अधिनियम सहित कई धारा में केस दर्ज किया गया है। एसपी का कहना है कि आरोपियों का पता लगाने के लिए पुलिस टीम लगाई गई है। जल्द ही उनको गिरफ्तार करने की कार्रवाई की जाएगी।
बस हादसे के बाद इसमें सवार रहे लोग अपने परिजनों को तलाशते नजर आए। इसमें से तमाम ऐसे लोग थे जो हादसे के समय बस से काफी दूर बैठे थे जिसके चलते उनकी जान बच गई। कई महिलाएं, बच्चे भी हादसे का शिकार होने से बच गए। जो लोग इस हादसे में बच गए वह भगवान का लाख लाख शुक्रिया अदा कर रहे हैं।
हादसे का शिकार हुए 18 लोगों के शव का पोस्टमार्टम करवाने के पहले पुलिस की कार्रवाई के लिए पांच थानों शहर कोतवाली, सतरिख, कोठी, मसौली व जैदपुर की पुलिस को लगाया गया। एसपी यमुना प्रसाद ने बताया कि सभी के शव का पंचनामा भरवाकर आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। वहीं 10 डॉक्टरों की टीम को मृतकों के शवों के पोस्टमार्टम कार्य में लगाया गया।
सड़क हादसे का शिकार हुए सभी 18 लोगों के शव का पोस्टमार्टम करवाने के बाद उनके शव बुधवार की शाम बिहार भेजवाए गए है। पुलिस प्रशासन द्वारा सभी शवों को उनके घर तक भेजने के लिए वाहनों का प्रबंध कराया है। मृतकों के साथ उनके परिजन भी अपने-अपने घर के लिए रवाना हो गए हैं। सड़क हादसे में 18 लोगों के मारे जाने के बाद सक्रिय हुए परिवहन विभाग के आयुक्त परिक्षेत्र लखनऊ निर्मल कुुमार और आरटीओ फैजाबाद, एआरटीओ परिवर्तन शिखर ओझा ने मौके पर जांच कर शासन को एक गोपनीय रिपोर्ट भेजी है।
सूत्र बताते हैं कि रिपोर्ट में सवाल खड़े किए गए हैं कि पांच घंटे तक एनएचएआई पर बस खड़ी रही। एनएचएआई की पेट्रोलिंग बस मौके पर क्यों नहीं दिखी। बस चालक और परिचालक ने 112 को सूचना भी नहीं दी। यात्रियों की इतनी संख्या कैसे हो गई आदि बिंदुओं की रिपोर्ट शासन को भेजी है।
आधी रात तेज बारिश के बीच अयोध्या हाईवे हुए सड़क हादसे में ट्रक यमदूत बना तो पुलिस की मेहनत ने कई लोगों की जान बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। एसपी यमुना प्रसाद से लेकर सिपाही तक रेस्क्यू ऑपरेशन में जिस तरह बारिश में जुटे रहे। उसे लोगों ने कहा कि पुलिस ने फरिश्ता बनकर कई घायलों की जान बचा ली।
रात में ही एडीजी ने भी पहुंचकर पुलिस की कार्यशैली को जमकर सराहा। सड़क हादसे पर नजर डालें तो कालचक्र किस तरह अपना खेल करता है, यह साफ नजर आएगा। जान गंवाने वाले कई ऐसे थे जो सवार तो दूसरी बस पर हुए मगर उन्हें उसे छोड़कर इस पर बैठना पड़ा। यही नहीं घटनास्थल से कुछ दूर पहले बस का टायर फटने से हादसा होते-होते बचा। सभी बाल-बाल बच गए। आगे ढाबे पर सबने खाना खाया और फिर सवार होकर चंद किलोमीटर दूर चले कि बस का एक्सल टूट गया।
बस चालक और संचालक मिस्त्री की तलाश कर के लौटे थे इसी बीच बस के भीतर अधिक भीड़ होने के कारण कुछ यात्री बस के नीचे और सामने सुरक्षित ठिकाना तलाश कर सो गए। तभी यमदूत बनकर पहुंचा एक ट्रक पीछे से जोरदार टक्कर मारते हुए लोगों को कुचल दिया। बस में सवार यात्री कुछ समझ पाते इससे पहले ही चीख-पुकार सुनकर कोहराम मच गया। तेज बारिश के बीच चीख-पुकार सुन डायल 112 के सिपाही पहुंच गए।
घटना देखकर इसकी सूचना कोतवाली और उच्च अधिकारियों को दी। कोतवाल सच्चिदानंद राय, सीओ पंकज सिंह पुलिस बल के साथ तत्काल मौके पर पहुंचे व घायलों की मदद में लग गए। पुलिस कर्मियों ने बारिश के बावजूद अपनी जान की परवाह किए बगैर एक-एक घायल को बस से बाहर निकाला व उन्हें अस्पताल पहुंचवाया। हादसे की सूचना पर एसपी यमुना प्रसाद, एएसपी मनोज पांडेय भी मौके पर पहुंचे और पीड़ितों की हर संभव मदद करने का प्रयास किया।
बस हादसे का शिकार हुए लोग तीन महीने पहले धान की रोपाई करने के लिए पंजाब व हरियाणा गए थे। यह लोग बिहार से गुट बनाकर जाते हैं और वहां पर ठेका लेकर धान रोपाई का काम करते हैं। काम समाप्त करने के बाद घर जा रहे मजदूरों को यह नहीं पता था कि पल भर में उनका सब कुछ उजड़ने जा रहा है। हादसे में किसी ने अपने भाई को खोया तो किसी के पिता की जान चली गई। कुछ पल पहले जिन परिजनों के साथ हंसी, खुशी घर जा रहे थे कुछ ही क्षण बाद उन्हीं का पोस्टमॉर्टम कराने के लिए खड़े थे।
