संसद सत्र: 'जज की नियुक्त में राजनीतिक पृष्ठभूमि बाधा नहीं', सरकार ने दिया सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला

सरकार ने कहा कि उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने भी राय दी है कि राजनीतिक झुकाव या किसी उम्मीदवार के विचारों की अभिव्यक्ति उसे संवैधानिक पद पर बने रहने से तब तक वंचित नहीं करती है।

संसद सत्र: 'जज की नियुक्त में राजनीतिक पृष्ठभूमि बाधा नहीं', सरकार ने दिया सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला

सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में कहा कि उच्चतम न्यायालय ने हाल के एक आदेश में कहा है कि किसी उपयुक्त व्यक्ति को न्यायाधीश नियुक्त करने के लिए राजनीतिक पृष्ठभूमि अपने आप में पूर्ण बाधा नहीं रही है। इसने यह भी कहा कि 'आमतौर' पर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में असाधारण परिस्थितियों को छोड़कर उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति के प्रस्तावों पर रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) की रिपोर्ट मांगने का चलन नहीं है।


कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने एक प्रश्न के लिखित जवाब में कहा,  उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर के अनुसार उच्च न्यायालय कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित प्रस्तावों पर विचाराधीन नामों के संबंध में उपयुक्तता का आकलन करने के लिए सरकार के पास उपलब्ध अन्य रिपोर्टों/जानकारियों के आलोक में विचार किया जाना है।



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उन्होंने कहा, 'आईबी (इंटेलिजेंस ब्यूरो) इनपुट प्राप्त किए जाते हैं और सिफारिशों पर आकलन करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम को प्रदान किए जाते हैं।'  दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति की सिफारिश करने वाले एक वकील पर रॉ द्वारा दायर रिपोर्ट के कुछ हिस्सों को उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम द्वारा सार्वजनिक किए जाने को लेकर उन्होंने कहा उस व्यक्ति का नाम लिए बगैर कहा कि रिपोर्ट में उम्मीदवार की 'लैंगिकता' का उल्लेख किया गया है। रिजिजू ने कहा, 'आम तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों से जुड़े असाधारण परिस्थितियों को छोड़कर उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति के प्रस्तावों पर रॉ की रिपोर्ट मांगने का चलन नहीं है।

रिजिजू ने कहा कि मद्रास उच्च न्यायालय में न्यायाधीश की नियुक्ति के मामले में दायर रिट याचिकाओं को खारिज करते हुए 10 फरवरी के अपने फैसले में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि राजनीतिक पृष्ठभूमि अपने आप में उपयुक्त व्यक्ति की नियुक्ति पर पूर्ण रोक नहीं है। मंत्री ने कहा कि इसी तरह पदोन्नति के लिए अनुशंसित व्यक्तियों द्वारा नीतियों या कार्यों की आलोचना को उन्हें अनुपयुक्त मानने का आधार नहीं माना गया है।

उन्होंने कहा, उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने भी राय दी है कि राजनीतिक झुकाव या किसी उम्मीदवार के विचारों की अभिव्यक्ति उसे संवैधानिक पद पर बने रहने से तब तक वंचित नहीं करती जब तक कि न्यायाधीश पद के लिए प्रस्तावित व्यक्ति सक्षमता, योग्यता और सत्यनिष्ठा वाला व्यक्ति हो। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण हितधारक के रूप में सरकार जानकारी प्रदान करती है जिसमें मुख्य रूप से न्यायपालिका में उच्च संवैधानिक पद पर नियुक्ति के लिए विचाराधीन उम्मीदवारों की उपयुक्तता, क्षमता और अखंडता के बारे में जानकारी होती है।