LJP Splits: एलजेपी पर दोतरफा दावेदारी, चिराग पासवान और पशुपति पारस में कौन पड़ेगा भारी? जानिए

LJP Splits एलजेपी में टूट के बाद अब दोनों गुट खुद को असली पार्टी बता कर रामविलास पासवान की विरासत पर अपनी-अपनी दावेदारी कर रहे हैं। इसमें चिराग पासवान और पशुपति पारस में कौन भारी पड़ेगा जानिए इस खबर में।

LJP Splits: एलजेपी पर दोतरफा दावेदारी, चिराग पासवान और पशुपति पारस में कौन पड़ेगा भारी? जानिए

चिराग पासवान (Chirag Paswan) के विरोधियों द्वारा पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने से लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) की कलह खत्म नहीं हो गई है, बल्कि चिराग बनाम पारस की असली जंग तो अब शुरू हुई है। विरासत की लड़ाई में एलजेपी आखिर असली वारिस कौन? इस सवाल का हल संवैधानिक नियम-परिनियम में उलझेगा और फिर सुलझेगा! इसलिए एलजेपी पर कब्जे को लेकर मचा सियासी घमासान फिलहाल थमता हुआ नहीं दिख रहा है।

रामविलास पासवान के समय से ही शुरू हो चुकी थी गुटबाजी

एलजेपी पर कब्जे की लड़ाई में साफ हो चुका है कि रामविलास पासवान के जीवित रहते ही चाचा-भतीजा में दरार पड़ चुकी थी और गुटबाजी चरम पर थी। पार्टी के पूर्व महासचिव रहे और अब जनता दल यूनाइटेड के वरिष्ठ नेता केशव सिंह के मुताबिक रामविलास पासवान के निधन के बाद बिहार चुनाव में ही एलजेपी दो गुटों में बंट चुकी थी। चंद चुनिंदा युवाओं की सलाह से जब चिराग मनमाने फैसले लेने लगे और वरिष्ठ नेताओं को अपमानित करने लगे, तब एक धड़ा असंतुष्ट होकर पारस के साथ हो गया। अब दोनों गुट ख़ुद को पार्टी का असली दावेदार बता रहे हैं।

पारस पास सांसदों का बहुमत, चिराग के साथ पार्टी संविधान

मौजूद स्थिति में देखें तो सांसदों की संख्या के लिहाज से पारस गुट का पलड़ा भारी है। पारस गुट के पास पांच सांसद हैं। ऊपर से लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उन्हें संसदीय दल का नेता भी नियुक्त कर दिया है। जबकि, चिराग गुट के पास एकमात्र सांसद वह खुद हैं। ऐसे में चिराग गुट को पार्टी के संविधान का सहारा है, जिसका हवाला देकर राष्ट्रीय अध्यक्ष की हैसियत से चिराग पासवान ने पांचों बागी सांसदों को दल से निकाल दिया।

पारस गुट का दावा

एलजेपी के पारस गुट के प्रवक्ता श्रवण कुमार कहते हैं कि पार्टी कार्यकारिणी ने पशुपति कुमार पारस को विधि-विधान से राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना है। चिराग पासवान के पास हमारे फैसले को चुनाव आयोग या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का अधिकार है। वो जहां चाहें जा सकते हैं।

चिराग गुट का दावा

उधर, एलजेपी के चिराग गुट के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी कहते हैं कि पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति में 77 सदस्य हैं। बैठक बुलाने के लिए बहुमत की जरूरत होती है। पारस के चुनाव में मात्र चार सांसद और राष्ट्रीय कार्यसमिति के बमुश्किल से चार-पांच सदस्य ही शामिल हुए। ऐेसे में पारस कैसे राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जा सकते हैं? यह चुनाव हास्यास्पद और संदेहास्पद है। पार्टी संविधान के तहत अध्यक्ष के इस्तीफा देने या उनकी मृत्यु होने पर ही अध्यक्ष पद का चुनाव हेतु राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक बुलाई जा सकती है।

चिराग के पास विकल्प

किसी भी दल को निबंधन के लिए अपना संविधान जरूरी होता है। उसे चुनाव आयोग को देना होता है। पार्टी में सदस्यों को निकाला जाना हो, उनका निलंबन हो, नेतृत्व में बदलाव हो, या राष्ट्रीय अध्यक्ष को बदलना हो, ये सब पार्टी के संविधान के अनुसार होता है। संविधान के अनुसार नहीं होने पर चुनाव आयोग जाया जा सकता है। इसके साथ ही अधिकारों के हनन की याचिका के साथ न्यायालय में जा सकते हैं।