पीड़ितों ने कहा इस हादसे ने पल भर में सब कुछ उजाड़ दिया। बस हादसे में मामूली रूप से चोटिल हुए जिला सहरसा बिहार निवासी राजेश मुखिया ने बताया कि उनके साथ चचेरे भाई सिकंदर मुखिया थे और वह पंजाब में धान रोपाई का काम कर लौट रहे थे। हादसे में सिकंदर मुखिया की मौत हो गई है।
इसके साथ ही सीतामढ़ी के रहने वाले फगुनी ने बताया कि उनका चौदह लोगों का ग्रुप धान की रोपाई करने के लिए हरियाणा गया था। इस हादसे में फगुनी का सगा भाई मोनू सहानी, चेचेरे भाई जगदीश सहानी, फुफुरे भाई इंदल महतो, नरेश व एक अन्य रिश्तेदार जय बहादुर की मौत हो गई है। इनके चौदह लोगों के ग्रुप में कुल पांच लोगों की हादसे में जान गई है।
जिला अस्पताल में भर्ती सुशील पंडित बताते हैं कि हादसे के दौरान उनका मोबाइल और 15 हजार रुपये गायब हो गया। इसके साथ ही सिपौल बिहार के रहने वाले संजय मंडल के पिता बलराम मंडल की भी हादसे में मौत हो गई। इसी तरह सिपौल के रहने वाले मौजीलाल का भतीजा बैजनाथ भी हादसे का शिकार हो गया है। हादसे में अपनों को गवांने वाले लोगों के आंसू पोस्टमार्टम हाउस में थमने का नाम नहीं ले रहे थे। सभी के घर से भी बराबर हाल जानने के लिए फोन आ रहे थे। पीड़ित किसी तरह खुद को संभाल परिजनों के शव का पोस्टमार्टम करवाने में लगे हैं।
इसी तरह हादसे में मिश्री सदा, रेनू, बिंदसदा, निवासी मधुबनी भी चोटिल हुए लेकिन इन्हें मामूली चोट थी और प्राथमिक उपचार के बाद इन्हें जाने दिया गया। बस में सवार मजदूरों ने बताया कि उनसे पंजाब व हरियाणा से बिहार तक जाने के लिए 1400 रुपये किराया वसूला गया था। बस में महिलाएं व बच्चे भी थे।
बाराबंकी में हुए सड़क हादसे में 18 लोगों की जान जाने के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दुख व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से फोन पर बात कर पूरी घटना की जानकारी ली और घायलों को पूरी सहायता के निर्देश दिए। प्रधानमंत्री के निर्देश के बाद बाराबंकी के एसपी और डीएम से मुख्यमंत्री ने घायलों का बेहतर इलाज कराने और उन्हें हर तरह की मदद उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
उधर, हादसे के बाद मृतकों के परिवारीजनों, घायलों और अन्य सवारियों की मदद में जहां पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद दिखी, वहीं सरकार के दो कैबिनेट मंत्री, विधायकों से लेकर विपक्ष के भी नेता संवेदना और सहायता व्यक्त करने घटनास्थल, अस्पताल से लेकर पोस्टमार्टम हाउस तक पहुंचते रहे। हादसे मेें इलाज, खाने से लेकर घर पहुंचाने तक प्रशासन के अफसर और नेता भी लगे रहे। बुधवार सुबह सड़क हादसे में मारे गए श्रमिकों की मदद के लिए बारिश के बीच के बचाव कार्य में खाकी की मदद को जहां सराहा जा रहा था।
वहीं देश और प्रदेश सरकार के शीर्ष पदों पर बैठी शख्सियतों के ट्वीट के बाद रामसनेहीघाट से लेकर लखनऊ तक अफसर और जनप्रतिनिधि सक्रिय दिखे। घटनास्थल पर मामूली चोट और सुरक्षित बचे यात्रियों के लिए क्षेत्रीय विधायक सतीश चंद्र शर्मा खाने से लेकर अन्य हर सुविधा देने के लिए खड़े रहे। जिले के प्रभारी मंत्री दारा सिंह चौहान सीधे पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे, जहां मृतकों के परिवारीजनों को ढांढस बंधाते हुए कहा कि इस दुख की घड़ी में केन्द्र और प्रदेश सरकार आप के साथ है।
रामसनेहीघाट में कैबिनेट मंत्री रमापति शास्त्री, बैजनाथ रावत, भाजपा जिलाध्यक्ष अवधेश श्रीवास्तव, डीएम. डॉ. आदर्श सिंह, एसपी यमुना प्रसाद ने पीड़ितों का हालचाल लिया। पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे सपा के पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप, कांग्रेस जिलाध्यक्ष मोहम्मद मोहसिन, तनुज पुनिया, एएसपी डॉ. अवधेश सिंह, एसडीएम सदर अभय पांडेय, सीओ सिटी सीमा यादव समेत अन्य प्रशासनिक अधिकारी पीड़ितों के सहयोग में अपनी भूमिका निभाते रहे।