UP पशुपालन विभाग: वेटनरी फार्मेसी डिप्लोमाधारक तैयार, पंजीयन का इंतजार; छह साल से अधर में लटका सैकड़ों युवाओं का भविष्य
पशुपालन विभाग की लापरवाही युवाओं पर भारी। 2014 में शुरुआत के साथ ही पढ़ाई शुरू हो गई। विवि की ओर से डिप्लोमा तो मिलने लगा लेकिन सामान्य फार्मेसी की भांति पंजीयन के बगैर न तो उनकी नियुक्ति हो सकती है और न ही वह मेडिकल स्टोर ही खोल सकते हैं।
पशुपालन विभाग की लापरवाही का खामियाजा डिप्लोमा इन वेटनरी फार्मेसी और डिप्लोमा इन लाइव स्टॉक एक्टेंशन धारकों को भुगतना पड़ रहा है। सैकड़ों डिप्लोमाधारी पंजीयन के लिए काउंसिलिग के बनने का इंतजार कर रहे हैं। उप्र स्टेट वेटनरी फार्मासिस्ट एवं पशुधन प्रसार अधिकारी काउंसिल के गठन के सरकार की मंशा के सापेक्ष अभी तक इसका गठन नहीं किया गया।
मथुरा स्थित एक मात्र पं. दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विवि एवं गो अनुसंधाान संस्थान की ओर से पशुधन के सुरक्षित इलाज के लिए फार्मेसी का डिप्लोमा शुरू किया गया। 2014 में शुरुआत के साथ ही पढ़ाई शुरू हो गई। विवि की ओर से डिप्लोमा तो मिलने लगा, लेकिन सामान्य फार्मेसी की भांति पंजीयन के बगैर न तो उनकी नियुक्ति हो सकती है और न ही वह मेडिकल स्टोर ही खोल सकते हैं।
हर साल डिप्लोमा धारक कई बार पशुपालन निदेशालय के चक्कर लगाकर ज्ञापन दे चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। डिप्लोमा देने वाले विवि प्रशासन की ओर से भविष्य को लेकर चिंता जताई और फिर काउंसिल के गठन के लिए पत्र लिखा है। पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पहले पशु चिकित्सालय में दो साल काम करने के बाद वेटनरी डिप्लोमा मिल जाता था। 2014 में गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए पढ़ाई शुरू की गई। निर्णय के साथ ही सामान्य फार्मेसी के साथ काउंसिल के गठन के लिए भी कहा गया था, इसके बावजूद अभी तक गठन नहीं किया गया है। इसकी वजह से हर साल पढ़ाई पूरी करके युवा घूम रहे हैं। पशुपालन निदेशक डॉ.राम पाल सिंह ने बताया कि प्रस्ताव तैयार है। शीघ्र ही काउंसिल का गठन किया जाएगा।